रुड़की: बीती 15 जनवरी को ईटीवी भारत ने नवजात शिशुओं को रुड़की सिविल अस्पताल में एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) सेवा न मिलने की खबर प्रमुखता से दिखाई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य महकमा कुंभकरणी नींद से जागा है. गुरुवार को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ.अमिता उप्रेती ने लेबर रूम का फीता काटकर उद्धघाटन किया. इस दौरान डॉ.उप्रेती और उत्तराखंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. युगल किशोर पंत ने अस्पताल का निरीक्षण भी किया.
बता दें, जन्म के बाद नवजात के लिए 26 डिग्री से अधिक रूम टेंपरेचर की जरूरत होती है. ठंड में तापमान को बनाए रखने के लिए शिशु को एसएनसीयू में रखा जाता है. शिशु को कम से कम 24 घंटे तक एसएनसीयू में रखने की जरूरत होती है, ताकि शिशु स्थिर हो सके. इस दौरान यदि शिशु को कोई दिक्कत हो तो एसएनसीयू में उसे पूरा उपचार मिल जाता है. इसके अलावा समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे या फिर कमजोर शिशुओं के लिए एसएनसीयू की जरूरत होती है.
रुड़की सिविल अस्पताल में होने वाली डिलीवरी की संख्या को देखते हुए मार्च 2016 में चार बेड के (एनबीएसयू) को अपग्रेड करने की बात कहते हुए उसे बंद कर दिया गया था. इसके बाद 12 बेड का एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) बनाने का काम शुरू किया गया. लेकिन किन्हीं कारणों से एसएनसीयू को शुरू नहीं किया गया. जिसके अभाव में अक्सर नवजात को रेफर करना अस्पताल प्रशासन की मजबूरी बन रहा था. कई बार समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से नवजात को जान भी गंवानी पड़ती थी.
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इसी समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने 15 जनवरी को खबर प्रमुखता से दिखाई थी. खबर के बाद आज एसएनसीयू (लेबर रूम) का उद्धघाटन किया गया है. इस मौके पर डॉ.अमिता उप्रेती ने बताया कि एसएनसीयू से गर्भवती महिलाओं को बेहतर उपचार मिलेगा. सुविधाओं के मद्देनजर शासन गंभीर है. वहीं डॉक्टरों की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा जल्द ही डॉक्टरों की कमी भी दूर हो जाएगी.