हरिद्वार/रुद्रपुर: उधमसिंह नगर जिले में कॉन्स्टेबल के नाम पर व्हाट्सऐप के जरिए लोगों से पैसे की डिमांड करने वाले पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. आरोपी कॉन्स्टेबल के नाम पर कई लोगों को हजारों रुपए का चूना भी लगा चुका है. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को यूपी के मथुरा जिले से गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने बताया कि सितारगंज थाने में हेड कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात नरेंद्र कुमार यादव ने इस मामले को लेकर तहरीर दी थी. तहरीर में उन्होंने बताया था कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने 7534868933 और 8982196722 नंबरों का प्रयोग करते व्हाट्सऐप डीपी पर उसकी फोटो लगाई और फिर नरेंद्र कुमार यादव के दोस्तों को कुछ जरूरत बताकर पैसे की डिमांड करी. इस तरह कुछ लोगों ने गूगल-पे के जरिए आरोपी को करीब 80 हजार रुपए ट्रांसफर भी कर दिए.
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पुलिस ने तहरीर के आधार पर मामले की जांच शुरू की तो कुछ अहम सुराह हाथ लगे. आरोपी के खाते में जो पैसे ट्रांसफर किए गए थे, वो यूपी के मथुरा जिले में स्थित एचडीएफसी के एटीएम से निकाले गए थे. इसके बाद पुलिस टीम को मथुरा रवाना किया गया. एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे से आरोपी की फुटेज निकाल कर उसकी पहचान की गई, जिसके बाद टीम ने 14 फरवरी को एक बार फिर एटीएम से पैसे निकालने आए संदिग्ध को गिरफ्तार किया. पुलिस पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम रवींद्र सिह निवासी ग्राम मुरसेरस थाना गोवर्धन जिला मथुरा उत्तर प्रदेश बताया. आरोपी ने बताया कि वह अपने साथी काडू उर्फ अख्तर उर्फ वसीम के साथ मिल कर लोगों की आईडी हैक कर लोगों से पैसा ऐंठते हैं.
हरिद्वार में डॉक्टर से 45 लाख की धोखाधड़ी: वहीं, हरिद्वार में डॉक्टर के साथ 45 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया है. जानकारी के मुताबिक राजसिंह पुत्र इलमचंद निवासी कृष्णानगर कॉलोनी थाना गंगनहर रुड़की की टाइल्स कारोबारी अजय शर्मा निवासी ग्राम खेडा मुगल थाना देवबंद सहारनपुर से जान पहचान हो गई थी.
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आरोप है कि साल 2018 में अजय शर्मा ने राजसिंह को अस्पताल खोलने का झांसा दिया. इसके बाद लोन लेने के लिए राज सरेमिक नाम से फर्म बनवाई. राज को इसका प्रोपराइटर बना दिया गया. आरोप है कि 45 लाख की लोन लिमिट पंजाब नेशनल बैंक चौक बाजार ज्वालापुर से बनवा दी, जबकि कोई फर्म नहीं थी और न ही कोई सर्वे बैंक ने किया.
आरोप है कि 30 नवंबर 2018 को अजय वर्मा ने बैंक से राज सिंह के नाम की एक चेक बुक ली और धोखाधड़ी से चेक के जरिये पहले तीस लाख रुपये अलग-अलग नामों से निकाले गए. कुछ अपनी एवं अपने भाई की फर्म में ट्रांसफर करवाए. कुल मिलाकर 45 लाख रुपये बैंक से निकाल लिए. इस बारें में पूछने पर उसने बहाने बनाए और पैसे टाइल्स कारोबार में लगाने की बात कहते हुए खुद बैंक में रकम जमा करने का भरोसा दिलाया. इसके बाद मोबाइल बंद कर आरोपी गायब हो गया.
इस बात की शिकायत जब कोतवाली ज्वालापुर पुलिस से की गई तो आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस भी कोतवाली के चक्कर लगवाने लगी. जिसके बाद पीड़ित ने कोर्ट में गुहार लगाई और मामले की सुनवाई करने के बाद पुलिस ने कोतवाली ज्वालापुर पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए आरोपी के खिलाफ तत्काल संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए.
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कोर्ट से मिले आदेश के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच की जा रही है और जांच के उपरांत आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा.