देहरादून: थाना चौकी प्रभारी से लेकर रात्रि गश्त ड्यूटी में जाने वाले पुलिस कर्मियों को अब अपने साथ सर्विस पिस्टल के साथ अन्य असलहा रखना अनिवार्य होगा. इसके लिए देहरादून एसएसपी ने जनपद पुलिस को आदेश पारित करते हुए इस नियम का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं ड्यूटी के दौरान अगर हथियार रखने के इस आदेश का उल्लंघन पाया जाता है तो संबंधित पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है. दरअसल, पिछले दिनों दो बदमाशों की धरपकड़ के दौरान पुलिस टीम के पास सर्विस पिस्टल न होने के चलते बदमाश पुलिस पर फायर झोंकने की धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए थे.
कप्तान का नया आदेश
जानकारी के मुताबिक बीते 27 दिसंबर 2020 को देहरादून के नेहरू कॉलोनी अजबपुर क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर राजू बॉक्सर की गोली मारकर हत्या कर हथियारबंद बदमाश मौके से फरार हो गए थे. घटना के उपरांत अलग-अलग पुलिस टीमों द्वारा धरपकड़ की कार्रवाई चली. इसी कार्रवाई के दौरान एक दारोगा सहित कुछ पुलिसकर्मी हत्यारों की घेराबंदी कर आशारोड़ी हाईवे के पास पहुंचे. इसी दौरान हथियारबंद बदमाशों ने निहत्थे दारोगा को फायर झोंकने की धमकी देकर मौके से फरार हो गए. इस लापरवाही का संज्ञान लेते हुए देहरादून एसएसपी डॉक्टर योगेंद्र रावत ने थाना-चौकी प्रभारियों सहित रात्रि गश्त व धरपकड़ ड्यूटी में जाने वाले पुलिसकर्मियों को सर्विस पिस्टल सहित अन्य असला रखने के सख्त निर्देश दिए हैं ताकि मौका पड़ने पर बदमाशों की धरपकड़ के दौरान उनका प्रभावी रूप से मुकाबला किया जा सके.
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मुख्यालय को भेजा जाएगी हथियारों की सूची
देहरादून एसएसपी डॉ. योगेंद्र रावत के मुताबिक इस मामले में उन्होंने जिले के सभी थाना चौकी से सर्विस पिस्टल व अन्य असलहों की सूची मांगी है, ताकि जिस थाना चौकी में हथियार और पिस्टल की कमी हो, उसके अनुसार सूची बनाकर मुख्यालय को हथियारों की डिमांड का प्रस्ताव भेजा जा सकें.
बता दें कि उत्तराखंड राज्य गठन से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कार्यकाल के दौरान अधिकांश दारोगा व इंस्पेक्टर के पास सर्विस पिस्टल या रिवाल्वर रहती थी, ताकि किसी भी तरह की धरपकड़ और बदमाशों से आमना-सामना होने के दरमियान उचित कार्रवाई की जा सकें. लेकिन वर्ष 2000 में उत्तराखंड गठन के उपरांत राज्य थाना चौकी प्रभारियों ने धीरे-धीरे अपनी सर्विस हथियार को जवाबदेही समझते हुए इसको रखना काफी हद तक कम कर दिया हैं, जो प्रभावी पुलिसिंग के लिए सही नहीं है.
रिवाल्वर में खतरा, अब सेफ्टी पिस्टल की कवायद शुरू
वहीं, दूसरी तरफ पुलिस द्वारा सर्विस हथियार को ना रखने की वजह रिवाल्वर जैसे हथियार को भी माना जा रहा है. दरअसल, रिवाल्वर में सेफ्टी लॉक ना होने और इसके लोडिंग अवस्था में होने के चलते इसके चल जाने का डर भी अक्सर बना रहता है. इस कारण भी रिवाल्वर सर्विस हथियार कम इस्तेमाल में है. हालांकि पिस्टल जैसे हथियार जिसमें सेफ्टी लॉक होने की बेहतर सुविधा है, लेकिन इनकी संख्या कम होने के चलते इस्तेमाल में कम हैं. हालांकि अब स्मार्ट और आधुनिक पुलिसिंग के तहत राज्य के शहरी क्षेत्रों में बड़े हथियारों को कम कर छोटे अत्याधुनिक हथियारों को बढ़ाने की कवायद शुरू की गई है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुराने थ्री नोट थ्री जैसे अन्य हथियारों की जगह सेना के तर्ज पर बड़े हथियार उत्तराखंड पुलिस विभाग द्वारा जुटाए जा रहे हैं.