देहरादूनः विजिलेंस कोर्ट ने रिश्वतखोरी में गिरफ्तार हुए अमीन प्रेम नारायण मिश्रा को चार साल की सजा सुनाई है. साथ ही 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. जबकि, जुर्माने की राशि अदा न करने पर आरोपी को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. यह फैसला 12 साल बाद आया है.
जानकारी के मुताबिक, विजिलेंस कोर्ट ने साल 2009 के एक रिश्वत मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 धारा 7 के तहत अमीन प्रेम नारायण मिश्रा को 3 साल की सजा और ₹5000 का जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है. साथ ही धारा 13 d1, d2 आरोप के आधार पर 1 साल की सजा और ₹5000 का जुर्माना भी लगाया है. ऐसे में दोषी अभियुक्त अमीन प्रेम नारायण मिश्रा को विजिलेंस कोर्ट से कुल 4 साल की सजा और ₹10,000 का जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है.
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वसूली केस फाइल बंद करने के एवज में ली थी दो हजार की रिश्वत
दरअसल, मामला 5 अक्टूबर 2009 का है, जब विजिलेंस को सुषमा जोशी की ओर से एक शिकायती पत्र मिला. जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने साल 2006 में राजपुर रोड स्थित एसबीआई बैंक से 1 लाख 28 हजार का लोन लिया था, लेकिन समय पर किस्तें और लोन की राशि अदा न करने के चलते कुर्की कर वसूली की कार्रवाई शुरू हुई. शिकायतकर्ता के मुताबिक, आरोपी अमीन ने एसबीआई बैंक से लोन की राशि जमा कराने की एवज में आपसी समझौता किया था.
इधर, कुर्की कार्रवाई के तहत पहले से घर पर आ रहे अमीन प्रेम नारायण मिश्रा ने शिकायतकर्ता से बैंक समझौता के दस्तावेजों की मांग करते हुए केस फाइल बंद करने के एवज में ₹2000 की रिश्वत की मांग की. ऐसे में दबाव के आधार 6 अक्टूबर 2009 को शिकायतकर्ता से ₹2000 की रिश्वत वसूलते हुए विजिलेंस की टीम ने अमीन प्रेम नारायण मिश्रा को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.