हरिद्वारः जिला प्रशासन द्वारा मूर्तियों के गंगा में विसर्जित करने पर लगाई गई रोक (Ban on immersion of idols in river Ganga) का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (All India Akhara Parishad) के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि हरिद्वार में तो बहुत बालू है. बालू में गड्ढा बनाकर उसमें विसर्जन करें तो गंगाजी भी प्रदूषित होने से बच जाएगी और हमारा कार्य भी हो जाएगा. उन्होंने कहा कि गंगा जी में प्रदूषण रोकने के लिए विसर्जन को बंद करने के लिए 10-11 साल पहले पहल की गई थी और अब जिला प्रशासन द्वारा इस पर रोक लगाई गई है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज का कहना है कि गंगा नदी में मूर्ति विसर्जन पर लगाई गई जिला प्रशासन की रोक सही है. यह अभी की बात नहीं है, इस रोक को लगभग 10-11 साल पहले भी उठाया गया था. क्योंकि इससे गंगा नदी प्रदूषण होती है. इसलिए हरिद्वार के रेतीले स्थान पर गड्ढा कर वहां मूर्ति का विसर्जन किया जा सकता है.
29 अगस्त को लिया गया निर्णयः गंगा की पवित्रता और स्वच्छता (Cleanliness of Ganga) को बनाए रखने के लिए गंगा समिति की एक बैठक हुई. जिसमें यह निर्णय लिया गया है. हरिद्वार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने स्पष्ट किया है कि एनजीटी के आदेश के अनुपालन में गंगा की पवित्रता और निर्मलता के लिए यह निर्णय लिया गया है. विकल्प के रूप में मूर्ति विसर्जन के लिए तीन स्थानों को चिन्हित किया गया है. जहां पर गड्ढे बनाकर उनमें पानी भरा जाएगा और उन्हीं गड्ढों में मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा.
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गंगा में मूर्ति विसर्जित करने पर कार्रवाई होगीः हरिद्वार डीएम विनय शंकर पांडे (Haridwar DM Vinay Shankar Pandey) ने साफ लहजे में कहा कि जो व्यक्ति इस आदेश का पालन नहीं करेगा, उससे पहले तो अनुरोध किया जाएगा और जब वो नहीं मानेगा तो उसके खिलाफ कानून अपना कार्य करेगा. इस दौरान मूर्ति विसर्जन के लिए जाने के प्रवेश द्वार और संबंधित तट पर पुलिस फोर्स तैनात रहेगा और मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाएगी.