हरिद्वार: श्रीपंचदश नाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी आज अधिष्ठात्री देवी मां माया देवी मंदिर से साधु संतों के साथ उत्तराखंड दौरे के लिए रवाना हो गई है. जूना अखाड़ा द्वारा पिछले 4 वर्षों से निकाली जा रही, इस पवित्र छड़ी यात्रा (Chadi Yatra) का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के पौराणिक तीर्थ स्थलों का विकास करते हुए तीर्थाटन को बढ़ावा देना है. जिससे उत्तराखंड में हो रहे पलायन को रोका जा सकता है.
पर्यटकों को छड़ी यात्रा का महत्व बताना जरूरी: जूना अखाड़े के संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने बताया कि यह पवित्र छड़ी यात्रा पिछले 4 वर्षों से उत्तराखंड की उन्नति और पौराणिक तीर्थों की गरिमा बनाए रखने के लिए निकाली जा रही है. इसका उद्देश्य उत्तराखंड के उपेक्षित और गुमनाम पौराणिक तीर्थ स्थलों का विकास कर तीर्थाटन को बढ़ावा देना है, ताकि इन क्षेत्रों से पलायन रुक सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें. उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब आम जनता, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को इनके पौराणिक महत्व और इतिहास की जानकारी होगी.
चारधाम के दर्शन करेगी छड़ी यात्रा: महामंत्री हरि गिरि ने बताया कि यात्रा के माध्यम से इन पौराणिक तीर्थों के संदर्भ में जनता को जागरूक किया जा रहा है. यह पवित्र छड़ी यात्रा करीब 25 दिन उत्तराखंड के भ्रमण पर रहेगी. उन्होंने बताया कि लगभग एक सौ नागा संन्यासियों के जत्थे के साथ रवाना हुई. यह पवित्र छड़ी गढ़वाल मंडल में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, त्रिजुगीनारायण, लाखामंडल, बदरीनाथ, उखीमठ, तुंगनाथ महादेव, गाना नाथ तीर्थ, कर्णप्रयाग होते हुए कुमाऊं मंडल में पहुंचेगी.
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बैजनाथ धाम भी जाएगी छड़ी यात्रा: फिर यात्रा बागेश्वर, बैजनाथ धाम, जागेश्वर धाम, कौसानी एरानाथ महादेव, खड़केश्वर महादेव, थराली, सोमेश्वर महादेव, जीवी जलेश्वर महादेव, माता पूर्णागिरि, माता नैना देवी, हंस ईश्वर महादेव से नारायण आश्रम, ओम पर्वत के दर्शनों के पश्चात हाट काली मंदिर गंगोलीहाट, पाताल भुवनेश्वर, दूणागिरि मंदिर, काली मंदिर रानीखेत, बिनसर महादेव, वृद्ध केदारेश्वर, भूमिया देवता, गर्जिया माता के दर्शन करते हुए यात्रा वापस पहुंचेगी.
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