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आखिरी शाही स्नान को लेकर बैरागी अखाड़ों ने संन्यासी अखाड़ों के खिलाफ खोला मोर्चा - हरिद्वार महाकुंभ का आखिरी शादी स्नान

हरिद्वार महाकुंभ के आखिरी शाही स्नान को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में विरोध शुरू हो गया है. दोनों एक दूसरे के सामने खड़े हो गए हैं.

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Published : Apr 21, 2021, 6:11 PM IST

हरिद्वार: महाकुंभ के आखिरी शाही स्नान से पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में विरोध शुरू हो गया है. 27 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज और वैष्णव संप्रदाय के संतों ने सरकार से संन्यासी अखाड़ों के शाही स्नान करने पर रोक लगाने की मांग की है. क्योंकि संन्यासी अखाड़ों ने कुंभ मेले के समापन की घोषणा कर दी थी. संन्यासी अखाड़ों ने कहा था कि वे आखिरी शाही स्नान प्रतीकात्मक रूप से यानी कुछ ही साधु-संतों के साथ करेंगे. जिससे बाद से बैरागी और वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में काफी आक्रोश है.

आखिरी शाही स्नान को लेकर रार

निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास ने कहा कि संन्यासी अखाड़ों ने कुंभ मेले से पहले ही मेला विसर्जन कर कर दिया है. अब उनके शाही स्नान करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. वो बार-बार मेले के समापन को लेकर बयान बदल रहे हैं. इसलिए उनकी सरकार और मेला प्रशासन से मांग है कि सन्यासी अखाड़ों को शाही स्नान करने रोका जाए. 27 अप्रैल के शाही स्नान में केवल बैरागी संतों के तीन अखाड़े उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा और संन्यासियों के महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संत ही शाही स्नान करें. इन अखाड़ों के अलावा जिन अखाड़ों ने भी कुंभ मेले का विरोध किया वह शाही स्नान करने के हकदार नहीं हैं.

पढ़ें- रामनवमी: गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी, कोरोना का दिखा असर

इसीलिए उन्होंने कुंभ मेला प्रशासन से मांग की है कि वे इन अखाड़ों को शाही स्नान करने से रोकें. उन्होंने यह भी कहा कि आगामी शाही स्नान पर वो कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन करेंगे. हरिद्वार में जितने भी साधु-संत मौजूद हैं. वहीं सभी शाही स्नान में भाग लेंगे. उन्होंने अपने अनुयायियों से अपील की है कि वे कुंभ मेले में आएं.

वहीं अखिल भारतीय चतुर संप्रदाय के महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से निवेदन किया है कि जिन्होंने कुंभ समाप्ति की घोषणा की थी, उन्हें शाही स्नान नहीं करने दिया जाए. अब शाही स्नान का अधिकार तीनों बैरागी अखाड़े और वैष्णव अखाड़ों को ही दिया जाए.

हरिद्वार: महाकुंभ के आखिरी शाही स्नान से पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में विरोध शुरू हो गया है. 27 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज और वैष्णव संप्रदाय के संतों ने सरकार से संन्यासी अखाड़ों के शाही स्नान करने पर रोक लगाने की मांग की है. क्योंकि संन्यासी अखाड़ों ने कुंभ मेले के समापन की घोषणा कर दी थी. संन्यासी अखाड़ों ने कहा था कि वे आखिरी शाही स्नान प्रतीकात्मक रूप से यानी कुछ ही साधु-संतों के साथ करेंगे. जिससे बाद से बैरागी और वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में काफी आक्रोश है.

आखिरी शाही स्नान को लेकर रार

निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास ने कहा कि संन्यासी अखाड़ों ने कुंभ मेले से पहले ही मेला विसर्जन कर कर दिया है. अब उनके शाही स्नान करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. वो बार-बार मेले के समापन को लेकर बयान बदल रहे हैं. इसलिए उनकी सरकार और मेला प्रशासन से मांग है कि सन्यासी अखाड़ों को शाही स्नान करने रोका जाए. 27 अप्रैल के शाही स्नान में केवल बैरागी संतों के तीन अखाड़े उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा और संन्यासियों के महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संत ही शाही स्नान करें. इन अखाड़ों के अलावा जिन अखाड़ों ने भी कुंभ मेले का विरोध किया वह शाही स्नान करने के हकदार नहीं हैं.

पढ़ें- रामनवमी: गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी, कोरोना का दिखा असर

इसीलिए उन्होंने कुंभ मेला प्रशासन से मांग की है कि वे इन अखाड़ों को शाही स्नान करने से रोकें. उन्होंने यह भी कहा कि आगामी शाही स्नान पर वो कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन करेंगे. हरिद्वार में जितने भी साधु-संत मौजूद हैं. वहीं सभी शाही स्नान में भाग लेंगे. उन्होंने अपने अनुयायियों से अपील की है कि वे कुंभ मेले में आएं.

वहीं अखिल भारतीय चतुर संप्रदाय के महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से निवेदन किया है कि जिन्होंने कुंभ समाप्ति की घोषणा की थी, उन्हें शाही स्नान नहीं करने दिया जाए. अब शाही स्नान का अधिकार तीनों बैरागी अखाड़े और वैष्णव अखाड़ों को ही दिया जाए.

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