देहरादून: साल 2019 उत्तराखंड राज्य के लिए कई मायने के खास रहा है. बात करें उत्तराखंड वन विभाग की तो यह साल वन विभाग के लिए बड़े सौगात लेकर आया है. उत्तराखंड वन विभाग को केंद्र सरकार से न सिर्फ 2675 करोड़ रुपये की सहायता मिली है, बल्कि राज्य के गंगा समेत तमाम नदियों में प्रदूषण नियंत्रण और संरक्षण करने, वन और पर्यावरण को बचाये रखने को लेकर वन विभाग ने केंद्र सरकार की तर्ज पर पर्यावरण निदेशालय का गठन भी किया है.
उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. लेकिन प्रकृति ने उत्तराखंड राज्य को कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. जिसमें उत्तराखंड क्षेत्र का करीब 65 फीसदी भाग वनों से घिरा है, जो न सिर्फ देश को शुद्ध प्राण वायु देता हैं बल्कि जैव विविधता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते है.
पर्यावरण निदेशालय का गठन
उत्तराखंड सरकार ने केंद्र की तर्ज पर राज्य में पर्यावरण विभाग का गठन किया है. गंगा समेत तमाम नदियों में प्रदूषण नियंत्रण और संरक्षण करने के लिए राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का भी गठन किया है, जो पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्य, पर्यावरण संबंधी प्रकरणों में राज्य सरकार को परामर्श देना, स्टेट क्लाइमेट चेंज एक्शन प्लान का क्रियान्वयन, पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील ईको सिस्टम का चिन्हिकरण करने जैसे कार्य कर रहा है.
इस राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय के अंदर पर्यावरण निदेशालय, पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जैव विविधता बोर्ड एवं राज्यस्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण और राज्यस्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति इस विभाग के अधीन रखे गए हैं.
केंद्र सरकार ने दी ₹2,675 करोड़ की आर्थिक मदद
साल 2019 के अगस्त महीने में मोदी सरकार ने प्रदेश को बड़ी सौगात दी है. केंद्र ने उत्तराखंड को कंपंसेंटरी एफॉरेस्टेशन मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी यानि कैंपा प्रोजेक्ट के तहत 2675 करोड़ की आर्थिक मदद दी है. केंद्र ने यह बजट, पर्यावरण को बचाने, प्रदेश में होने वाले वनों की कटाई से होने वाले नुकसान को रोकने, खनन और विकास योजनाओं के चलते प्रभावित होने वाले लोगों को सहायता राशि देने के लिए दिया है. इसके साथ ही यह बजट वन क्षेत्रों से हटाये गए लोगों को पुनर्वास कराने, वनों और नदियों का संरक्षण करने पर खर्च किया जाना है. गौर हो कि 2675 करोड़ की धनराशि केंद्रीय वन एव पर्यावरण मंत्री प्रकाश ने उत्तराखंड वन मंत्री हरक सिंह रावत को सौंपी थी.
बाघों की संख्या के मामले में देश में उत्तराखंड तीसरे पायदान पर
- इस साल जारी हुए ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में साल 2018 में बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गयी है. जो देश में बाघों की संख्या के मामले में तीसरे पायदान पर है. जबकि, मध्यप्रदेश 526 बाघों के साथ पहले पायदान पर और कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे पायदान पर है.
- साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग डिक्लेरेशन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया. जिसमें उत्तराखंड राज्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यही नहीं ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार साल-दर-साल प्रदेश में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.
- साल 2010 में बाघों की संख्या 227 थी जो साल 2014 में बढ़ कर 340 हो गयी. इसके बाद साल 2018 में हुए बाघों की गणना में यह आंकड़ा बढ़कर 442 तक पहुंच गया. गौर हो की उत्तराखंड राज्य में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही 12 अन्य वन प्रभागों में बाघ मौजूद हैं.
वाइल्ड लाइफ उत्तराखंड ऐप लांच
इसी साल अक्टूबर महीने में पहली बार मानव वन्यजीव संघर्ष से संबंधित मामलों में तत्काल कार्रवाई के लिए वन विभाग ने 'वाइल्ड लाइफ उत्तराखंड' ऐप का लांच किया है. जिसके तहत प्रदेश में होने वाली मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी. इस ऐप को इस्तेमाल करने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि सही ढंग से इस ऐप का इस्तेमाल किया जा सके. जिस मकसद से इस ऐप को बनाया गया है उसका सदुपयोग किया जा सके. इसके लिए संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को लॉगइन आईडी और पासवर्ड भी दिया गया है.
सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत एमआईएस व्यवस्था
प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष सहित अन्य मामलों की सही जानकारी और मानव वन्यजीव संघर्ष में मुआवजा भुगतान सहित अन्य मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए वन विभाग ने पहली बार सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत एमआईएस की व्यवस्था की है.
वन एवं पर्यावरण, प्रमुख सचिव आनंद वर्धन ने बताया कि साल 2019 वन विभाग के लिए बेहद खास रहा है. यही नहीं इस साल कई बड़ी उपलब्धियां भी रहीं हैं. साथ ही बताया कि अभी भी कई विषयों पर इम्प्रूवमेंट भी किया जाना है, जो विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर और इम्प्रूव करने की कोशिश की जाएगी.