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'लव जिहाद' पर कन्नी काटते नजर आए मदन कौशिक, अखाड़ा परिषद ने जताया विरोध

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Published : Nov 21, 2020, 10:42 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 11:55 PM IST

सोशल मीडिया पर 'लव जिहाद' के आरोप लगने के बाद उत्तराखंड सरकार अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में संशोधन करने जा रही है. इसको लेकर उत्तराखंड में हलचल मची हुई है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने विरोध करते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है.

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हरिद्वार हिंदी न्यूज

हरिद्वार: लव जिहाद को लेकर पूरे देशभर में कानून बनाने की मांग की जा रही है. इस मुद्दे पर बीजेपी की तमाम सरकारें विपक्षी पार्टियों को घेरने का कार्य करती है, मगर उत्तराखंड में लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से ही 50 हजार का अनुदान दिया जा रहा है. इस मामले पर सरकार में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी बगले झांकते नजर आए, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने एक ही जाति में विवाह करने की बात कही और जो दूसरी जाति में विवाह को सनातन परंपरा के खिलाफ बताया.

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टिहरी जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल द्वारा हस्ताक्षरित आदेश.

इस मामले पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा जो पैसा दिया जा रहा है, वह अंतर धार्मिक विवाह को नहीं दिया जा रहा है. पैसा उनको दिया जा रहा है, जो अनुसूचित जाति की लड़की से शादी करता है. यह पहले से ही राज्य में दिए जा रहे हैं. हमारे द्वारा लव जिहाद को लेकर कानून बनाया गया है. जो धर्म परिवर्तन करा कर शादी करते हैं वह डीएम की अनुमति लें और अगर वह डीएम की अनुमति नहीं लेते हैं तो उनको दंडित भी किया जाएगा.

'लव जिहाद' पर कन्नी काटते नजर आए मदन कौशिक.

वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने विरोध करते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है. नरेंद्र गिरी का कहना है कि सनातन परंपरा में जिस जाति लड़का होता है, उसे उसी जाति की लड़की से शादी करनी चाहिए. सनातन परंपरा में एक गोत्र के होने पर भी शादी नहीं होती. उन्होंने कहा कि वो लव जिहाद के खिलाफ हैं, क्योंकि लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को गुमराह करके शादी करते हैं, उनको खुलेआम फांसी देनी चाहिए.

पढ़ें- लव जिहाद के आरोप से बैकफुट पर सरकार, अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में होगा संशोधन

दरअसल, अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह को लेकर टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश पर विवाद पैदा हो गया है. आदेश में कहा गया है कि 'राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय तथा अंतर धार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं'. जिसके बाद से प्रदेश में अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है.

हरिद्वार: लव जिहाद को लेकर पूरे देशभर में कानून बनाने की मांग की जा रही है. इस मुद्दे पर बीजेपी की तमाम सरकारें विपक्षी पार्टियों को घेरने का कार्य करती है, मगर उत्तराखंड में लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से ही 50 हजार का अनुदान दिया जा रहा है. इस मामले पर सरकार में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी बगले झांकते नजर आए, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने एक ही जाति में विवाह करने की बात कही और जो दूसरी जाति में विवाह को सनातन परंपरा के खिलाफ बताया.

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टिहरी जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल द्वारा हस्ताक्षरित आदेश.

इस मामले पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा जो पैसा दिया जा रहा है, वह अंतर धार्मिक विवाह को नहीं दिया जा रहा है. पैसा उनको दिया जा रहा है, जो अनुसूचित जाति की लड़की से शादी करता है. यह पहले से ही राज्य में दिए जा रहे हैं. हमारे द्वारा लव जिहाद को लेकर कानून बनाया गया है. जो धर्म परिवर्तन करा कर शादी करते हैं वह डीएम की अनुमति लें और अगर वह डीएम की अनुमति नहीं लेते हैं तो उनको दंडित भी किया जाएगा.

'लव जिहाद' पर कन्नी काटते नजर आए मदन कौशिक.

वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने विरोध करते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है. नरेंद्र गिरी का कहना है कि सनातन परंपरा में जिस जाति लड़का होता है, उसे उसी जाति की लड़की से शादी करनी चाहिए. सनातन परंपरा में एक गोत्र के होने पर भी शादी नहीं होती. उन्होंने कहा कि वो लव जिहाद के खिलाफ हैं, क्योंकि लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को गुमराह करके शादी करते हैं, उनको खुलेआम फांसी देनी चाहिए.

पढ़ें- लव जिहाद के आरोप से बैकफुट पर सरकार, अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में होगा संशोधन

दरअसल, अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह को लेकर टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश पर विवाद पैदा हो गया है. आदेश में कहा गया है कि 'राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय तथा अंतर धार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं'. जिसके बाद से प्रदेश में अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है.

Last Updated : Nov 21, 2020, 11:55 PM IST
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