हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में कोरोना फर्जी टेस्ट रिपोर्ट (haridwar kumbh fake corona test) के मामले ने शासन से लेकर जिला प्रशासन तक हलचल मचा दी है. हरिद्वार कुंभ में हुए कथित कोरोन टेस्ट घोटाले (kumbh covid-19 testing scam) ने स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है. मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी. रविशकर के आदेश पर सीएमओ हरिद्वार शंभू नाथ झा ने नगर कोतवाली में दो निजी लैब (two private lab) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. इस मामले में मेला अधिकारी दीपक रावत भी सवालों के घेरे में आ रहे हैं.
इस मामले में हरिद्वार एसएसपी सेंथिल अबुदाई कृष्णराज एस ने कहा कि नगर कोतवाली में सीएमओ ने मैक्स कॉरपोरेट कंपनी के साथ अनुबंध वाली दिल्ली की लाल चंदानी लैब और हरियाणा की नालवा लैब के खिलाफ लिखित तहरीर दी गई है. तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. आरोप है कि मैक्स कॉरपोरेट कंपनी से अनुबंधित दिल्ली की लाल चंदानी और हरियाणा के हिरास की नालवा लैब ने हरिद्वार कुंभ में करीब एक लाख से ज्यादा कोरोना से फर्जी टेस्ट किए थे, जिसका शासन ने संज्ञान लेते हुए हरिद्वार जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए थे. हरिद्वार जिलाधिकारी ने तीन सदस्यों की जांच टीम बनाई है. वहीं गुरुवार को इस मामले में नगर कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज कराया गया है.
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ईटीवी भारत की पड़ताल में लैब का पता फर्जी निकला
बता दें कि बुधवार को ईटीवी भारत ने वेबसाइट से मैक्स कॉरपोरेट कंपनी का पता और उसकी दिल्ली में अनुबंधित लैब लाल चंदानी का पता निकाला था, जिसके ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर पड़ताल की दो मौके पर न तो कोई कंपनी थी और न ही कोई लैंब थी. इससे पता चलता कि हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़ा हुआ है.
क्या है मामला
बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच अब सवालों के घेरे में आ गई है. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.
यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है. अब इस मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए हैं. इस एक दिल्ली की लैब भी थी, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि दिल्ली में लैब का जो पता दिया गया था, वहां पर कोई लैब ही नहीं है.
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ऐसे हुआ खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था.
उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.
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एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.
करोड़ों रुपए का घोटाला
कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.
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बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंभ के दौरान 1-30 अप्रैल तक 50 हजार टेस्ट रोज़ाना करने के निर्देश दिए थे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आईसीएमआर की ओर से अधिकृत 9 एजेंसियों और 22 निजी लैब ने चार लाख कोविड टेस्ट किए थे. इनमें से ज़्यादातर एंटीजन टेस्ट थे. इसके अलावा सरकारी लैब में भी टेस्ट कराए गए थे.