चमोलीः विश्व प्रसिद्ध व विश्व धरोहर फूलों की घाटी (Valley of Flowers) आज से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. वन विभाग के अधिकारियों ने घाटी का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद घाटी को पर्यटकों के लिए खोल दिया है.
फूलों के साथ वन्य जीवों का होगा दीदार
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल फूलों को घाटी पर्यटकों के लिए 15 अगस्त को खोली गई थी. पिछले साल 942 देशी, विदेशी पर्यटकों ने फूलों की घाटी का दीदार किया था. लेकिन इस साल पिछले साल की तुलना में 45 दिन पहले घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. लिहाजा, पर्यटन विभाग को पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है. घाटी का दीदार करने पहुंचने वाले पर्यटक न केवल रंग-बिरंगे फूलों का दीदार करेंगे, बल्कि घाटी में मौजूद दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों (rare species of wildlife) का भी दीदार कर सकेंगे.
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पैदल मार्ग और पुलों की मरम्मत
नंदा देवी बायोस्फीयर (Nanda Devi Biosphere) के निदेशक अमित कंवर (Amit Kanwar) का कहना है कि उच्चस्तरीय अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोले जाने का फैसला लिया गया. उन्होंने बताया कि स्वयं तीन दिन तक घाटी का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया है. घाटी में पैदल मार्गों व पैदल पुलों की मरम्मत का काम 1 जून से पहले ही पूरा कर लिया गया था.
रैपिड एंटीजन व RT-PCR रिपोर्ट जरूरी
अमित कंवर ने बताया कि कोविड-19 नियमों के साथ अन्य राज्यों के पर्यटक भी फूलों की घाटी के दीदार के लिए आ सकते हैं. बशर्ते रैपिड एंटीजन व RT-PCR टेस्ट में से किसी एक टेस्ट की 72 घंटे पहले की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य है.
फूलों की घाटी के बारे में जानें
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं. यह भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में चमोली जिले में है. यह फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है.
फूलों की घाटी घूमने का बढ़िया समय
फूलों की घाटी भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है. सितंबर में यहां ब्रह्मकमल खिलते हैं.
ऐसे पहुंचें फूलों की घाटी
फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट है. जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है.
ये फूल हैं फूलों की घाटी की शान
नवम्बर से मई माह के मध्य घाटी सामान्यतः हिमाच्छादित रहती है. जुलाई एवं अगस्त माह के दौरान एल्पाइन जड़ी की छाल की पंखुडियों में रंग छिपे रहते हैं. यहां सामान्यतः पाये जाने वाले फूलों के पौधों में एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान इत्यादि प्रमुख हैं.
यूनेस्को ने घोषित किया राष्ट्रीय उद्यान
फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. इसे यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था. हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यह घाटी बेहद खूबसूरत है. यहां फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी.