देहरादून: यह साल लोगों को कई ऐसी यादें दे गया है कि लोगों के जेहन में इसकी तस्वीर हमेशा बनी रहेगी. भले ही वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण हो या आपदा, इसके जख्म भुलाए नहीं जा सकते हैं. लोग साल 2021 के आगाज के साथ ही इस बात की उम्मीद लगा रहे हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से निजात मिल जाएगा. जी हां, साल 2020 विश्व के पटल पर एक ऐसा साल साबित हुआ है जो सभी देशों के लिए एक चुनौती बनकर सामने आया. वहीं उत्तराखंड सरकार ने कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिए जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गए हैं.
साल 2020 न सिर्फ भारत देश के लिहाज से बल्कि उत्तराखंड राज्य के आर्थिक पर एक गहरा असर डाला है. इस दौरान सारी सुविधाएं पूरी तरह से ठप हो गई थी. लेकिन साल 2020 ने उत्तराखंड राज्यवासियों को कई बड़ी सौगातें भी दी हैं, जो राज्य की जनता के लिए काफी महत्वपूर्ण रही है. इस साल उत्तराखंड सरकार ने कई अहम फैसले लिए, जिसका लाभ लोगों को मिलेगा.
साल 2020 में मिली बड़ी सौगातें?
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते राज्य को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. प्रदेश के तमाम महत्वपूर्ण विभाग इस आर्थिक संकट से अभी भी जूझ रहे हैं. इसके साथ ही प्रदेश की जनता इस महामारी के चलते ना सिर्फ अपने घरों में कैद हो गए हैं. बल्कि उनका व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ गया. इस महामारी के चलते ठप हुई पर्यटन गतिविधियों से लाखों परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन अनलॉक के बाद स्थितियां तो सामान्य होने लगी. लेकिन प्रदेश के भीतर की पर्यटन और आर्थिक गतिविधियो को सुचारू रूप में लाने में अभी भी वक्त है.
ग्रीष्मकालीन राजधानी की सौगात
साल 2020 उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज हो गया है, हालांकि 4 मार्च 2020 यह वह दिन है. जब पिछले 20 सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार उत्तराखंड राज्य को अपनी स्थायी ग्रीष्मकालीन राजधानी मिल गई. क्योंकि साल 2000 में राज्य गठन के बाद से ही राजधानी की मांग चल रही थी. लेकिन एक लंबा अरसा बीतने के बाद भी राजधानी का गठन नहीं हो पाया था. ऐसे में भराड़ीसैंण में हुए बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 4 मार्च 2020 को उत्तराखंडवासियों की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए भराड़ीसैण (गैरसैंण) को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया.
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ग्रीष्मकालीन राजधानी को करोड़ों की सौगात
इस साल जहां त्रिवेंद्र सरकार ने राज्यवासियों को ग्रीष्मकालीन राजधानी का एक बड़ा तोहफा दिया था तो वहीं इसी साल, उत्तराखंड राज्य के 21वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बड़ी सौगात देते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को विकसित करने के लिए 25 हज़ार करोड़ रुपए की घोषणा की. हालांकि इस बजट से आगामी 10 सालों के भीतर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के अनुरूप विकसित किया जाएगा. यानी हर साल 2500-2500 करोड़ का प्रावधान हर बजट में ग्रीष्मकालीन राजधानी को विकसित करने के लिए किया जाएगा.
घंटों का सफर होगा आसान
राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड राज्य सरकार ने राज्य के भीतर देहरादून से चिन्यालीसौड़ और गौचर के लिए पहली बार हेली सेवाओं की शुरूआत की. जिससे न सिर्फ पर्यटकों को काफी लाभ मिल रहा है बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों से आपातकाल के दौरान मरीजों को देहरादून लाने में भी काफी सहूलियत हो रही है. मुख्य रूप से देखा जाए तो अभी तक राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आम जनता के लिए हैली सेवाएं संचालित नहीं की जा रही थी. लेकिन आपातकाल की स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड राज्य सरकार ने इस ओर कदम बढ़ाया और उड़ान योजना के तहत हैली सेवाओं का संचालन शुरू किया गया.
उत्तराखंड के चंपावत जिले में मिली केंद्रीय विद्यालय की सौगात
इस साल शिक्षा के क्षेत्र में भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड राज्य को बड़ी सौगात दी है. जी हां, उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में खासकर चंपावत जिले में केंद्रीय विद्यालय की मांग लंबे समय से चल रही थी. जिसे देखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित एसएसबी में केंद्रीय विद्यालय का शुभारंभ किया. हालांकि उस दौरान केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने देश के अन्य तीन राज्यों में भी केंद्रीय विद्यालय की सौगात दी थी.
इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़े महाविद्यालय और विश्वविद्यालय
साल 2020 उत्तराखंड राज्य के नेटवर्किंग के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि उत्तराखंड राज्य देश का एक पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसके सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़ गए हैं. जी हां, उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश में मौजूद 106 महाविद्यालयों और 5 विश्वविद्यालयों को हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ दिया है जिससे राज्य के करीब 2 लाख छात्र-छात्राओं को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा. हालांकि, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने की कवायद लंबे समय से चल रही थी.
केदारनाथ धाम की तर्ज पर होगा बदरीनाथ धाम का विकास
साल 2013 में केदारघाटी में आयी भीषण आपदा के बाद केदार घाटी में पुनर्निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे हैं हालांकि अभी तक दूसरे चरण के कार्य लगभग संपन्न होने को है. ऐसे में अब केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की तर्ज पर ही बदरीनाथ धाम की भी कायाकल्प किए जाने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है. हालांकि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस परियोजना पर मुहर लगाई है. बदरीनाथ धाम के कायाकल्प को लेकर तैयार किए गए मास्टर प्लान के तहत करीब 400 करोड रुपए खर्च किया जाएगा. इस मास्टर प्लान में बदरीनाथ धाम में विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाएगा. हालांकि यह आगामी करीब 100 सालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बदरीनाथ धाम को विकसित किया जाएगा.
सूर्यधार झील की सौगात
उत्तराखंड राज्य सरकार ने इस साल प्रदेशवासियों को सूर्यधार झील की बड़ी सौगात दी है. हालांकि, इस झील का शिलान्यास 3 साल पहले दिसंबर 2017 में किया गया था. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल, सूर्यधार झील कई मायने में बेहद खास है. क्योंकि इस झील से लगभग 18 गांव को सिंचाई और 19 गांव को पेयजल उपलब्ध होने के साथ ही पेयजल आपूर्ति पूरी तरह से ग्रेविटी आधारित होगी. यही नहीं पर्यटन के लिहाज से भी सूर्य धार झील काफी खास बताया जा रहा है क्योंकि राज्य सरकार ने इस और भी ध्यान दिया है कि इस झील में नौकायन और अन्य पर्यटन गतिविधियों के साथ ही पर्यटक प्रकृति का दीदार कर सकेंगे. यही नहीं, इस बहुउद्देशीय योजना के माध्यम से हर साल करीब 7 करोड़ रुपये की बिजली की भी बचत और किसानों को साल भर पानी मिलेगा.
इलेक्ट्रिक बस की सौगात
हिसार उत्तराखंड राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत देहरादून वासियों को इलेक्ट्रिक बसों की बड़ी सौगात दी है. हालांकि इन बसों का संचालन जल्द शुरू होने जा रहा है लेकिन फिलहाल राज्य सरकार ने 30 बसों को चलाने की योजना को धरातल पर उतार दिया है. यही नहीं, इलेक्ट्रिक बसों के किराए का भी निर्धारण किया जा चुका है. ई-बसों में यात्रियों को आम सिटी बसों के मुकाबले ना सिर्फ काफी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी बल्कि इन बसों से प्रदूषण को भी काफी राहत मिलने वाली है. फिलहाल इन बसों को देहरादून के भीतर छह रूटों पर संचालित किए जाने का रोड मैप तैयार कर लिया गया है. बीते कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरी झंडी दिखाकर ही बसों को रवाना किया था.