देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए मनरेगा बजट के अनुमान में कटौती पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने सरकार पर कई सवाल उठाए हैं. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रारंभिक स्तर पर ही बजट में कटौती हुई है. क्योंकि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा के लिए 90,000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया था. जिसके सापेक्ष में 60,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. मनरेगा के तहत आवंटन में 30,000 करोड़ की कटौती समझ से परे है.
बजट में कटौती अच्छा संकेत नहीं: उनका कहना है कि यह योजना देश के कई परिवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. करीब 5.6 करोड़ परिवार इस योजना से लाभान्वित होते हैं. ऐसे में मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाला एक प्रमुख जरिया है. खासतौर से भूमिहीन मजदूर और सीमांत व लघु किसानों के लिए यह एक बहुत बड़ा सपोर्ट सिस्टम है. लेकिन मांग के बावजूद इसके बजट में कटौती करना अच्छा संकेत नहीं है, जिसको लेकर सरकार को जवाब देना होगा.
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एप को अनिवार्य करना सही फैसला नहीं: यशपाल आर्य का कहना है कि इसके अलावा सरकार ने मनरेगा श्रमिक की उपस्थिति और मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए अजीब-ओ-गरीब और अव्यवहारिक NMMS एप को अनिवार्य कर दिया है. जिसके तहत मनरेगा के सभी कार्य स्थलों पर श्रमिकों को अपने फोन से दिन में दो बार तस्वीरें अपलोड करनी पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि किसी के पास इतना समय नहीं है कि करोड़ों श्रमिकों की अपलोड की गई तस्वीरों को देखे. इसीलिये यह व्यवस्था कार्यक्रम के साथ श्रमिकों की शत्रुता और हताशा को कहीं न कहीं बढ़ाएगी.