हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में वैसे तो कई मठ मंदिर है. जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इसी में से एक है भैरव मंदिर, जो अपने आप में बेहद खास है. जिसकी विशेषता ये है कि यहां भैरव बाबा प्रसन्नचित मुद्रा में दिखाई देते हैं. वहीं, यह देश का इकलौता मंदिर भी है, जहां भगवान भैरव की ऐसी मूरत है. जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं.
धर्मनगरी स्थित एकमात्र मंदिर
माना जाता है कि आनंद भैरव धर्मनगरी हरिद्वार के कोतवाल हैं, जो क्षेत्र में धर्म की रक्षा करते हैं. साथ ही हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मां माया देवी के रक्षक के रूप में भी जाने जाते हैं. भगवान आनंद भैरव हरिद्वार की अधिष्ठात्री मां माया देवी मंदिर के प्रांगण में ही विराजमान है. आनंद भैरव मंदिर का संचालन जूना अखाड़ा करता है. हरिद्वार स्थित आनंद भैरव मंदिर की महिमा काफी दिव्य मानी जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मां सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यक्ष में भगवान शिव को आमंत्रित और शिवनिंदा करने पर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. जिसके बाद भगवान शिव ने गुस्से में आकर दक्ष प्रजापति के यज्ञ को विध्वंस करने के लिए भैरव को ही आदेश दिया था.
श्रद्धालुओं का आस्था का केन्द्र
तभी से हर सिद्ध शक्ति पीठ के साथ भैरव बाबा का मंदिर अवश्य होता है. आनंद भैरव मंदिर हरिद्वार के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से भैरव बाबा की उपासना करता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. लोगों की अगाध आस्था ही उन्हें यहां खींच लाती है. हरिद्वार स्थित आनंद भैरव मंदिर के प्रांगण में तीन अन्य उप मंदिर मौजूद हैं. जिसमें प्रथम दत्तात्रेय मंदिर जो सन्यासियों को सबसे बड़े जूना अखाड़े के आराध्य देव दत्तात्रेय भगवान हैं. वहीं, यहां दूसरा शिव परिवार मंदिर और तीसरा नवग्रह मंदिर भी है. जहां देश-विदेश के श्रद्धालु प्रतिदिन शीष नवाते हैं.
इस मंत्र का करें जाप
मंदिर में होने वाली भव्य आरती विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है. प्रतिदिन प्रातः एवं रात्रि में भगवान आनंद भैरव की आरती की जाती है. वहीं, आनंद भैरव मंदिर के पुजारी महंत भास्कर पुरी महाराज ने बताया कि भगवान आनंद भैरव को प्रसन्न करने के लिए सिद्ध मंत्र ॐ श्री आनंद भैरवाय नमः है. इस मंत्र के जाप से लोगों के जीवन में खुशहाली आती है.