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हरिद्वार में हर साल गंगा की गोद से निकलता है 'सोना', यूपी-उत्तराखंड से हजारों लोग आते हैं तलाशने

हर साल सफाई के लिए गंगा नदी में पानी रोक दिया जाता है. इस दौरान यूपी और उत्तराखंड के हजारों लोग हरिद्वार में नदी किनारे जुट जाते है और गंगा में सोने और चांदी की तलाश करते है. इसी से उनका परिवार चलता है.

हरिद्वार
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Published : Oct 17, 2019, 8:36 PM IST

Updated : Oct 17, 2019, 10:53 PM IST

हरिद्वार: मां गंगा धरती पर मानव जाति का उद्धार करने आई थी. रोज लाखों रोग गंगा में स्नान करके अपने पाप धोते है. यही कारण है कि मां गंगा की वजह से कई लोगों की रोजी-रोटी चलती है. गंगा में पानी रहे या न रहे लेकिन मां गंगा हमेशा लोगों का पेट भरती है. सफाई की वजह से इन दिनों हरिद्वार में गंगा का पानी रोक दिया गया है. गंगा पूरी तरह सूख चुकी है. ऐसे में हजारों लोगों ने गंगा किनारे डेरा डाल लिया है.

गंगा के सूखने पर हर साल यूपी और उत्तराखंड से हजारों लोग अपने परिवार के साथ हरिद्वार पहुंचते है और यहीं पर डेरा जमा लेते हैं. इस दौरान ये लोग उम्मीद करते है कि गंगा से उन्हें जो कुछ भी मिलेगा उससे उनके परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो जाएगा. गंगा में जल रहे या न रहे वह उनके परिवार का पेट भरने का कार्य करती है. सूखने पर तो जो सोना- चांदी और पैसा मिलता है उससे उनके परिवार का खर्च निकलता है.

गंगा की गोद से निकलता है 'सोना'
गंगा की खुदाई में निकलने वाला सोना चांदी सरकार के खजाने में नहीं जाता, बल्कि जिसको मिल जाए वो ही उसका मालिक होता है. हरिद्वार में हर की पैड़ी समेत तमाम घाटों पर इन दिनों हजारों लोग सोने-चांदी की तलाश गंगा में कुछ बिनते हुए दिखाई देंगे.

पढ़ें- काशीपुर: अस्पताल में मृत महिला के चेहरे को चूहों और छछूंदरों ने कुतर डाला

ये लोग हर साल गंगा में पानी कम होने का इंतजार करते हैं. गंगा में सोना-चांदी के तलाश में आए सूरज ने बताया कि वो कई सालों से इस कार्य को कर रहे हैं. पानी कम होने पर हर साल दूसरे राज्यों के लोग भी हरिद्वार पहुंचते हैं. उनकी रोजी-रोटी इसी से चलती है.

तीर्थ पुरोहित पंडित उज्जवल ने बताया कि मां गंगा सभी को कुछ ना कुछ देती जरूर हैं. गंगा जब बहती है श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं और इसके पंडित, पुजारी और व्यापारी सभी को धनार्जन होता है, लेकिन जब गंगा सूख जाती है तब भी मां गंगा लोग को रोजी-रोटी देती है. बाहर से आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में सोना चांदी चढ़ाते हैं. गंगा के सूखने के ये लोगों गंगा में से इसी तरह की वस्तुओं को ढूंढते हैं. जिससे वे अपना परिवार चलाते हैं.

हरिद्वार: मां गंगा धरती पर मानव जाति का उद्धार करने आई थी. रोज लाखों रोग गंगा में स्नान करके अपने पाप धोते है. यही कारण है कि मां गंगा की वजह से कई लोगों की रोजी-रोटी चलती है. गंगा में पानी रहे या न रहे लेकिन मां गंगा हमेशा लोगों का पेट भरती है. सफाई की वजह से इन दिनों हरिद्वार में गंगा का पानी रोक दिया गया है. गंगा पूरी तरह सूख चुकी है. ऐसे में हजारों लोगों ने गंगा किनारे डेरा डाल लिया है.

गंगा के सूखने पर हर साल यूपी और उत्तराखंड से हजारों लोग अपने परिवार के साथ हरिद्वार पहुंचते है और यहीं पर डेरा जमा लेते हैं. इस दौरान ये लोग उम्मीद करते है कि गंगा से उन्हें जो कुछ भी मिलेगा उससे उनके परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो जाएगा. गंगा में जल रहे या न रहे वह उनके परिवार का पेट भरने का कार्य करती है. सूखने पर तो जो सोना- चांदी और पैसा मिलता है उससे उनके परिवार का खर्च निकलता है.

गंगा की गोद से निकलता है 'सोना'
गंगा की खुदाई में निकलने वाला सोना चांदी सरकार के खजाने में नहीं जाता, बल्कि जिसको मिल जाए वो ही उसका मालिक होता है. हरिद्वार में हर की पैड़ी समेत तमाम घाटों पर इन दिनों हजारों लोग सोने-चांदी की तलाश गंगा में कुछ बिनते हुए दिखाई देंगे.

पढ़ें- काशीपुर: अस्पताल में मृत महिला के चेहरे को चूहों और छछूंदरों ने कुतर डाला

ये लोग हर साल गंगा में पानी कम होने का इंतजार करते हैं. गंगा में सोना-चांदी के तलाश में आए सूरज ने बताया कि वो कई सालों से इस कार्य को कर रहे हैं. पानी कम होने पर हर साल दूसरे राज्यों के लोग भी हरिद्वार पहुंचते हैं. उनकी रोजी-रोटी इसी से चलती है.

तीर्थ पुरोहित पंडित उज्जवल ने बताया कि मां गंगा सभी को कुछ ना कुछ देती जरूर हैं. गंगा जब बहती है श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं और इसके पंडित, पुजारी और व्यापारी सभी को धनार्जन होता है, लेकिन जब गंगा सूख जाती है तब भी मां गंगा लोग को रोजी-रोटी देती है. बाहर से आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में सोना चांदी चढ़ाते हैं. गंगा के सूखने के ये लोगों गंगा में से इसी तरह की वस्तुओं को ढूंढते हैं. जिससे वे अपना परिवार चलाते हैं.

Intro:मां गंगा धरती पर मानव जाति का उद्धार करने आई थी और वह इस कार्य को निरंतर कर रही है गंगा रहे या ना रहे मगर गंगा हमेशा लोगों का पेट भर्ती ही है इन दिनों धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा बंदी के बाद सुखी गंगा में सोना चांदी और पैसा खोजने उतर रहे लोगों की खूब मौज हो रही है हर वर्ष गंगा बंदी होते ही उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड के हजारों लोग अपने परिवारों के साथ हरिद्वार में डेरा जमा लेते हैं उन्हें उम्मीद रहती है कि गंगा से जो कुछ भी मिलेगा उससे उनके परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो जाएगा गंगा में जल रहे या गंगा सुखी रहे वह उनके परिवार का पेट भरने का कार्य करती है और सूखने पर तो जो सोना चांदी और पैसा मिलता है उससे उनके परिवार का खर्च निकलता है


Body:हरिद्वार में इन दिनों गंगा बंदी के चलते हजारों लोग रोज अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए गंगा से सोना चांदी के साथ पैसे खोजने में जुटे हुए हैं गंगा की खुदाई में निकलने वाले सोना चांदी की यहां सरकार मालिक नहीं होती बल्कि जिसको जो भी मिलता है वह उसी का हो जाता है हरिद्वार में हर की पौड़ी समेत तमाम गंगा घाटों पर आप हजारों लोगों को पूरे परिवार और छोटे-छोटे बच्चों के साथ गंगा से कुछ बिनते देख सकते हैं दरअसल यह लोग गंगा में चढ़ाए गए दान को ढूंढ रहे हैं यह इसी सामान से अपने परिवार का पेट पालते हैं

वैसे तो धर्म नगरी हरिद्वार वासियों का जीवन ही गंगा से चल रहा है मगर यहां ऐसे लोग भी हैं जिनकी रोजी-रोटी ही गंगा में डाले गए भक्तों के सिक्कों सोना चांदी और अन्य सामानों से चलती है यह लोग इन्हीं पैसों से अपने बच्चों का पालन करने के साथ-साथ दीपावली का त्यौहार भी मनाते हैं और इनके लिए इनको गंगा बंदी का साल भर से इंतजार रहता है गंगा ढूंढने वालों का कहना है कि हम कई सालों से इस कार्य को कर रहे हैं और गंगा बंदी के बाद दूसरे राज्य से भी लोग हरिद्वार गंगा ढूंढने के लिए आते हैं गंगा बंदी के बाद गंगा से हमारी रोजी-रोटी चलती है हमें पैसों के साथ गंगा से सोना चांदी भी मिल जाता है इस वक्त हरिद्वार में कई हजार लोग गंगा बंदी के बाद गंगा में पैसे सोना चांदी ढूंढने का कार्य कर रहे हैं

बाइट--सूरज--गंगा ढूंढने वाला
बाइट--सोनू--गंगा ढूंढने वाला

गंगा जब कल कल बहती है तब भी लोगों का उद्धार करती है और जब इस वक्त गंगा बंदी होती है तब भी मां गंगा लोगों के पेट भरने का कार्य करती है तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि जिस तरह मां अपने बच्चों का लालन-पालन और पेट भरने को एक समान देखती है उसी तरह मां गंगा किसी को ज्यादा देती है तो किसी को थोड़ा कम मगर सभी को कुछ ना कुछ देती जरूर है गंगा जब बहती है तो पंडित पुजारी व्यापारी सभी को धनार्जन होता है और श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं तो व्यापार भी अच्छा होता है पुरोहित के माध्यम से धार्मिक कर्मकांड संपन्न कराए जाते हैं मगर जब गंगा सूखती है तो कई लोग गंगा ढूंढते हैं उनको कुछ ना कुछ अपनी आजीविका के लिए प्राप्त होता है क्योंकि बाहर से आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में सोना चांदी चढ़ाते हैं और वह इन लोगों को गंगा ढूंढने पर मिलते हैं गंगा ढूंढने वालों को सोना चांदी और कई अमूल्य वस्तु मिलती है

बाइट--उज्जवल--पंडित तीर्थ पुरोहित


Conclusion:मां गंगा धरती पर मानव जातिबका कल्याण करने के लिए आई है और वह इस कार्य को बखूबी निभा भी रही है गंगा से सटे क्षेत्रों के लोगों का व्यवसाय और जीवन गंगा के इर्द-गिर्द ही सीमित है गंगा की धारा रुक जाने के बाद जो कुछ उनकी तलहटी से निकलता है वह हजारों परिवारों के जीवन जीने का आधार बनता है और धर्म नगरी हरिद्वार दर्शकों से गंगा के इस स्वरूप को करीब से देखती आ रही है
Last Updated : Oct 17, 2019, 10:53 PM IST
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