हरिद्वार: भारत सरकार की डिजिटल इंडिया योजना से लाखों लोग यूपीआई लेन-देन की ओर बढ़ रहे हैं. अब मंदिर और मठों में भी यूपीआई क्यूआर कोड (UPI QR Code) लग चुके हैं. अब लोग मंदिरों में कैशलेस तरीके से दान कर रहे हैं. हरिद्वार के विश्व प्रसिद्ध हर की पैड़ी क्षेत्र में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां पर श्रद्धालु यूपीआई के माध्यम से चढ़ावा दे सकते हैं.
यूपीआई (Unified Payment Interface) के माध्यम से दान अब श्रद्धालुओं को भी सुविधाजनक लग रहा है. फुटकर पैसे ना होने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानी महसूस होती थी. अब डिजिटल इंडिया योजना ने श्रद्धालुओं को डिजिटल दान करने की सुविधा दे दी है.
पंडितों का कहना है कि कुछ साल पहले तक लोग मंदिरों में दान करने में हिचकिचाते थे. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के तहत लोग मंदिरों में आसानी से दान कर रहे हैं. हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित ने बताया कि आजकल लोग अपनी जेब में पैसे बहुत कम रखते हैं. आज डिजिटल इंडिया के तहत लोग आसानी से यूपीआई के माध्यम से मंदिरों में दान कर रहे हैं.
जेब कटने का भी खतरा नहीं: आजकल लोग अपने पास कैश बहुत ही कम रखते हैं. इसलिए भीड़ में उनकी जेब कटने का भी खतरा नहीं रहता है. लोग क्यूआर कोड के माध्यम से डिजिटल पेमेंट कर सकते हैं.
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नोटबंदी के बाद आई डिजिटल क्रांति: दरअसल, साल 2016 में नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने डिजिटल इंडिया मुहिम शुरू की थी. इसी के तहत देश में UPI ट्रांजेक्शन की शुरुआत हुई थी. इस मुहिम के पीछे सबसे बड़ा कारण देश में काले धन पर लगाम लगाना और लोगों की सहूलियत के लिए कैशलेस ट्रांजैक्शन (Cashless Transaction) को बढ़ावा देना था.
कैसे काम करता है UPI?: UPI यानी Unified Payment Interface की सेवा लेने के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है. इसके बाद इसे आपको अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होता है. वर्चुअल पेमेंट एड्रेस आपका वित्तीय पता बन जाता है. इसके बाद आपको बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती.