रुड़की: जहां एक ओर सरकार बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाकर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है. वहीं, दूसरी ओर आज भी कई बच्चों का भविष्य अंधकार में है. बच्चों के भविष्य को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है. जिन मासूमों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी, उनके हाथों में भीख का कटोरा है. ऐसे में भीख के लिए हाथ पसारते ये मासूम सरकारी तंत्र और उसके नौकरशाहों को मुंह चिढ़ाते नजर रहे हैं. भिक्षावृत्ति, चोरी, नशे की दलदल में फंसकर इन बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है. जबकि, जिला प्रशासन भिक्षावृत्ति रोकने में नाकाम साबित हो रहा है.
दरअसल, प्रसिद्ध तीर्थस्थल पिरान कलियर में भीख मांगना एक बड़ा कारोबार बनता जा रहा है. बाहर से आकर झुग्गी झोपड़ी में रह रहे सैकड़ों परिवार अपने बच्चों को भीख मांगने को मजबूर कर रहे हैं. बच्चों के भविष्य को लेकर ना तो मां-बाप को कोई चिंता है और ना ही जिला प्रशासन गंभीर है. शिकायत मिलने पर श्रम विभाग के अधिकारी भी महज रस्म अदायगी कर लौट जाते हैं. रुड़की नगर और आसपास के गांव में भिखारियों से ग्रामीणों के साथ जायरीन भी परेशान हैं. क्षेत्र में दुकानों पर लाइन लगाकर भिखारियों के द्वारा भीख मांगते देखा जाना आम बात हो गई है.
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मुख्यमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेताओं और प्रशासन के आला अधिकारी आए दिन कलियर दरगाह साबिर पाक का मेला क्षेत्र में आते हैं, लेकिन इस ओर कभी उनका ध्यान नहीं गया. इससे भिखारियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. कलियर हो या फिर रुड़की बाल शोषण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. चाय की दुकान से लेकर परचून, कपड़ा और अन्य सामान की दुकानों पर कहीं भी बाल श्रमिक नजर आते हैं.
वहीं, दरगाह साबिर पाक में 10 सालों से जिस तरह यहां आने वाले अकीदतमंदों में भारी इजाफा हुआ है. उसी तरह भीख मांगने वालों की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है. पिरान कलियर स्थित रुड़की रोड, धनोरी रोड, दरगाह अब्दाल, साहब रोड, सिंचाई विभाग और ग्राम पंचायत की भूमि पर सैकड़ों परिवार झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे हैं.
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इतना ही नहीं ये परिवार सुबह होते ही अपने बच्चों को भीख मांगने और बाल मजदूरी के लिए घर से निकाल देते हैं और शाम होने पर बच्चे भीख में मांगे पैसे लेकर घर पहुंचते हैं. तो परिजन भी उनका स्वागत करते हैं और जब कोई बच्चा पैसे लेकर नहीं आता तो उसे प्रताड़ित किया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि यहां परिजन खुद ही भीख मंगवाकर अपने बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं. जबकि, शासन-प्रशासन कुंभकरणी नींद सो रहा है. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा, ये एक बड़ा सवाल है.