ETV Bharat / state

ग्लासगो में बोलीं स्निग्धा तिवारी, जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहे हिमालयी क्षेत्र - COP26 Glasgow

एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन में शामिल सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के चुनाव में उत्तराखंड की स्निग्धा को ग्लोबल ग्रीन में प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था.

Uttarakhand Snigdha Tiwari represent global green
Uttarakhand Snigdha Tiwari represent global green
author img

By

Published : Nov 8, 2021, 7:58 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 8:39 PM IST

देहरादून: स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए क्लाइमेट समिट में विश्व के बड़े-बड़े नेता जुटे थे. जो खबरों का केंद्र भी रहे, लेकिन इस बीच वहां मौजूद रही उत्तराखंड की एडवोकेट स्निग्धा तिवारी भी चर्चा का विषय बनी रहीं. उत्तराखंड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी को एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन की ओर से ग्लोबल ग्रीन के प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था.

ग्लासगो में अपने संबोधन में अधिवक्ता स्निग्धा ने कहा कि यहां मैं अपने देश का ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरे ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व कर रही हूं. जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा नुकसान हिमालयी राज्य उत्तराखंड को भुगतान पड़ रहा है, जहां से मैं आती हूं. भारत से सफर करके मैं ग्लासगो इसलिए पहुंची हूं ताकि अपनी आवाज आप लोगों तक पहुंचा सकूं. हमारे लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. उनके खेत खलिहान और मकान आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं. उत्तराखंड में बीते दिनों आई आपदा से कारण सड़कें बंद हैं. सैकड़ों लोग यहां-वहां फंसे थे. इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे.

ग्लासगो में बोलीं स्निग्धा तिवारी.

स्निग्धा ने कहा कि हम जिस तरह के जलवायु संकट से गुजर रहे हैं. उसी का कारण है कि Global Action Day के मौके पर हमने मार्च निकाला. जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए इस पर तत्काल ठोस कदम उठाये जाने की मांग को लेकर है. ऐसे में ग्लासगो में जो क्लाइमेट चेंज सम्मेलन चल रहा है कि उसमें कोई वास्तविक कदम जलवायु संकट को लेकर नहीं उठाये गए हैं. जो यह सुनिश्चित करें कि हमारे लोग सुरक्षित हैं, उन्हें जीने का अधिकार है जो प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं. मैं इसलिए यहां आई हूं, हमें पुनर्मूल्यांकन करना होगा. जो जलवायु परिवर्तन से कारण उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के उपायों का सुनिश्चित करें. हरित आश्वासन हमें नहीं चाहिए. जलवायु में हो रहे परिवर्तन से दक्षिणी देश झुलस रहे हैं. हमारे कुछ साथी दक्षिणी देशों से आए हैं. ग्लासगो में हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जाएं. मुझे आप लोगों का समर्थन चाहिए.

पढ़ें- ग्लासगो सम्मेलन : तमिलनाडु की विनिशा ने खूब बटोरी सुर्खियां, प्रिंस विलियम ने भेजा था न्योता

बता दें कि एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन में शामिल सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के चुनाव में स्निग्धा को ग्लोबल ग्रीन में प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था. एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन (Asia Pacific Greens Federation) में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ईराक, लेबनॉन, मंगोलिया, ताईवान, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश सहित 21 देश शामिल हैं. इससे पूर्व एक वर्ष के लिए स्निग्धा तिवारी इस फेडरेशन की संयोजक चुनी गई थी.

ग्लोबल ग्रीन में एपीजीएफ की तरह अमेरिका यूरोप एवं अफ्रीकी देशों के चार फेडरेशन हैं. इन चार फेडरेशनों से चुने गए 24 प्रतिनिधि ग्लोबल ग्रीन के दो वैश्विक महाधिवेशन के बीच इसका नेतृत्व करते हैं. वहीं, एडवोकेट स्निग्धा तिवारी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी की पुत्री हैं.

देहरादून: स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए क्लाइमेट समिट में विश्व के बड़े-बड़े नेता जुटे थे. जो खबरों का केंद्र भी रहे, लेकिन इस बीच वहां मौजूद रही उत्तराखंड की एडवोकेट स्निग्धा तिवारी भी चर्चा का विषय बनी रहीं. उत्तराखंड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी को एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन की ओर से ग्लोबल ग्रीन के प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था.

ग्लासगो में अपने संबोधन में अधिवक्ता स्निग्धा ने कहा कि यहां मैं अपने देश का ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरे ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व कर रही हूं. जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा नुकसान हिमालयी राज्य उत्तराखंड को भुगतान पड़ रहा है, जहां से मैं आती हूं. भारत से सफर करके मैं ग्लासगो इसलिए पहुंची हूं ताकि अपनी आवाज आप लोगों तक पहुंचा सकूं. हमारे लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. उनके खेत खलिहान और मकान आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं. उत्तराखंड में बीते दिनों आई आपदा से कारण सड़कें बंद हैं. सैकड़ों लोग यहां-वहां फंसे थे. इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे.

ग्लासगो में बोलीं स्निग्धा तिवारी.

स्निग्धा ने कहा कि हम जिस तरह के जलवायु संकट से गुजर रहे हैं. उसी का कारण है कि Global Action Day के मौके पर हमने मार्च निकाला. जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए इस पर तत्काल ठोस कदम उठाये जाने की मांग को लेकर है. ऐसे में ग्लासगो में जो क्लाइमेट चेंज सम्मेलन चल रहा है कि उसमें कोई वास्तविक कदम जलवायु संकट को लेकर नहीं उठाये गए हैं. जो यह सुनिश्चित करें कि हमारे लोग सुरक्षित हैं, उन्हें जीने का अधिकार है जो प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं. मैं इसलिए यहां आई हूं, हमें पुनर्मूल्यांकन करना होगा. जो जलवायु परिवर्तन से कारण उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के उपायों का सुनिश्चित करें. हरित आश्वासन हमें नहीं चाहिए. जलवायु में हो रहे परिवर्तन से दक्षिणी देश झुलस रहे हैं. हमारे कुछ साथी दक्षिणी देशों से आए हैं. ग्लासगो में हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जाएं. मुझे आप लोगों का समर्थन चाहिए.

पढ़ें- ग्लासगो सम्मेलन : तमिलनाडु की विनिशा ने खूब बटोरी सुर्खियां, प्रिंस विलियम ने भेजा था न्योता

बता दें कि एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन में शामिल सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के चुनाव में स्निग्धा को ग्लोबल ग्रीन में प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था. एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन (Asia Pacific Greens Federation) में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ईराक, लेबनॉन, मंगोलिया, ताईवान, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश सहित 21 देश शामिल हैं. इससे पूर्व एक वर्ष के लिए स्निग्धा तिवारी इस फेडरेशन की संयोजक चुनी गई थी.

ग्लोबल ग्रीन में एपीजीएफ की तरह अमेरिका यूरोप एवं अफ्रीकी देशों के चार फेडरेशन हैं. इन चार फेडरेशनों से चुने गए 24 प्रतिनिधि ग्लोबल ग्रीन के दो वैश्विक महाधिवेशन के बीच इसका नेतृत्व करते हैं. वहीं, एडवोकेट स्निग्धा तिवारी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी की पुत्री हैं.

Last Updated : Nov 8, 2021, 8:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.