हरिद्वारः योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के परम शाखाओं में शामिल स्वामी मुक्तानंद को पूरे सम्मान के साथ शनिवार शाम अंतिम विदाई दी गई. अपने सखा को खुद योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने नम आंखों से मुखाग्नि दी. इस दौरान आचार्य बाल किशन की आंखों से लगातार आंसू टपकते रहे. पतंजलि के गठन से लेकर अब तक आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले स्वामी मुक्तानंद को अंतिम विदाई देने के लिए संत समाज के साथ पतंजलि से जुड़े सैंकड़ों कार्यकर्ता श्मशान घाट पहुंचे.
योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के साथ पूरे पतंजलि परिवार ने स्वामी मुक्तानंद को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी. बीती रात स्वामी मुक्तानंद का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था. रात को ही उनके पार्थिव शरीर को कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम लाया गया. उनके निधन पर पूरे पतंजलि परिवार में शोक की लहर है. स्वामी मुक्तानंद योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के शुरुआती समय से सहयोगी रहे.
स्वामी मुक्तानंद के निधन पर बाबा रामदेव ने कहा कि स्वामी मुक्तानंद महाराज का गुरुकुल के समय से करीब 35 सालों से हमारा एकात्म संबंध रहा है. हम लोग तीनों ही गुरुकुल से निकले थे. निष्काम कर्म योगी, आदर्श पुरुष और हमारी ऋषि परंपरा के प्रतिनिधि एवं पतंजलि योगपीठ के स्तंभ रहे. उनका कल रात हृदय गति रुकने से निधन हो गया गया. आज शाम को 4 बजे कनखल श्मशान घाट पर उनकी वैदिक रीति नीति से अंत्येष्टि संस्कार की जाएगी.
ये भी पढ़ेंः बाबा रामदेव के सबसे पुराने सहयोगी स्वामी मुक्तानंद का निधन, पतंजलि आयुर्वेद कंपनी में था अहम योगदान
बाबा रामदेव ने कहा कि आज योग, आयुर्वेद और स्वदेशी का विश्वव्यापी अभियान चल रहा है. योग, आयुर्वेद, स्वदेश की क्रांति, भारतीय शिक्षा और भारतीय चिकित्सा व्यवस्था पुनः प्रतिष्ठा का यह जो आंदोलन चल रहा है, उसकी बहुत बड़ी ऊर्जा थे. स्वामी मुक्तानंद महाराज और पूरे पतंजलि योग पीठ परिवार में सबसे बड़े थे. उन्हें अग्रज, गुरु और पिता तुल्य मानकर उनका आशीर्वाद व मार्गदर्शन लेते थे. आज वे हमारे बीच में नहीं है. उनके जाने से पतंजलि योगपीठ और सनातन धर्म की अपूरणीय क्षति है.
बता दें कि स्वामी मुक्तानंद उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पतंजलि को फर्श से अर्श तक का सफर न केवल तय करते हुए देखा था बल्कि, उसमें एक अहम भूमिका भी निभाई थी. संस्कृत के विद्वान स्वामी मुक्तानंद बीते कई सालों से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर छात्रों को संस्कृत पढ़ा रहे थे. वे तमाम संन्यासियों और अन्य स्कॉलर्स को वेदों, संस्कृत ग्रंथों और व्याकरण की शिक्षा देते थे. अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले स्वामी मुक्तानंद को बाबा रामदेव के पुराने सहयोगियों में से एक माना जाता है.
ये भी पढ़ेंः आयुष मंत्रालय ने तय किए 'आयुर्वेद आहार' उत्पादों के गुणवत्ता मानक
योग गुरु बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved established) की साल 2006 में स्थापना की थी, लेकिन उससे 11 साल पहले ही उन्होंने दिव्य योग फार्मेसी (Divya Yoga Pharmacy) की स्थापना कर दी थी. इस कंपनी की स्थापना उन्होंने आयुर्वेदिक दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए की थी. इस कंपनी का संचालन उनका दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट करता है, जिसके फाउंडर ट्रस्टी के तौर पर स्वामी मुक्तानंद काम करते थे. इसके अलावा वे इसके कोषाध्यक्ष भी थे.