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हरिद्वार: 21 सालों बाद गंगा मंदिर को मिलेगा 'जीवन', पुराने स्वरूप में होगा निर्माण

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Published : Sep 8, 2019, 6:21 PM IST

Updated : Sep 8, 2019, 7:56 PM IST

21 सालों से हाई कोर्ट में गंगा मंदिर का मामला अटका हुआ था. जिसके बाद अब हरिद्वार विकास प्राधिकरण को हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अर्द्ध निर्मित गांगा मंदिर का तकनीकी विशेषज्ञयों की राय से पुराने स्वरूप में ही इसका निर्माण करवाया जाए. जिसके बाद हरिद्वार विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का जायजा लिया गया.

गंगा मंदिर हरिद्वार

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर स्थित पौराणिक ब्रह्मकुंड में पिछले करीब 21 सालों से एक मंदिर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा था. कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा था. लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद हर की पौड़ी का यह मंदिर अपने पुराने स्वरूप में नजर आने वाला है. जिसको लेकर आज हरिद्वार विकास प्राधिकरण के वीसी दीपक रावत और तकनीकी विभाग के अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया.

21 सालों बाद गंगा मंदिर को मिलेगा 'जीवन'

राजा मान सिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस गंगा मंदिर का निर्माण 400 साल पहले राजा के वंशजों ने कराया था. कहा जाता है कि यहां पर राजा की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया गया था. जिसके बाद प्रतीक स्वरूप मंदिर का निर्माण कराया गया था. लेकिन साल 1998 में कुम्भ के दौरान जब इस मंदिर के स्वामी इसका जीर्णोद्धार करा रहे थे, तो हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने इसके निर्माण को लेकर नोटिस दे दिया. जिसके बाद गंगा सभा ने भी इसके पुनर्निर्माण के खिलाफ कोर्ट में केस दायर कर दिया था, तब से यह मामला कोर्ट में लंबित था.

पढे़ं- सीएम बोले- आपदा से हुए नुकसान का किया जा रहा आंकलन, राहत और बचाव कार्य जारी

हरिद्वार विकास प्राधिकरण को हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अर्द्ध निर्मित गांगा मंदिर का तकनीकी विशेषज्ञों की राय से पुराने स्वरूप में ही इसका निर्माण करवाया जाए.

हरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष दीपक रावत ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आज पक्षकारों और तकनीकी विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ गंगा मंदिर का निरीक्षण किया गया. जिसमें देखा गया कि कैसे इस मंदिर का सौन्दर्यकरण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की राय लेकर मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा.

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर स्थित पौराणिक ब्रह्मकुंड में पिछले करीब 21 सालों से एक मंदिर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा था. कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा था. लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद हर की पौड़ी का यह मंदिर अपने पुराने स्वरूप में नजर आने वाला है. जिसको लेकर आज हरिद्वार विकास प्राधिकरण के वीसी दीपक रावत और तकनीकी विभाग के अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया.

21 सालों बाद गंगा मंदिर को मिलेगा 'जीवन'

राजा मान सिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस गंगा मंदिर का निर्माण 400 साल पहले राजा के वंशजों ने कराया था. कहा जाता है कि यहां पर राजा की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया गया था. जिसके बाद प्रतीक स्वरूप मंदिर का निर्माण कराया गया था. लेकिन साल 1998 में कुम्भ के दौरान जब इस मंदिर के स्वामी इसका जीर्णोद्धार करा रहे थे, तो हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने इसके निर्माण को लेकर नोटिस दे दिया. जिसके बाद गंगा सभा ने भी इसके पुनर्निर्माण के खिलाफ कोर्ट में केस दायर कर दिया था, तब से यह मामला कोर्ट में लंबित था.

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हरिद्वार विकास प्राधिकरण को हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अर्द्ध निर्मित गांगा मंदिर का तकनीकी विशेषज्ञों की राय से पुराने स्वरूप में ही इसका निर्माण करवाया जाए.

हरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष दीपक रावत ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आज पक्षकारों और तकनीकी विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ गंगा मंदिर का निरीक्षण किया गया. जिसमें देखा गया कि कैसे इस मंदिर का सौन्दर्यकरण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की राय लेकर मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा.

Intro:हरीद्वार हरकी पैड़ी पर स्थित पौराणिक ब्रह्मकुंड में पिछले लगभग 21 वर्षों से एक मंदिर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा था कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण न तो इसका जीर्णोद्धार हो पा रहा था और न ही इसपर रंगरोगन का कोई काम जिसके चलते हर कोई इसे हीन भावना से देखता था मगर अब कोर्ट के आदेश के बाद हर की पौड़ी का यह मंदिर अपने पुराने स्वरूप में नजर आने वाला है इसी को लेकर आज हरिद्वार विकास प्राधिकरण के वीसी दीपक रावत और तकनीकी विभाग के अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया
Body:पहले जानिये क्या है इस प्राचीन मंदिर की कहानी राजा मान सिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस गंगा मंदिर का निर्माण 400 वर्ष पूर्व राजा के वंशजों ने कराया था कहा जाता है की यहाँ पर राजा की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया गया था जिसके बाद प्रतीक स्वरूप मंदिर का निर्माण कराया गया था लेकिन वर्ष 1998 में कुम्भ के दौरान जब इस मंदिर के स्वामी इसका जीर्णोद्धार करा रहे थे तो पहले हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने इसके निर्माण को लेकर नोटिस दे दिया और फिर श्री गंगा सभा ने इसके पुनर्निर्माण के खिलाफ कोर्ट में केस दायर कर दिया था और तबसे अबतक ये मंदिर इसी हालत में खड़ा है तब से दो पूर्ण और दो अर्धकुम्भ निकल गए लेकिन इसपर न तो शासन की नज़र गयी और न ही मेला प्रशासन की

हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पर बने राजा मानसिंह की छतरी और मंदिर का मामला अब न्यायालय से होते हुए हरिद्वार विकास प्राधिकरण पहुंच गया है हरिद्वार विकास प्राधिकरण को हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अर्धनिर्मित राजा मानसिंह की छतरी का तकनीकी विशेषज्ञयो की राय लेकर पुराने स्वरूप में ही बनाया जाए इसी को लेकर आज हरिद्वार विकास प्राधिकरण के वीसी और तकनीकी विभाग के अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया दरअसल मंदिर का स्वरूप बदलने को लेकर मन्दिर के प्रबंधक और गंगा सभा के बीच करीब 21 साल से ये मामला कोर्ट में चल रहा है मंदिर के निरक्षण के बाद हरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष दीपक रावत ने बताया के माननीय हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आज पक्षकारों और तकनीकी विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ राजा मान सिंह की छतरी जिसे लोग गंगा मंदिर भी कहते है उसका निरीक्षण किया गया है जिसका हमारे द्वारा ये निरिक्षण किया गया है कि क्या इस मंदिर को मूल स्वरूप में बदला जा सकता है या मूल रूप में नही बदला जा सकता है तो उसी तरह का नया स्वरूप बना कर कैसे इस मंदिर का सौन्दर्यकरण किया जा सकता है इसको लेकर एक बार फिर गंगा बन्दी के समय निरीक्षण किया जाएगा फिर जो विशेषज्ञों की राय लेकर मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा

बाइट--दीपक रावत---उपाध्यक्ष एचआरडीए हरिद्वार

दूसरी ओर गंगा सभा तीर्थ पुरोहितों की सर्वोच्च संस्था का मानना है कि मंदिर के पुजारियों द्वारा उसको हटाकर अब इसको मानसिंह की छतरी का रूप में दिया जाए गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि एचआरडीए के उपाध्यक्ष दीपक रावत द्वारा आज इस मंदिर का निरीक्षण किया गया है इस मंदिर के निर्माण में हम सभी की सहमति है पर जो मूल रूप में मंदिर था उस मंदिर को बनाया जाए इसमें कोई विवाद का विषय नहीं है अभी हर की पौड़ी पर गंगाजल है कुछ वक्त बाद नहर बंदी की जाएगी और उस वक्त इंजीनियर और टेक्निकल टीम इसका पूरा सर्वे करेंगे और अपनी एक रिपोर्ट देंगे उसके बाद ही मंदिर का जीर्णोद्धार हो सकता है हमारी तरफ से भी प्रयास यही किए जा रहे हैं कि जो मूल मंदिर के अंदर ढांचा मौजूद है उसी ढांचे को बाहर लाकर मजबूती प्रदान की जा सके अगर किसी विशेष परिस्थिति में नए निर्माण की आवश्यकता हुई तो हमारी इस बात में भी सहमति है जो मान सिंह की छतरी का मूल स्वरूप था उसी मूल स्वरूप के आधार पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा जो हर की पौड़ी की पुराणिकता है उसको पुनः कायम किया जाए क्योंकि यह मंदिर हर की पौड़ी की सुंदरता को प्रभावित करता है हम चाहते हैं कि मंदिर पुनः उसी स्वरूप में स्थापित हो सके

बाइट--तन्मय वशिष्ठ---महामंत्री गंगा सभा Conclusion:21 साल से चल रहे कोर्ट मैं मामले के बाद आज आखिरकार हर की पौड़ी पर स्थापित राजा मानसिंह की छतरी पर बने मंदिर का जीर्णोद्धार होता दिखाई दे रहा है क्योंकि इस मंदिर की वजह से हरिद्वार हर की पौड़ी की सुंदरता पर भी एक धब्बा लग रहा था अब कोर्ट के आदेश के बाद एचआरडीए भी हरकत में आ गया है आज मंदिर का एचआरडीए द्वारा निरीक्षण किया गया और अब गंगा बंदी के दौरान विशेषज्ञों की टीम इस मंदिर का निरीक्षण कर अपनी एक रिपोर्ट पेश करेगी और उसके बाद लगता है कि अब हरिद्वार में लगने वाले महाकुंभ से पहले मंदिर अपने पुराने स्वरूप में नजर आने वाला है
Last Updated : Sep 8, 2019, 7:56 PM IST
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