हरिद्वार: धर्मनगरी में साल भर चलने वाले भंडारों और श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले दान के चलते हजारों की तादाद में भिखारी मौजूद रहते हैं. हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर छोटे-बड़े और महिला-पुरुष सभी वर्गों के लोग भीख मांगते हुए मिल जाएंगे, लेकिन इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों से अपने घर से नाराज होकर निकलते हैं और नासमझी के कारण भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं. हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 1 साल में 106 से ज्यादा ऐसे बच्चों का रेस्क्यू कर उनके परिवार को सुपुर्द किया है, जो सिर्फ नाराजगी के कारण ट्रेन में बैठकर हरिद्वार पहुंच गए थे और यहां भीख मांगने लगे थे.
अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान की जरूरत: एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि हमारे द्वारा लगातार इसको लेकर एक अभियान चलाया जाता है. जिसमें पुलिस मॉनिटरिंग करती है और आसपास के क्षेत्र में रात्रि में पाए जाने वाले बच्चों से नॉर्मली पूछताछ की जाती है. जिसके बाद परिजनों से उनको मिलाने की कवायद शुरू की जाती है. उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों के सेंटीमेंट को समझने और उन पर ध्यान देने का आग्रह किया है.
हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का लगा अंबार: सामाजिक कार्यकर्ता विशाली शर्मा ने बताया कि हरकी पैड़ी के आसपास भिखारियों का अंबार लगा हुआ है. जहां देखो वहां भिखारी मांगते हुए दिखाई देते हैं. प्रशासन लगातार कार्रवाई करता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह भिखारी उस क्षेत्र को छोड़ते नहीं है.
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भिखारियों की संख्या 5000: बच्चों के भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है. जानकार बताते हैं कि जो बच्चे घर में अपने मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पाते वे अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं और घर छोड़ने जैसा बड़ा कदम भी उठा लेते हैं. वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो प्राप्त जानकारी के अनुसार हरकी पैड़ी के आसपास लगने वाले क्षेत्र जैसे रोड़ी बेल वाला और खरकड़ी में कुल मिलाकर 5000 के करीब भिखारियों की संख्या बताई जाती है.
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