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150 साल पुराने पीपल के पेड़ को ग्रामीणों ने दी अंतिम विदाई

देहरादून के सिंधवाल गांव के लोगों ने 150 साल पुराने एक पीपड़ पेड़ को विधिविधान से अंतिम विदाई दी. साथ ही उसकी जगह पर एक नया पौधा रोपा गया.

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Published : Oct 16, 2021, 7:28 AM IST

पेड़ को दी अंतिम विदाई
पेड़ को दी अंतिम विदाई

देहरादून: वैसे तो पूरी दुनिया में जल और जंगल बचाने के लिए सैकड़ों मुहिम चल रही है पर देहरादून के सिंधवाल गांव के लोगों ने जो उदाहरण पेश किया है, वो शायद अपने आप में अनूठा है. यहां एक अपनी उम्र पूरी कर चुके एक पेड़ को विधिविधान से अंतिम विदाई दी गई. साथ ही उसकी जगह पर एक नया पौधा लगाया गया.

दरअसल, सिंधवाल गांव ग्राम सभा के मुड़िया गांव में लगभग डेढ़ सौ साल पुराना पीपल का पेड़ ढह गया था. ऐसे में पूजा पाठ के बीच गांववालों ने इस पेड़ के चबूतरे के पास ही नया पीपल का पौधा रोपा. ग्रामीणों का कहना है कि पीपल का वर्षों पुराना पेड़ करीब डेढ़ माह पहले आंधी बारिश में गिर गया था. इस पेड़ से हमारी भावनाएं जुड़ी थीं, यह हमारे गांव की पहचान था. हमें पेड़ के गिरने का बहुत दुख है.

सिंधवाल गांव के प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य में पीपल के पेड़ पर पूजा का विधान है और यह पेड़ हमारे गांव और पूर्वजों के जीवन का साक्षी रहा है. वहीं, पीपल का पेड़ गिरने से सिंधवाल गांव के साथ कई गांवों का रास्ता बंद हो गया था. ऐसे में इस पेड़ को रास्ते से हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.

ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी तरह पेड़ काटने वालों का इंतजाम हो पाया और इसे हटाकर रास्ता खोला गया. जेसीबी की मदद से पीपल के पेड़ की जड़ों को बाहर निकाला गया. इसके लिए पूरा चबूतरा उखाड़ना पड़ा. उन्होंने कहा कि चबूतरा बनाने के लिए हमारे पूर्वजों ने कई टन भारी पत्थर लगाए थे. इतने भारी पत्थर वो कहां से लाए होंगे और कैसे इन्हें यहां लगाया होगा उन्हें कुछ नहीं पता.

पढ़ें: उत्तराखंड में दशहरे की धूम, प्रभु श्रीराम के अग्नि बाण से जला लंकेश का अहंकार

वहीं, ग्रामीण मेहर सिंह, मनोहर, हरि सिंह, धर्म सिंह, भरत सिंह, तेज पाल सिंह, शूरवीर, मोहन लाल, गोविंद ने पीपल के पुराने पेड़ को अंतिम विदाई दी और उसके स्थान पर पीपल का नया पौधा रोपा. ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि इसके लिए पूजा पाठ और स्थान की शुद्धि की गई और विधिविधान से नया पीपल का पेड़ लगाया गया.

देहरादून: वैसे तो पूरी दुनिया में जल और जंगल बचाने के लिए सैकड़ों मुहिम चल रही है पर देहरादून के सिंधवाल गांव के लोगों ने जो उदाहरण पेश किया है, वो शायद अपने आप में अनूठा है. यहां एक अपनी उम्र पूरी कर चुके एक पेड़ को विधिविधान से अंतिम विदाई दी गई. साथ ही उसकी जगह पर एक नया पौधा लगाया गया.

दरअसल, सिंधवाल गांव ग्राम सभा के मुड़िया गांव में लगभग डेढ़ सौ साल पुराना पीपल का पेड़ ढह गया था. ऐसे में पूजा पाठ के बीच गांववालों ने इस पेड़ के चबूतरे के पास ही नया पीपल का पौधा रोपा. ग्रामीणों का कहना है कि पीपल का वर्षों पुराना पेड़ करीब डेढ़ माह पहले आंधी बारिश में गिर गया था. इस पेड़ से हमारी भावनाएं जुड़ी थीं, यह हमारे गांव की पहचान था. हमें पेड़ के गिरने का बहुत दुख है.

सिंधवाल गांव के प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य में पीपल के पेड़ पर पूजा का विधान है और यह पेड़ हमारे गांव और पूर्वजों के जीवन का साक्षी रहा है. वहीं, पीपल का पेड़ गिरने से सिंधवाल गांव के साथ कई गांवों का रास्ता बंद हो गया था. ऐसे में इस पेड़ को रास्ते से हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.

ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी तरह पेड़ काटने वालों का इंतजाम हो पाया और इसे हटाकर रास्ता खोला गया. जेसीबी की मदद से पीपल के पेड़ की जड़ों को बाहर निकाला गया. इसके लिए पूरा चबूतरा उखाड़ना पड़ा. उन्होंने कहा कि चबूतरा बनाने के लिए हमारे पूर्वजों ने कई टन भारी पत्थर लगाए थे. इतने भारी पत्थर वो कहां से लाए होंगे और कैसे इन्हें यहां लगाया होगा उन्हें कुछ नहीं पता.

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वहीं, ग्रामीण मेहर सिंह, मनोहर, हरि सिंह, धर्म सिंह, भरत सिंह, तेज पाल सिंह, शूरवीर, मोहन लाल, गोविंद ने पीपल के पुराने पेड़ को अंतिम विदाई दी और उसके स्थान पर पीपल का नया पौधा रोपा. ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि इसके लिए पूजा पाठ और स्थान की शुद्धि की गई और विधिविधान से नया पीपल का पेड़ लगाया गया.

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