लक्सर: दहेज की मांग पूरी ना होने व बेटी को जन्म देने से नाराज शौहर ने बीवी को तीन तलाक दे दिया. पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस से की है. लक्सर कोतवाली क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव निवासी विवाहिता ने पुलिस को शिकायत कर बताया कि कुछ समय पूर्व उसके पिता का देहांत हो गया था. उसकी मां व छोटे भाई ने जैसे-तैसे कर एक वर्ष पूर्व उसका निकाह नागल खुर्द गांव के सरफराज पुत्र यूसुफ से की थी.
निकाह के बाद से ही होने लगा उत्पीड़न: निकाह के बाद से ही शौहर और ससुराल के लोग कम दहेज को लेकर उसे प्रताड़ित करते चले आ रहे थे. इस दौरान गर्भवती होने की वजह से वह सब कुछ सहती रही. एक सप्ताह पूर्व उसने एक बेटी को जन्म दिया. जिससे उसके ससुराली और अधिक नाराज हो गए. बेटी को जन्म देने को लेकर उसके साथ मारपीट की गई और उसके शौहर द्वारा तीन बार तलाक बोलकर बेटी के साथ उसे घर से निकाल दिया गया. किसी तरह वह अपने मायके पहुंची और परिजनों को जानकारी दी.
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फोन पर दिया तीन तलाक: तलाक देने की बात सुनकर परिजन सन्न रह गए. उन्होंने उसके शौहर से फोन पर बात की. इस पर शौहर ने फोन पर भी तलाक देने की बात कुबूल करते हुए संबंध विच्छेद करने की बात कही. पीड़िता ने शौहर समेत ससुराल पक्ष के पांच लोगों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है. लक्सर कोतवाली प्रभारी यशपाल सिंह बिष्ट ने बताया कि मामला शौहर और बीवी के संबंधों का है. लिहाजा इसे काउंसिलिंग के लिए महिला हेल्पलाइन भेजा गया है. हेल्पलाइन की रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
भारत में अपराध है तीन तलाक: भारत में मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल कानून बन चुका है. 18 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस कानून को अपनी मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रपति के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक कानून बन गया था. इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना गया.
कब दर्ज होगा 3 तलाक का केस: तीन तलाक अपराध संज्ञेय (इसमें पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है) तभी होगा, जब महिला खुद शिकायत करेगी. इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार है. पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है.
समझौते के लिए क्या है शर्त: यह कानून महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है. कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मजिस्ट्रेट के द्वारा उचित शर्तों के साथ ऐसा होगा.
बेल के लिए क्या है शर्त: कानून के तहत मजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है, लेकिन पत्नी का पक्ष सुनने के बाद. यह पति-पत्नी के बीच का निजी मामला है. पत्नी ने गुहार लगाई है, इसलिए उसका पक्ष सुना जाना जरूरी होगा.
गुजारे के लिए क्या है प्रावधान: तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दिए जाने का प्रावधान है. पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का अधिकार मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जिसे पति को देना होगा.