देहरादून: प्रदेश में हर साल आने वाले पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार पर्यटन के क्षेत्र में नए विकल्प तलाशने में जुटी हुई है. इसी के तहत एक तरफ पर्यटन विभाग की ओर से प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन सर्किट विकसित किए जा रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ पर्यावरण निदेशालय की ओर से प्रदेश में मौजूद विभिन्न वेटलैंड को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए विशेष नीति तैयार की जा रही है.
बता दें कि, इस साल जुलाई माह में आसन झील को रामसर साइट घोषित किया गया था. जिसके बाद अब पर्यावरण निदेशालय की ओर से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद करीब एक हजार वेटलैंड को संवारने को लेकर नीति तैयार की जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस नई नीति के तहत वेटलैंड के संरक्षण का पूरा ख्याल रखा जाएगा. इसके साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा की वेटलैंड में मौजूद जैव विविधता को किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे.
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दरअसल, वेटलैंड जैव विविधता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां जलीय जीवों के साथ ही विभिन्न तरह के वन्यजीव और पेड़ पौधे भी मौजूद होते हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि जब वेटलैंड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए कि यहां मौजूद जैव विविधता को किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे. प्रदेश में चिन्हित वेटलैंड की संख्या 994 है. इसमें 2.25 हेक्टेयर से कम दायरे में फैले वेटलैंड 816 और 2.25 हेक्टेयर से बड़े क्षेत्रफल में फैले वेटलैंड की संख्या 178 है.