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ऐतिहासिक रहा 2021-हरिद्वार महाकुंभ, नहीं हुई कोई घटना- हरिगिरि - हरिगिरि

अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि का कहना है कि हरिद्वार 2021 महाकुंभ बिना किसी घटना और अनहोनी के संपन्न हुआ है. ऐसा ऐतिहासिक महाकुंभ कई सालों के बाद हुआ है.

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हरिद्वार
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Published : May 21, 2021, 12:26 PM IST

हरिद्वारः अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि के मुताबिक हरिद्वार 2021 का कुंभ बिना किसी घटना, जान-माल की हानि के संपन्न हुआ है. उन्होंने इसके लिए मेला पुलिस और मेला प्राधिकरण का धन्यवाद किया है.

ऐतिहासिक रहा 2021-हरिद्वार महाकुंभ, नहीं हुई कोई घटना: हरिगिरि

हरिगिरि का कहना है कि कभी-कभी अमंगल भी मंगल के तौर पर आता है. हरिद्वार महाकुंभ में ऐसा ही हुआ. कोरोना काल के कारण बनी स्थितियों का मेला प्रशासन और अखाड़ा परिषद ने लाभ उठाते हुए मेले को सकुशल संपन्न कराया है, जो कि इतिहास में पहली बार हुआ है.

ये भी पढ़ेंः मद्महेश्वर की भोग मूर्तियां सभामंडप में हुईं विराजमान, 24 मई को खुलेंगे कपाट

बता दें कि इससे पहले हरिद्वार में जितने भी कुंभ आयोजित हुए, उनमें कोई ना कोई ऐसी घटना जरूर घटी है, जिसमे कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.

हरिद्वार कुंभ में घटी घटनाएं

  • साल 1760- हरिद्वार कुंभ में संन्यासी ओर बैरागी अखाड़ों के सतों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ. हिंसा में बड़ी संख्या में साधु मारे गए थे.
  • 1938 हरिद्वार कुंभ में गंगा पार बसा मेला क्षेत्र भीषण आग के बाद पूरी तरह उजड़ गया था. इस दौरान भगदड़ में सैकड़ों यात्रियों की जान चली गई थी.
  • आजादी के बाद पहला कुंभ 1950 में हुआ था. उस कुंभ में बैसाखी यानी 14 अप्रैल के शाही स्नान में हर की पैड़ी में बैरियर टूटने से 50 से 60 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
  • 1986 के महाकुंभ में भी बैसाखी के दिन भीड़ बढ़ने से 5 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी.
  • 1998 में हरिद्वार कुंभ के शाही स्नान कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े के हजारों नागाओं को स्नान में देरी हो गई. स्नान के अगले क्रम में अपनी बारी का इंतजार कर रहे जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़ों के तमाम नागा बिफर उठे और हर की पैड़ी पर जबरदस्त संग्राम और मारपीट शुरू हो गई. इस खूनी संघर्ष में अनेक साधु और पुलिसकर्मी घायल हुए.
  • कुंभ 2010 में लाल तारा पुल पर भगदड़ हुई, जिसमें 7 लोग मारे गए थे.

हरिद्वारः अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि के मुताबिक हरिद्वार 2021 का कुंभ बिना किसी घटना, जान-माल की हानि के संपन्न हुआ है. उन्होंने इसके लिए मेला पुलिस और मेला प्राधिकरण का धन्यवाद किया है.

ऐतिहासिक रहा 2021-हरिद्वार महाकुंभ, नहीं हुई कोई घटना: हरिगिरि

हरिगिरि का कहना है कि कभी-कभी अमंगल भी मंगल के तौर पर आता है. हरिद्वार महाकुंभ में ऐसा ही हुआ. कोरोना काल के कारण बनी स्थितियों का मेला प्रशासन और अखाड़ा परिषद ने लाभ उठाते हुए मेले को सकुशल संपन्न कराया है, जो कि इतिहास में पहली बार हुआ है.

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बता दें कि इससे पहले हरिद्वार में जितने भी कुंभ आयोजित हुए, उनमें कोई ना कोई ऐसी घटना जरूर घटी है, जिसमे कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.

हरिद्वार कुंभ में घटी घटनाएं

  • साल 1760- हरिद्वार कुंभ में संन्यासी ओर बैरागी अखाड़ों के सतों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ. हिंसा में बड़ी संख्या में साधु मारे गए थे.
  • 1938 हरिद्वार कुंभ में गंगा पार बसा मेला क्षेत्र भीषण आग के बाद पूरी तरह उजड़ गया था. इस दौरान भगदड़ में सैकड़ों यात्रियों की जान चली गई थी.
  • आजादी के बाद पहला कुंभ 1950 में हुआ था. उस कुंभ में बैसाखी यानी 14 अप्रैल के शाही स्नान में हर की पैड़ी में बैरियर टूटने से 50 से 60 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
  • 1986 के महाकुंभ में भी बैसाखी के दिन भीड़ बढ़ने से 5 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी.
  • 1998 में हरिद्वार कुंभ के शाही स्नान कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े के हजारों नागाओं को स्नान में देरी हो गई. स्नान के अगले क्रम में अपनी बारी का इंतजार कर रहे जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़ों के तमाम नागा बिफर उठे और हर की पैड़ी पर जबरदस्त संग्राम और मारपीट शुरू हो गई. इस खूनी संघर्ष में अनेक साधु और पुलिसकर्मी घायल हुए.
  • कुंभ 2010 में लाल तारा पुल पर भगदड़ हुई, जिसमें 7 लोग मारे गए थे.
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