हरिद्वार: गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय (Gurukul Kangri University Haridwar) इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है. विश्वविद्यालय की व्यवस्था दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. पहले विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद आर्य प्रतिनिधि सभा ने कुलाधिपति के विश्वविद्यालय विरोधी आचरण को देखते हुए उन्हें तत्काल पद से मुक्त कराने के आदेश जारी कर दिए. इसके बाद अब वर्तमान कुलपति की कुर्सी पर भी खतरा बढ़ गया है.
गुरुकुल कांगड़ी विवि में बवाल: बता दें कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर स्वतंत्र कुमार के जाने के बाद से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के हालात दिनोंदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. न तो यहां पर कुलपति की कुर्सी पर कोई टिक पा रहा है. न ही कुलाधिपति की कुर्सी पर कोई टिक रहा है. जिसका असर अब न केवल विश्वविद्यालय की छवि बल्कि यहां की शिक्षण व्यवस्था पर भी पड़ना शुरू हो गया है.
इस्तीफों और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी: कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह ने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने प्रधान एवं आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब हरियाणा और दिल्ली को 30 दिसंबर को पत्र लिख अपना इस्तीफा सौंपा है. इस्तीफे में उन्होंने कुछ वर्तमान प्रतिनिधियों पर पूर्व कुलपति को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया. लेकिन जिस तरह पूर्व कुलाधिपति ने कुलपति के माध्यम से पूर्व कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री को अपमानित कर उनसे न केवल आवास खाली कराया, बल्कि उनके लिए अपशब्दों का भी प्रयोग किया, उसने गुरुकुल की छवि को पूरे देश में धूमिल किया है.
इन सभी बातों का संज्ञान लेते हुए आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह को ही पद मुक्त कराने के आदेश जारी कर दिए हैं. कुलाधिपति के हटने के बाद वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु की कुर्सी पर भी खतरा मंडराने लगा है. क्योंकि वर्तमान कुलपति कुलाधिपति के ही करीबी माने जाते हैं और पूर्व में विश्वविद्यालय के अंदर हुई तमाम घटनाओं में उनका भी हाथ माना जा रहा है. जिसे लेकर आर्य प्रतिनिधि सभा काफी गुस्से में है.
पढ़ें- आखिरकार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पर गिरी गाज, UGC ने किया बर्खास्त
राजनीति ने किया बंटाधार: माना जा रहा है कि कुलाधिपति के बाद अब जल्द ही कुलपति की कुर्सी भी उनके नीचे से खिसक सकती है. गुरुकुल के सूत्र बताते हैं कि कुलपति आवास खाली कराने को लेकर 30 दिसंबर को हुए हंगामे की खबर मिलते ही आर्य प्रतिनिधिसभा ने कुलाधिपति को हटाने की तैयारी कर ली थी. इसकी भनक लगते ही निकाले जाने के डर से कुलाधिपति ने पहले ही अपना इस्तीफा आर्य प्रतिनिधि सभाओं को भेज दिया था. जिसके बाद आर्य प्रतिनिधि सभा ने अपना आदेश जारी किया.