हरिद्वारः महाकुंभ 2021 का समापन हो चुका है, लेकिन घाटों पर स्थापित आस्था कलश की सुध नहीं ली जा रही है. इन आस्था कलश को लगाने का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं के छोड़े गए कपड़ों को एकत्र कर उनका रीसायकल करना था. लेकिन रखरखाव के अभाव में यह आस्था कलश अब मुसीबत बनते जा रहे हैं. आलम तो ये है कि आस्था कलश में अब पौधे उगने लगे हैं. साथ ही कलश में पड़े कपड़ों की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
मामले पर अपर मेला अधिकारी ललित नारायण मिश्रा ने बताया कि इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की है. सफाई व्यवस्था का टेंडर नगर निगम को पहले ही दिया जा चुका है. जिसमें उनकी जिम्मेदारी घाटों में पड़े कूड़े-कचरे के साथ ही आस्था कलश में पड़े हुए कपड़ों को जमा करने की है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है तो इसके लिए अन्य संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी. जिससे इसे रीसायकल करने में मदद मिल सके. क्योंकि, कपड़ा एक ऐसी वस्तु है, जिसे रीसायकल किया जा सकता है.
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आस्था कलश स्थापित करने का उद्देश्य
बता दें कि आस्था कलश को लगाने का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार में आए श्रद्धालुओं के छोड़े हुए पुराने कपड़ों को एकत्रित करना था. क्योंकि, ज्यादातर श्रद्धालु स्नान आदि के बाद अपने कपड़ों को छोड़ जाते हैं. ऐसे में गंगा किनारे पड़े कपड़े घाटों की शोभा बिगाड़ देते हैं. साथ ही गंगा में गंदगी का कारण भी बनते हैं.
इसे देखते हुए महाकुंभ में यह निर्णय लिया गया कि हरिद्वार के सभी घाटों पर आस्था कलश लगाये जाएंगे. इन कलश में एकत्र हुए सभी कपड़े रिसाइकल किए जाएंगे. जबकि, नमामि गंगे योजना के तहत हरकी पैड़ी समेत सभी प्रमुख घाटों पर करीब 256 बड़े आस्था कलश रखे गए थे.