हरिद्वार: स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के परिणाम जारी हो चुके हैं. हरिद्वार नगर निगम इस बार 244 वें स्थान से फिसलकर 285 पर आ गया है. हरिद्वार की ये स्थिति तब है जब यहां पर कुंभ के दौरान स्वच्छता और साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए थे. इसके बाद भी हरिद्वार नगर निगम स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में रैंकिंग में सुधार नहीं कर पाया है. ऐसे में सरकार, प्रशासन और हरिद्वार नगर निगम पर सवाल खड़े होना लाजिमी है.
स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 ने हरिद्वार निगम निगम के उन दावों की हवा निकाल दी है, जिसमें कहा गया था कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में हरिद्वार इस बार अपनी रैकिंग सुधारेगा, लेकिन हरिद्वार की स्थिति पहले से चिंताजनक हो गई है. आलम यह है कि हरिद्वार की सफाई व्यवस्था की रैंकिंग साल 2019-20 के स्वच्छता सर्वेक्षण में 244 थी, जो वह और ज्यादा खराब हो गई है. काशीपुर ने भी कुछ खास नहीं किया है. काशीपुर 344 रैंक मिली है. सवाल खड़ा होता है कि स्वच्छता के नाम पर जो पैसे हरिद्वार में खर्च किए गए वह कहां गये.
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जो कुंभ में करोड़ों रुपए साफ-सफाई व संसाधनों को दुरुस्त करने के लिए आए थे, उनका क्या हुआ. बता दें कि दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देशभर के शहरों को रैंकिंग के आधार पर स्वच्छता पुरस्कार दे रहे हैं. इसमें तमाम राज्यों के शहरों के नगर निगम, नगर पालिका और कैंट बोर्ड को सम्मानित किया जा रहा है. उत्तराखंड में भी यह पुरस्कार देहरादून कैंट बोर्ड, लैंसडाउन कैंट बोर्ड और शिवालिक नगर पालिका को दिया गया है. लेकिन पूरे उत्तराखंड में रैंकिंग के गिरते स्तर की बात करें तो हरिद्वार ने सबको चौंकाया है.