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भिक्षावृत्ति में फंस रहे हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे, पुलिस ने 106 से ज्यादा बच्चों का किया रेस्क्यू - भिक्षावृत्ति में बच्चे

Children getting trapped in begging घर से नाराज होकर या रास्ता भटककर हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस रहे हैं. पुलिस और प्रशासन के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जब घर से नाराज होकर निकले कम उम्र के बच्चे हरिद्वार में गंगा घाटों पर भीख मांगते हुए पाए गए. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 10, 2024, 5:36 PM IST

Updated : Jan 10, 2024, 10:04 PM IST

भिक्षावृत्ति में फंस रहे हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे

हरिद्वार: धर्मनगरी में साल भर चलने वाले भंडारों और श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले दान के चलते हजारों की तादाद में भिखारी मौजूद रहते हैं. हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर छोटे-बड़े और महिला-पुरुष सभी वर्गों के लोग भीख मांगते हुए मिल जाएंगे, लेकिन इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों से अपने घर से नाराज होकर निकलते हैं और नासमझी के कारण भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं. हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 1 साल में 106 से ज्यादा ऐसे बच्चों का रेस्क्यू कर उनके परिवार को सुपुर्द किया है, जो सिर्फ नाराजगी के कारण ट्रेन में बैठकर हरिद्वार पहुंच गए थे और यहां भीख मांगने लगे थे.

अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान की जरूरत: एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि हमारे द्वारा लगातार इसको लेकर एक अभियान चलाया जाता है. जिसमें पुलिस मॉनिटरिंग करती है और आसपास के क्षेत्र में रात्रि में पाए जाने वाले बच्चों से नॉर्मली पूछताछ की जाती है. जिसके बाद परिजनों से उनको मिलाने की कवायद शुरू की जाती है. उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों के सेंटीमेंट को समझने और उन पर ध्यान देने का आग्रह किया है.

हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का लगा अंबार: सामाजिक कार्यकर्ता विशाली शर्मा ने बताया कि हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का अंबार लगा हुआ है. जहां देखो वहां भिखारी मांगते हुए दिखाई देते हैं. प्रशासन लगातार कार्रवाई करता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह भिखारी उस क्षेत्र को छोड़ते नहीं है.

ये भी पढ़ें: ऑपरेशन स्माइल: पुलिस लौटा रही अपनों से बिछड़े लोगों के चेहरों पर खुशी, 12वां चरण सबसे अधिक सफल

भिखारियों की संख्या 5000: बच्चों के भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है. जानकार बताते हैं कि जो बच्चे घर में अपने मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पाते वे अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं और घर छोड़ने जैसा बड़ा कदम भी उठा लेते हैं. वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो प्राप्त जानकारी के अनुसार हरकी पैड़ी के आसपास लगने वाले क्षेत्र जैसे रोड़ी बेल वाला और खरकड़ी में कुल मिलाकर 5000 के करीब भिखारियों की संख्या बताई जाती है.

ये भी पढ़ें: मानव तस्करी की शिकार नाबालिग लड़कियों का रेस्क्यू, रिश्तेदारों ने ही कर दिया था बड़े राज्यों में सौदा

भिक्षावृत्ति में फंस रहे हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे

हरिद्वार: धर्मनगरी में साल भर चलने वाले भंडारों और श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले दान के चलते हजारों की तादाद में भिखारी मौजूद रहते हैं. हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर छोटे-बड़े और महिला-पुरुष सभी वर्गों के लोग भीख मांगते हुए मिल जाएंगे, लेकिन इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों से अपने घर से नाराज होकर निकलते हैं और नासमझी के कारण भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं. हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 1 साल में 106 से ज्यादा ऐसे बच्चों का रेस्क्यू कर उनके परिवार को सुपुर्द किया है, जो सिर्फ नाराजगी के कारण ट्रेन में बैठकर हरिद्वार पहुंच गए थे और यहां भीख मांगने लगे थे.

अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान की जरूरत: एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि हमारे द्वारा लगातार इसको लेकर एक अभियान चलाया जाता है. जिसमें पुलिस मॉनिटरिंग करती है और आसपास के क्षेत्र में रात्रि में पाए जाने वाले बच्चों से नॉर्मली पूछताछ की जाती है. जिसके बाद परिजनों से उनको मिलाने की कवायद शुरू की जाती है. उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों के सेंटीमेंट को समझने और उन पर ध्यान देने का आग्रह किया है.

हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का लगा अंबार: सामाजिक कार्यकर्ता विशाली शर्मा ने बताया कि हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का अंबार लगा हुआ है. जहां देखो वहां भिखारी मांगते हुए दिखाई देते हैं. प्रशासन लगातार कार्रवाई करता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह भिखारी उस क्षेत्र को छोड़ते नहीं है.

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भिखारियों की संख्या 5000: बच्चों के भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है. जानकार बताते हैं कि जो बच्चे घर में अपने मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पाते वे अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं और घर छोड़ने जैसा बड़ा कदम भी उठा लेते हैं. वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो प्राप्त जानकारी के अनुसार हरकी पैड़ी के आसपास लगने वाले क्षेत्र जैसे रोड़ी बेल वाला और खरकड़ी में कुल मिलाकर 5000 के करीब भिखारियों की संख्या बताई जाती है.

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Last Updated : Jan 10, 2024, 10:04 PM IST
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