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श्रमिकों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, बोले- बेघर हुए तो छेड़ेंगे उग्र आंदोलन

रैली में हिस्सा लेने वाले मजदूरों की मांग है कि देहरादून में वे काफी लंबे अरसे से रह रहे हैं. लेकिन सरकार आज उनके आशियाना को तोड़ने जा रहा है. ऐसे में अगर वो बेघर किये जाते हैं तो सभी मजदूर संगठित होकर एक बड़ा आंदोलन करेंगे.

-dehradun
देहरादून
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Published : Dec 16, 2019, 4:46 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 5:14 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून में जन हस्तक्षेप के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने धरना स्थल से रैली निकालकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने परेड ग्राउंड के चक्कर लगाकर कनक सिनेमा चौक की तरफ कूच करने की कोशिश की. लेकिन पहले से मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठकर सभा आयोजित की और नगर मजिस्ट्रेट के जरिए सीएम को ज्ञापन सौंपा.

पढ़ें- भारी बर्फबारी में फंसे आठ व्यापारियों को किया रेस्क्यू, तीन के लिए अभियान जारी

इस रैली को समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिला. समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सत्यनारायण सत्तान ने कहा कि सरकार नया श्रमिक कानून लेकर आ रही है. इस नए कानून से श्रमिक के अधिकार प्रभावित होंगे. केंद्र और राज्य सरकार गरीबों के हितों के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. मजदूरों के लिए सरकार ने कोई भी ठोस पॉलिसी नहीं बनाई हैं. इसलिए वे केंद्र और राज्य सरकार का विरोध कर रहे हैं.

श्रमिकों का प्रदर्शन

रैली के दौरान जन हस्तक्षेप के समन्वयक शंकर ने कहा कि राज्य में गरीब और मजदूर लोगों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और राजनीतिकरण बहुत हो रहा है. इसका एक उदाहरण निर्माण मजदूर योजनाओं में मजदूरों के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा न होना है.

पढ़ें- आयुष कॉलेजों की फीस वृद्धि को लेकर HC के अंतिम निर्णय का इंतजार

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार चार नए श्रमिक कानून ला रही है. ये कानून मजदूरों के हक और उनके लिए चलाई जाने वाली योजनाओं को बहुत कमजोर कर देगा. इसके साथ ही केंद्र सरकार वन अधिकार कानून 2006 को भी कमजोर करने का प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने 2018 एक अध्यादेश लाकर मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को बेदखल के मामले में तीन साल की सुरक्षा देने का वादा किया था. लेकिन आज डेढ़ साल बाद भी सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया.

देहरादून: राजधानी देहरादून में जन हस्तक्षेप के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने धरना स्थल से रैली निकालकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने परेड ग्राउंड के चक्कर लगाकर कनक सिनेमा चौक की तरफ कूच करने की कोशिश की. लेकिन पहले से मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठकर सभा आयोजित की और नगर मजिस्ट्रेट के जरिए सीएम को ज्ञापन सौंपा.

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इस रैली को समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिला. समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सत्यनारायण सत्तान ने कहा कि सरकार नया श्रमिक कानून लेकर आ रही है. इस नए कानून से श्रमिक के अधिकार प्रभावित होंगे. केंद्र और राज्य सरकार गरीबों के हितों के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. मजदूरों के लिए सरकार ने कोई भी ठोस पॉलिसी नहीं बनाई हैं. इसलिए वे केंद्र और राज्य सरकार का विरोध कर रहे हैं.

श्रमिकों का प्रदर्शन

रैली के दौरान जन हस्तक्षेप के समन्वयक शंकर ने कहा कि राज्य में गरीब और मजदूर लोगों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और राजनीतिकरण बहुत हो रहा है. इसका एक उदाहरण निर्माण मजदूर योजनाओं में मजदूरों के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा न होना है.

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उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार चार नए श्रमिक कानून ला रही है. ये कानून मजदूरों के हक और उनके लिए चलाई जाने वाली योजनाओं को बहुत कमजोर कर देगा. इसके साथ ही केंद्र सरकार वन अधिकार कानून 2006 को भी कमजोर करने का प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने 2018 एक अध्यादेश लाकर मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को बेदखल के मामले में तीन साल की सुरक्षा देने का वादा किया था. लेकिन आज डेढ़ साल बाद भी सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया.

Intro: राजधानी देहरादून में जन हस्तक्षेप के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल से रैली निकालकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, देहरादून की विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने परेड ग्राउंड के चक्कर लगाकर कनक सिनेमा चौक की तरफ कूच किया जहां पहले से ही मौजूद पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को कनक चौक पर ही रोक दिया। जहां सड़क पर बैठकर प्रदर्शनकारियों ने एक सभा का आयोजन किया और नगर मजिस्ट्रेट को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा


Body:श्रमिकों की रैली में समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया। समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ सत्यनारायण सत्तान का कहना है कि नए श्रमिक कानून लेकर सरकार आ रही है उनसे उनके अधिकार प्रभावित होंगे और हक हकूक भी छिन जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य के सरकारी गरीबों के हितों के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है मजदूरों के लिए सरकार ने कोई भी ठोस पॉलिसी नहीं बनाई है लिहाजा वो केंद्र और राज्य सरकार का विरोध करते हैं।
बाईट-डॉ सत्य नारायण सचान,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सपा

वही मजदूर की रैली का नेतृत्व कर रहे हैं जन हस्तक्षेप के समन्वयक शंकर ने कहा कि राज्य में गरीब और मजदूर लोगों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और राजनीतिकरण बहुत हो रहा है जैसे कि निर्माण मजदूर योजनाओं में मजदूरों के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा ना होना। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 4 नए श्रमिक कानून ला रही है जो मजदूरों के हक और उनके लिए चलाई जाने वाली योजनाओं को बहुत कमजोर करने वाले हैं साथ ही केंद्र सरकार वन अधिकार कानून 2006 को कमजोर करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके अलावा जुलाई 2018 में जन संघर्ष होने के बाद राज्य सरकार ने एक अध्यादेश के तहत मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को बेदखल के मामले में 3 साल की सुरक्षा देने का वादा किया था। आज डेढ़ साल हो जाने के बावजूद 2016 के अधिनियम के तहत कोई नियमन की प्रक्रिया नहीं दिख रही है।

बाइट शंकर ,समन्वयक ,जन हस्तक्षेप


Conclusion: दरअसल सैकड़ों की तादाद मे पहुंचे मजदूरों की मांग है कि देहरादून में वह काफी लंबे अरसे से रह रहे हैं लेकिन जहां पर उन्होंने अपने रहने का आशियाना बनाया है, उसको भी सरकार तोड़ने जा रही है ऐसे में अगर वो बेघर किये जाते हैं तो सभी मजदूर संगठित होकर एक बड़ा आंदोलन करेंगे।
Last Updated : Dec 16, 2019, 5:14 PM IST
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