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शिक्षा विभाग ने शुरू किया 'मेरा घर, मेरा विद्यालय अभियान', NSS स्वयंसेवकों ने संभाली कमान

हरिद्वार में शिक्षा विभाग ने मेरा घर मेरा विद्यालय अभियान शुरू किया है. जिसके तहत एनएसएस के स्वयंसेवक घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

Haridwar news
मेरा घर मेरा विद्यालय अभियान
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Published : Jul 31, 2020, 10:27 PM IST

हरिद्वारः कोरोना महामारी के चलते शिक्षा से वंचित हुए सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा विभाग ने 'मेरा घर, मेरा विद्यालय' अभियान शुरू किया है. इसके तहत घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा रहा है. जिसका फायदा सरकारी स्कूलों के उन बच्चों को पहुंच रहा है, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ये अभियान काफी मददगार साबित हो रहा है.

कोरोना महामारी के चलते अभी भी जिंदगी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाई है. हालांकि, धीरे-धीरे पाबंदी हटाई जा रही है. अभी भी स्कूल-कॉलेज बंद हैं. कोरोनाकाल में सरकार ने छात्र-छात्राओं के हित को देखते ऑनलाइन क्लासेस व परीक्षाओं को बढ़ावा देने की मुहिम चलाई है. इसके बावजूद गांव-देहात में गरीब घरों के बच्चों के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से वो पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज ने एक अभियान शुरुआत की है.

मेरा घर मेरा विद्यालय अभियान.

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इस अभियान के तहत सरकारी स्कूल के बच्चों को एनएसएस के स्वयंसेवक घर-घर जाकर पढ़ा रहे हैं. जिससे उनकी पढ़ाई पूरा हो सके और स्कूल खुलने पर वो अपने आप को पढ़ाई में पिछड़ा महसूस ना कर सकें. साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ पाठ्यक्रम को पढ़ने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि फिलहाल पहली से तीसरी कक्षा के करीब 40 हजार बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाने का अभियान एनएसएस के स्वयंसेवकों के सहयोग से किया जा रहा है. इसके लिए विशेष सिलेबस बनाया गया है.

वहीं, एनएसएस के जिला संयोजक डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय सेवा योजना हमेशा सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रहा है. ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें जब यह जिम्मेदारी दी तो उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया. एनएसएस के स्वयंसेवक सभी छात्र-छात्राएं हैं. जो अपने आस-पास के बच्चों को एक घर में एकत्रित कर उन्हें सिलेबस के अनुसार पढ़ा रहे हैं. साथ ही हर हफ्ते बच्चों की पढ़ाई की समीक्षा भी की जाती है और उसी आधार पर आगे का पाठ्यक्रम चलाया जाता है.

ये भी पढ़ेंः डिफेंस सेक्टर में उत्तराखंड बनेगा हब, सरकार और सेना के बीच बातचीत

इस अभियान में जुटी छात्रा पायल का कहना है उन्हें एनएसएस की ओर से यह काम सौंपा गया है. वह स्वयं राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हैं और उन्हें बच्चों को पढ़ाने में संतोष मिलता है. पढ़ाई के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज भी कराती हैं, जिससे बच्चों का पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन भी हो सके. साथ ही उन्हें कोरोना महामारी से बचाव के उपाय करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

हरिद्वारः कोरोना महामारी के चलते शिक्षा से वंचित हुए सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा विभाग ने 'मेरा घर, मेरा विद्यालय' अभियान शुरू किया है. इसके तहत घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा रहा है. जिसका फायदा सरकारी स्कूलों के उन बच्चों को पहुंच रहा है, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ये अभियान काफी मददगार साबित हो रहा है.

कोरोना महामारी के चलते अभी भी जिंदगी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाई है. हालांकि, धीरे-धीरे पाबंदी हटाई जा रही है. अभी भी स्कूल-कॉलेज बंद हैं. कोरोनाकाल में सरकार ने छात्र-छात्राओं के हित को देखते ऑनलाइन क्लासेस व परीक्षाओं को बढ़ावा देने की मुहिम चलाई है. इसके बावजूद गांव-देहात में गरीब घरों के बच्चों के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से वो पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज ने एक अभियान शुरुआत की है.

मेरा घर मेरा विद्यालय अभियान.

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इस अभियान के तहत सरकारी स्कूल के बच्चों को एनएसएस के स्वयंसेवक घर-घर जाकर पढ़ा रहे हैं. जिससे उनकी पढ़ाई पूरा हो सके और स्कूल खुलने पर वो अपने आप को पढ़ाई में पिछड़ा महसूस ना कर सकें. साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ पाठ्यक्रम को पढ़ने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि फिलहाल पहली से तीसरी कक्षा के करीब 40 हजार बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाने का अभियान एनएसएस के स्वयंसेवकों के सहयोग से किया जा रहा है. इसके लिए विशेष सिलेबस बनाया गया है.

वहीं, एनएसएस के जिला संयोजक डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय सेवा योजना हमेशा सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रहा है. ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें जब यह जिम्मेदारी दी तो उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया. एनएसएस के स्वयंसेवक सभी छात्र-छात्राएं हैं. जो अपने आस-पास के बच्चों को एक घर में एकत्रित कर उन्हें सिलेबस के अनुसार पढ़ा रहे हैं. साथ ही हर हफ्ते बच्चों की पढ़ाई की समीक्षा भी की जाती है और उसी आधार पर आगे का पाठ्यक्रम चलाया जाता है.

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इस अभियान में जुटी छात्रा पायल का कहना है उन्हें एनएसएस की ओर से यह काम सौंपा गया है. वह स्वयं राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हैं और उन्हें बच्चों को पढ़ाने में संतोष मिलता है. पढ़ाई के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज भी कराती हैं, जिससे बच्चों का पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन भी हो सके. साथ ही उन्हें कोरोना महामारी से बचाव के उपाय करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

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