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काश! सुन लेते त्रिवेंद्र, उत्तरकाशी हेलीकॉप्टर क्रैश से पहले पायलट जाना ने की थी अपील

23 अगस्त को उत्तरकाशी आपदाग्रस्त इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाते हुये दुर्घटनाग्रस्त हुये हेलीकॉप्टर के पायलट सुरेंद्र जाना थे. हादसे में चालक और सह-चालक बाल-बाल बचे. इस हादसे से पहले बीती 21 अगस्त को भी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया था, उस हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई थी. उस दौरान पायलट सुरेंद्र जाना ने हादसे की वजह बताते हुए भारत सरकार से इस संबंध में सुरक्षा के लिहाज से कुछ नए कदम उठाने की अपील की थी और उसके दो दिन बाद उनको खुद ही उस स्थिति का सामना करना पड़ा.

पायलट सुरेंद्र जाना
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Published : Aug 24, 2019, 2:32 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड आपदा राहत कार्यों में यूं तो अभी तक हेलीकॉप्टर क्रैश होने के साथ ही कई बार इमरजेंसी लैंडिंग भी करानी पड़ी है लेकिन ऐसे कई मामलों में राहत कार्य में लगे लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. अभी 21 अगस्त को ही राहत कार्य में लगे एक हेलीकॉप्टर के क्रैश होने से तीन लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, उस हादसे के दो दिन बाद 23 अगस्त को एक बार फिर वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा. पायलट इमरजेंसी लैंडिंग करवाना चाहते थे लेकिन हेली पत्थरों पर आकर क्रैश हुआ. हेलीकॉप्टर में मौजूद पायलट और को-पायलट की जान बाल-बाल बची.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

दरअसल, 23 अगस्त को हुआ ताजा मामला उत्तरकाशी नगवाड़ा गांव का है. यहां आपदा राहत कार्यों में लगाये गये हेलीकॉप्टर के संचालन की जिम्मेदारी कैप्टन सुरेंद्र जाना की थी. उन्हीं की सूझबूझ से दोनों लोगों की जान बच सकी. कैप्टन जाना ने 21 अगस्त के हादसे के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत की थी और सरकार से गुजारिश की थी कि घाटियों में लगे ट्रॉली के तार हेलीकॉप्टर से दिखायी नहीं देते हैं. लिहाजा राज्य सरकार, विदेशों की तर्ज पर उत्तराखंड की इन घाटियों में लगे केबलो की मार्किंग कर दें, ताकि इन केबलों की वजह से कोई और हेलीकॉप्टर के साथ हादसा न हो.

हेलीकॉप्टर क्रैश रोकने के लिए पायलट सुरेंद्र जाना ने कहा केबलों की मार्किंग जरूरी.

पढ़ें- उत्तरकाशी: रेस्क्यू में लगा हेलीकॉप्टर टिकोची में दुर्घटनाग्रस्त, सभी सुरक्षित

कैप्टन जाना ने सरकारी सिस्टम से पर्वतीय क्षेत्रों में वैलीपार कराने वाली केबल तारों की मार्किंग करने का अनुरोध करते हुए बताया था कि पर्वतीय क्षेत्रों की रैलियों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए जो केबल लगाई जाती है उनकी मार्किंग विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर करनी चाहिए. ताकि भविष्य में आपदा जैसे हालात पैदा होने के बाद राहत और बचाव कार्यों में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों से दो-चार ना होना पड़े. साथ ही उनका कहना था कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केबल वायर की व्यवस्थाओं को ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए, क्योंकि लोगों की जान बचाने के जुनून के वक्त चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट समय की बाध्यता के कारण जिस दौरान फ्लाई कर रहे होते हैं, उस वक्त आसमान से केबल दिखनी चाहिए, लेकिन कई बार केबल न दिखने की वजह से इस तरह के हादसे हो जाते हैं.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

वक्त का फेर देखिये पायलट जाना ने जिस केबल तारों की मार्किंग की अपील सरकार से की थी उनका हेलीकॉप्टर भी उन्हीं तारों के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ. हालांकि, पायलट जाना ने केबल में फंसने के बाद भी अपनी काबलियत और सूझबूझ से हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करा दी. जिस वजह से पायलट जाना और तकनीकी सहायक बाल-बाल बच गए. इस हादसे में दोनों को हल्की चोट जरूर आयी हैं, दोनों सुरक्षित हैं. आपको बता दे कि सुरेंद्र जाना आर्मी से रिटायर हैं और पिछले 39 सालों से फ्लाइंग कर रहे हैं.

uttarkashi helicopter crash
पायलट का आईडी कार्ड.

यह भी पढ़ेंः एक बार फिर हेलीकॉप्टर हादसे का कारण बने ट्रॉली तार, पायलट की सूझबूझ से बची जिंदगियां

पायलट जाना द्वारा सरकार से केबलों पर मार्किंग के अनुरोध किये जाने के सवाल पर नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि हेलीकॉप्टर के संचालन के संदर्भ में जो नियंत्रक प्राधिकार हैं वो डीजीसीए के पास हैं जो भारत सरकार की इकाई है. नागर विमानन नियामक डीजीसीए ही रेगुलेटर है और वही बताते हैं कि हेलीपैड किस तरह का होना चाहिए साथ ही फ्लाइंग के लिए क्या कंडीशन होना चाहिए. इसलिए जो भी डायरेक्शन डीजीसीए से आता है उसी को लागू किया जाता है. हालांकि, हेलीकॉप्टर के एक्सीडेंट से जुड़े कोई डायरेक्शन आते हैं तो उसे लागू किया जाएगा.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

साथ ही बताया कि अगर डीजीसीए इस बात को कहता है वैली में फ्लाइंग करने के लिए केबलों की मार्किंग जरूरी है तो नागरिक उड्डयन विभाग लगा देगा, लेकिन किसी जगह पर अगर कोई नई चीज करनी है तो बहुत ज्यादा कॉस्ट, टेक्नोलॉजी की जरूरत पड़ती है इसलिए अगर डीजीसीए से कोई डायरेक्शन आ जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

देहरादूनः उत्तराखंड आपदा राहत कार्यों में यूं तो अभी तक हेलीकॉप्टर क्रैश होने के साथ ही कई बार इमरजेंसी लैंडिंग भी करानी पड़ी है लेकिन ऐसे कई मामलों में राहत कार्य में लगे लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. अभी 21 अगस्त को ही राहत कार्य में लगे एक हेलीकॉप्टर के क्रैश होने से तीन लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, उस हादसे के दो दिन बाद 23 अगस्त को एक बार फिर वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा. पायलट इमरजेंसी लैंडिंग करवाना चाहते थे लेकिन हेली पत्थरों पर आकर क्रैश हुआ. हेलीकॉप्टर में मौजूद पायलट और को-पायलट की जान बाल-बाल बची.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

दरअसल, 23 अगस्त को हुआ ताजा मामला उत्तरकाशी नगवाड़ा गांव का है. यहां आपदा राहत कार्यों में लगाये गये हेलीकॉप्टर के संचालन की जिम्मेदारी कैप्टन सुरेंद्र जाना की थी. उन्हीं की सूझबूझ से दोनों लोगों की जान बच सकी. कैप्टन जाना ने 21 अगस्त के हादसे के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत की थी और सरकार से गुजारिश की थी कि घाटियों में लगे ट्रॉली के तार हेलीकॉप्टर से दिखायी नहीं देते हैं. लिहाजा राज्य सरकार, विदेशों की तर्ज पर उत्तराखंड की इन घाटियों में लगे केबलो की मार्किंग कर दें, ताकि इन केबलों की वजह से कोई और हेलीकॉप्टर के साथ हादसा न हो.

हेलीकॉप्टर क्रैश रोकने के लिए पायलट सुरेंद्र जाना ने कहा केबलों की मार्किंग जरूरी.

पढ़ें- उत्तरकाशी: रेस्क्यू में लगा हेलीकॉप्टर टिकोची में दुर्घटनाग्रस्त, सभी सुरक्षित

कैप्टन जाना ने सरकारी सिस्टम से पर्वतीय क्षेत्रों में वैलीपार कराने वाली केबल तारों की मार्किंग करने का अनुरोध करते हुए बताया था कि पर्वतीय क्षेत्रों की रैलियों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए जो केबल लगाई जाती है उनकी मार्किंग विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर करनी चाहिए. ताकि भविष्य में आपदा जैसे हालात पैदा होने के बाद राहत और बचाव कार्यों में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों से दो-चार ना होना पड़े. साथ ही उनका कहना था कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केबल वायर की व्यवस्थाओं को ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए, क्योंकि लोगों की जान बचाने के जुनून के वक्त चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट समय की बाध्यता के कारण जिस दौरान फ्लाई कर रहे होते हैं, उस वक्त आसमान से केबल दिखनी चाहिए, लेकिन कई बार केबल न दिखने की वजह से इस तरह के हादसे हो जाते हैं.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

वक्त का फेर देखिये पायलट जाना ने जिस केबल तारों की मार्किंग की अपील सरकार से की थी उनका हेलीकॉप्टर भी उन्हीं तारों के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ. हालांकि, पायलट जाना ने केबल में फंसने के बाद भी अपनी काबलियत और सूझबूझ से हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करा दी. जिस वजह से पायलट जाना और तकनीकी सहायक बाल-बाल बच गए. इस हादसे में दोनों को हल्की चोट जरूर आयी हैं, दोनों सुरक्षित हैं. आपको बता दे कि सुरेंद्र जाना आर्मी से रिटायर हैं और पिछले 39 सालों से फ्लाइंग कर रहे हैं.

uttarkashi helicopter crash
पायलट का आईडी कार्ड.

यह भी पढ़ेंः एक बार फिर हेलीकॉप्टर हादसे का कारण बने ट्रॉली तार, पायलट की सूझबूझ से बची जिंदगियां

पायलट जाना द्वारा सरकार से केबलों पर मार्किंग के अनुरोध किये जाने के सवाल पर नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि हेलीकॉप्टर के संचालन के संदर्भ में जो नियंत्रक प्राधिकार हैं वो डीजीसीए के पास हैं जो भारत सरकार की इकाई है. नागर विमानन नियामक डीजीसीए ही रेगुलेटर है और वही बताते हैं कि हेलीपैड किस तरह का होना चाहिए साथ ही फ्लाइंग के लिए क्या कंडीशन होना चाहिए. इसलिए जो भी डायरेक्शन डीजीसीए से आता है उसी को लागू किया जाता है. हालांकि, हेलीकॉप्टर के एक्सीडेंट से जुड़े कोई डायरेक्शन आते हैं तो उसे लागू किया जाएगा.

uttarkashi helicopter crash
घायल पायलट सुरेंद्र जाना को रेस्क्यू करती SDRF.

साथ ही बताया कि अगर डीजीसीए इस बात को कहता है वैली में फ्लाइंग करने के लिए केबलों की मार्किंग जरूरी है तो नागरिक उड्डयन विभाग लगा देगा, लेकिन किसी जगह पर अगर कोई नई चीज करनी है तो बहुत ज्यादा कॉस्ट, टेक्नोलॉजी की जरूरत पड़ती है इसलिए अगर डीजीसीए से कोई डायरेक्शन आ जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी......

उत्तराखंड आपदा राहत कार्यों में यूं तो अभी तक कहीं हेलीकॉप्टर क्रैश होने के साथ ही कई बार इमरजेंसी लैंडिंग भी करानी पड़ी है। ताजा मामला नगवाड़ा गांव का है जहाँ आपदा राहत कार्यों में जुटे कैप्टन सुरेंद्र जाना, जिन्होंने हेलीकॉप्टर उड़ाने की चैलेंज को पार करने से पहले ही ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से गुजारिश की थी। आखिर सरकार से क्या गुजारिश की थी, देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट....


Body:बीते बुधवार को राहत बचाव कार्य में जुटा एक हेलीकॉप्टर क्रेश हो गया था। जिसमे पायलट, को-पायलट समेत तीन लोगों की जान चली गयी थी। जिसका मुख्य कारण घाटियों में लगे ट्रॉली के तार थे। जिसमें टकराकर हेलीकॉप्टर अपना संतुलन खो बैठा और क्रेश हो गया। हालांकि इसी सिलसिले में पायलट सुरेंद्र जाना ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील किया था कि घाटियों में लगे ट्रॉली के तार हेलीकॉप्टर से दिखायी नही देते है। लिहाजा राज्य सरकार, विदेशो की तर्ज पर उत्तराखंड की इन घाटियों में लगे केबलो की मार्किंग कर दे। ताकि इन केबलो की वजह से कोई और हेलीकॉप्टर के साथ हादसा न हो जाए।


कैप्टन सुरेंद्र जाना ने सरकारी सिस्टम से पर्वतीय क्षेत्रों में वैलीपार कराने वाली केवल तारो की मार्किंग करने का अनुरोध करते हुए बताइस था कि पर्वतीय क्षेत्रों की रैलियों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए जो केबल लगाई जाती है। उनकी मार्किंग विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर करनी चाहिए। ताकि भविष्य में आपदा जैसे हालात पैदा होने के बाद राहत और बचाव कार्यों में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों से दो-चार ना होना पड़े। साथ ही कहा था कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केवल वायर की व्यवस्थाओं को ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए, क्योंकि लोगों की जान बचाने के जुनून के वक्त चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट समय की बाध्यता के कारण जिस दौरान फ्लाई कर रहे होते हैं उस वक्त आसमान से केबल दिखनी चाहिए। लेकिन कई बार केवल ना दिखने की वजह से इस तरह के हादसे हो जाते हैं।

बाइट - सुरेंद्र के० जाना, पायलट

हालांकि पायलट जाना ने जिस बात को लेकर ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील की थी। उसी घटना के खुद पायलट जाना भी शिकार हो गए। हालांकि पायलट जाना, खुद केबल में फसने के बाद अपनी काबिलियत और सूझबूझ से हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करा दी। जिस वजह से पायलट जाना और तकनीकी सहायक बाल-बाल बच गए। और इस हादसे में दोनों को हल्की चोट जरूर आयी हैं। आपको बता दे कि सुरेंद्र जाना, आर्मी से रिटायर है और पिछले 39 सालों से फ्लाइंग कर रहे है। 


पायलट सुरेंद्र जाना द्वारा सरकार से केबलो पर मार्किंग के अनुरोध किये जाने के सवाल पर नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि हेलीकॉप्टर के संचालन के संदर्भ में जो नियंत्रक प्राधिकार है वो डीजीसीए के पास है। जो भारत सरकार की इकाई है। डीजीसीए ही रेगुलेटर है और यही बताते है कि हेलीपैड किस तरह का होना चाहिए साथ ही फ्लाइंग के लिए क्या क्या कंडिशन होना चाहिए। इसलिए जो भी डायरेक्शन डीजीसीए से आता है। उसी को लागू किया जाता है। हालांकि हुए हेलीकॉप्टर के एक्सीडेंट से जुड़े कोई डायरेक्शन आते है तो उसे लागू किया जाएगा। साथ ही बताया कि अगर डीजीसीए इस बात को कहता है वैली में फ़्लाइंग करने के लिए केबलो कि मार्किंग जरूरी है तो लगा नागरिक उड्डयन विभाग लगा देगा। लेकिन किसी जगह पर अगर कोई नई चीज करनी है तो बहुत ज्यादा कॉस्ट, टेक्नोलॉजी की जरूरत पड़ती है, इसलिए अगर डीजीसीए से कोई डायरेक्शन आ जाता है तो उसपर कार्यवाही की जाएगी।

बाइट - दिलीप जावलकर, सचिव नागरिक उड्डयन




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