देहरादून: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में दलबदल की अटकलों के बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की देहरादून में एंट्री ने सूबे की सियासत तेज कर दी. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद लगभग गायब रहे विजय बहुगुणा अचानक से देहरादून में एक्टिव हो गए हैं. देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करने से पहले उन्होंने उन सभी नेताओं से बात की, जो कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे.
उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों तैयारियों में जुट गई हैं. भाजपा में नाराज चल रहे विधायकों को कांग्रेस अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी है. कांग्रेस दावा कर रही है कि बीजेपी के कई विधायक उनके संपर्क में हैं. वहीं, बीजेपी भी कांग्रेस को झटका देने की हरसंभव कोशिश में लगी है.
ऐसे में बीजेपी की पूरी कोशिश है कि जनता में इस तरह का कोई भी संदेश ना जाए, जिससे पार्टी को आगामी चुनाव में नुकसान हो. लिहाजा बागियों को रोकने के लिए सारे दांवपेंच लगाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी 26 अक्टूबर की देर रात देहरादून पहुंचे थे और उन्होंने कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ से बात की.
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डैमेज कंट्रोल में जुटे बहुगुणा: सियासी जानकारों का मानना है कि विजय बहुगुणा को आलाकमान ने डैमेज कंट्रोल करने के उत्तराखंड भेजा है. यानी हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ को पार्टी में बनाए रखने और तमाम सियासी समीकरणों को सुलझाने के लिए देहरादून भेजा गया है. ऐसे में विजय बहुगुणा ने दोनों बागी साथियों से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की है.
मीडिया से बातचीत करते हुए विजय बहुगुणा ने कहा कि पार्टी में सब कुछ सामान्य चल रहा है और उन्होंने किसी भी तरह के विवाद से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से भाजपा में आए सभी बागी नेता बीजेपी में ही हैं और बीजेपी में ही रहेंगे. हालांकि विकास कार्यों को लेकर चिंता जरूर है.
कांग्रेस से लगातार बागियों की बढ़ रही नजदीकियों पर बोलते हुए विजय बहुगुणा ने कहा कि 'उनका कांग्रेस में मतभेद जरूर है, लेकिन कोई मनभेद नहीं है और उनके द्वारा कभी भी कांग्रेस के आलाकमान के सम्मान में कोई गलत बयानबाजी नहीं की गई है. जो कि एक स्वस्थ राजनीति परंपरा का परिचय देती है'. इस दौरान उन्होंने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव वह और उनके सभी साथी बीजेपी के साथ एकजुट होकर लड़ेंगे और प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी.
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निभाई थी अहम भूमिका: वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तब उनकी अगुआई में जिन नौ कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा का दामन थामा था, उनमें हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा काऊ भी शामिल थे. इस बीच पूर्व मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र संजीव आर्य के कांग्रेस में घर वापसी के बाद से हरक सिंह रावत पर सभी की निगाहें टिकी हैं.
इन दिनों में हरक सिंह के बयानों और पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत के साथ उनके नए रिश्ते को लेकर सियासी गलियारों में तमाम अर्थ निकाले जा रहे हैं. यही नहीं, विधायक काऊ भी अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. कुछ समय पहले ही मंत्री हरक व विधायक काऊ ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की थी.