ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश (All India Institute of Medical Science Rishikesh) में आयोजित विश्व स्तनपान सप्ताह (world breastfeeding week) के तहत संस्थान में पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. 'स्तनपान एक साझा जिम्मेदारी' विषय पर आयोजित इस प्रतियोगिता में एमबीबीएस व नर्सिंग के विद्यार्थियों के साथ ही मास्टर्स ऑफ पब्लिक हेल्थ एमपीएच के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया.
इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रोफेसर डॉ रविकांत ने चिकित्सकों व विद्यार्थियों को स्तनपान के महत्व को लेकर मुहिम के तहत जनसामान्य को जागरुक करने का आह्वान किया. उन्होंने बताया के स्तनपान न सिर्फ एक बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है बल्कि समाज और देश के सही विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण व जरूरी विषय है. इस अवसर पर एमबीबीएस, नर्सिंग व एमपीएच के विद्यार्थियों ने पोस्टरों के माध्यम से नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के महत्व समझाया. इनमें से दस पोस्टरों को प्रेजेंटेशन के लिए शामिल किया गया. चयनित सबसे बेहतर संदेश वाले तीन पोस्टर को पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर एमबीबीएस छात्रा एकांशा सिंह और हेमंत भूटानी ने प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने पोस्टर के माध्यम से बताया के किस तरह से हमें स्तनपान को एक सामान्य प्रक्रिया के तौर पर देखने की आवश्यकता है, जिससे महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर भी बिना हिचक के अपने बच्चे को स्तनपान करा सकें. ऐसा करने से स्तनपान के दर में वृद्धि आएगी और बच्चों को सम्पूर्ण आहार मिलेगा.
द्वितीय पुरस्कार विजेता नर्सिंग स्टूडेंट काजल रावत और हिमांशी रावत ने अपने पोस्टर के माध्यम से स्तन पैन के महत्व और सही तौरतरीके के बारे में बताया. उन्होंने बताया के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान करना शुरू कर देना चाहिए और जब तक बच्चा चाहे तब तक स्तनपान कराना चाहिए. पोस्टर के जरिए बताया गया कि ऐसा करने से बच्चे का सही शारीरिक और मानसिक विकास होता है.
पढ़ें: विश्व स्तनपान सप्ताह: मां का दूध पीने वाले शिशुओं से बीमारियां रहती हैं दूर, जानें डॉक्टर की राय
तृतीय पुरस्कार विजेता एमपीएच छात्र शुभम ने अपने पोस्टर के माध्यम से स्तनपान को लेकर जन साधारण को किस तरह से जागरुक किया जा सकता है. उन्होंने बताया के स्तनपान करने का सही तरीका माता को बताने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों को मुकम्मल प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. साथ ही समाज में हर स्तर पर महिलाओं की सहायता और उन्हें सही सुझाव देने के लिए उपयुक्त प्रशिक्षित स्वस्थ्य कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए.