लक्सर: हरिद्वार जिले में स्थित एक टायर फैक्ट्री से वीआरएस देकर निकाले गए कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि जब उन्हें वीआरएस दिया गया, उस समय फैक्ट्री घाटे में चल रही थी. कंपनी ने उन्हें यह भरोसा दिया था कि जब दोबारा फैक्ट्री घाटे से बाहर निकलेगी तो उन्हें फिर से काम पर रखा जाएगा. उनका कहना था कि कंपनी में पांच सौ कर्मचारियों की भर्ती होनी है. लेकिन अब कंपनी अपने वायदे से मुकर रही है. इससे नाराज होकर कर्मचारियों द्वारा पिछले एक महीने से लगातार फैक्ट्री से कुछ दूर धरना दिया जा रहा है. इस मामले में एसडीएम गोपालराम बिनवाल ने फैक्ट्री प्रबंधन व कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया.
फैक्ट्री प्रबंधन अपने वायदे से मुकरा: इस दौरान फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से आए सतीश शर्मा का कहना था कि कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी करार कर्मचारियों के साथ नहीं किया गया था. कर्मचारी फैक्ट्री की दूसरी यूनिट में नहीं जाना चाहते थे तथा कार्य भी ठीक से नहीं कर रहे थे. जबकि कर्मचारियों का कहना था कि फैक्ट्री ने उन्हें घाटे में होने के चलते बाहर किया था. उनसे यह भी वादा किया था कि फैक्ट्री जब भी नई भर्ती निकालेगी तो पुराने कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन अब फैक्ट्री अपनी बात से मुकर रही है.
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एसडीएम ने बुलाया वार्ता पर: वहीं कर्मचारियों की ओर से आए एडवोकेट राम अवतार सिंह सुप्रीम कोर्ट (नई दिल्ली) का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को जब से बाहर किया है, तब से 75 प्रतिशत सैलरी का भुगतान भी करेगी. साथ ही श्रमिकों की धारा 6 क्यू के मुताबिक कर्मचारियों को इस तरह से निकाला जाना पूरी तरह से गलत है. कर्मचारियों का कहना था कि वह शांतिपूर्ण ढंग से अपना धरना जारी रखेंगे तथा मामले को लेकर कोर्ट में ले जाएंगे. इस पर उपजिलाधिकारी गोपालराम बिनवाल ने कहा कि फैक्ट्री प्रबंधन और कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए आया था. जिसमें फैक्ट्री द्वारा पता चला है कि अभी 1 महीने तक कोई भर्ती नहीं की जाएगी और जब भी होगी तो नियमानुसार इन कर्मचारियों को भर्ती किया जाएगा. वहीं एसडीएम ने कर्मचारियों से कहा कि बेवजह अनावश्यक धरना प्रदर्शन से कोई लाभ नहीं है. फैक्ट्री में जब भी भर्ती होगी नियम अनुसार कार्य किया जाएगा.