हरिद्वार: जिले में हर साल कांवड़ जैसे विशाल मेले का आयोजन होता है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं. कांवड़ मेले के बाद हरिद्वार में घाट समेत गंगा की साफ सफाई की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, मगर जिले के डामकोठी के पास बने गेट में आज भी फंसी हुई कांवड़ बयां कर रही है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा है.
डामकोठी के पास गंगा में कांवड़ फंसी हुई है, कांवड़ मेला बीते हुए 6 महीने हो गए हैं और अभी गंगा की साफ सफाई के लिए की जाने वाली वार्षिक गंगा बंदी भी की गई मगर इस ओर किसी भी अधिकारी का ध्यान तो गया नहीं बल्कि गंगा स्वच्छता का दम भरने वाली समाजसेवी संस्थाओं को भी ये कांवड़ नहीं दिखी.
यह भी पढ़ें-अपणुं उत्तराखंडः दिनभरै 10 खबर, एक नजर मां
बीइंग भगीरथ के नाम से गंगा स्वछता के लिए बनी संस्था के संयोजक ने इसका ठीकरा सिंचाई विभाग के सिर फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि गंगा बंदी के दौरान सिंचाई विभाग ने कुछ नहीं किया. हालांकि, उन्होंने अपनी संस्था द्वारा सफाई के भरपूर प्रयास करने की बात जरूर कही. वहीं, हरिद्वार के समाजसेवी इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
यह भी पढ़ें-ईटीवी भारत के रिपोर्टर्स के तीखे सवालों पर मंत्री सुबोध उनियाल के बेबाक जवाब
समाजसेवी जेपी बडोनी का कहना है कि राज्य में गंगा के लिए कोई ठोस कानून नहीं है. गंगा की सफाई और घाटों की मरम्मत के लिए गंगा बंदी की जाती थी, लेकिन अब गंगा बंदी के मायने बदल गए हैं. उन्होंने कहा कि अब गंगा के दोहन के लिए गंगाबन्दी की जाती है. गंगा बंदी के दौरान हरिद्वार में कोई सफाई का काम नहीं किया जाता. उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार की तमाम सामाजिक संस्था जो गंगा की सफाई का दावा करती हैं, वो सिर्फ फोटो खिंचाने तक सीमित रह गई है.