हरिद्वार: 2021 में होने वाले महाकुंभ में भी किन्नर अखाड़े के संन्यासियों की रौनक देखने को मिलेगी. किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जूना अखाड़े पहुंचीं. उन्होंने अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री हरि गिरी महाराज से कुंभ मेले को लेकर मुलाकात की.
कुंभ में उसी अखाड़े का आधिपत्य होता है. जिनके पास नागाओं की संख्या ज्यादा होती है. क्योंकि कुंभ मेले की शान नागा साधु ही होते हैं. उनकी एंट्री के बाद ही कुंभ मेले में रौनक आती है. वहीं प्रयागराज कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े ने दूसरे अखाड़ों की तरह शाही पेशवाई के रूप में एंट्री ली थी. जब प्रयागराज में हाथी घोड़ों पर सवार होकर किन्नर संन्यासी शहर में निकलें तो देखने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा था. लोगों द्वारा किन्नर संन्यासियों का फूलों से स्वागत किया. साधु-संतों से अलग किन्नर अखाड़े की प्रयागराज कुंभ में एंट्री इतनी आसान भी नहीं थी. इसके लिए किन्नर अखाड़े को काफी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी.
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अखाड़ा परिषद और किन्नर अखाड़ा में विवाद
किन्नर अखाड़े को प्रयागराज के कुंभ में एंट्री देने को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और किन्नर अखाड़े के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने किन्नर अखाड़े के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. लेकिन किन्नर अखाड़े ने हार नहीं मानी और लैंगिकता के आधार पर किन्नर अखाड़ा द्वारा मेला प्रशासन से कुंभ में अखाड़े की व्यवस्था करने की मांग कर रहा है.
अखाड़ा परिषद के किन्नर अखाड़े के खिलाफ होने के बावजूद भी मेला प्रशासन द्वारा किन्नर अखाड़ा को कुंभ मेले में व्यवस्था मुहैया कराई गई है. हरिद्वार कुंभ मेले में अखाड़ा परिषद से विवाद की स्थिति उत्पन्न ना हो, इसी को लेकर किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री हरि गिरि से मुलाकात की और कुंभ के विषय पर चर्चा की.
उज्जैन 2016 कुंभ में किन्नर अखाड़ा अस्तित्व में आया
उज्जैन 2016 कुंभ में किन्नर अखाड़ा अस्तित्व में आया और इस अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को बनाया गया. इनके द्वारा अखाड़े में पांच महामंडलेश्वर, 25 पीठाधीश्वर और कई महंत बनाए गए. यह सभी प्रयागराज कुंभ में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहें. क्योंकि जब इनकी पेशवाई निकली तो एक अलग ही रंग देखने को मिला. अब हरिद्वार कुंभ में भी किन्नर अखाड़ा द्वारा तेरह अखाड़ों की तर्ज पर मेला प्रशासन से व्यवस्था देने को लेकर वार्ता करेगी.