देहरादून: नमस्कार सर. मैं... बैंक से स्वाति बात कर रही हूं. सर हमारे बैंक के सालाना लकी ड्रॉ में आपका अकाउंट नंबर, पहले नंबर पर निकला है. सावधान... इस तरह के फोन कॉल्स कुछ ही मिनटों में अकाउंट को खाली कर आपको लाखों का चूना लगा सकते हैं. झारखंड के जामताड़ा ने साइबर क्राइम में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. देहरादून पुलिस अब जामताड़ा के साइबर ठगों से निपटने के लिए ATS की मदद लेगी. बैंक अकाउंट की ऑनलाइन इंफॉर्मेशन हैक करने के अलावा सोशल मीडिया में सेंधमारी के जरिए जामताड़ा में बैठे अपराधी जनता की कमाई पर डाका डालते हैं.
हाल ही में देहरादून पुलिस ने जामताड़ा के साइबर अपराधियों का पर्दाफाश करते हुए कई अहम जानकारियां जुटाई हैं. ऐसे में झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाके जामताड़ा में जोखिम भरे ऑपरेशन और साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड का सहारा लेने जा रही है. ताकि ऑपरेशनल सक्सेस में कोई गुंजाइश ना रहे. देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी के मुताबिक उत्तराखंड में साइबर क्राइम के अधिकतर मामलों के तार झारखंड के जामताड़ा से ही जुड़े रहते हैं. दून पुलिस साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कई टीमें बनाकर इन अपराधियों पर शिकंजा कस रही है.
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झारखंड के संथाल परगना का जामताड़ा देशभर में साइबर क्राइम के लिए कुख्यात है. करीब 22 राज्यों की पुलिस जामताड़ा में ऑपरेशन करते हुए अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाती रहती है. ऐसे में देहरादून पुलिस नक्सल प्रभावित इलाके में जोखिम भरे अभियानों में सफलता पाने के लिए ATS की मदद लेने जा रही है.
झारखंड का जामताड़ा अक्सर देश-विदेश में चर्चाओं के केंद्र में रहता है. हाल ही में नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा पर आधारित वेब सीरीज रिलीज हुई है. संथाल परगना के जामताड़ा से 17 किलोमीटर दूर है करमाटांड. कभी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मस्थली थी. आज यहां साइबर क्राइम का जाल है. बेहद कम-पढ़े लिखे यहां के युवक मोबाइल और तकनीकी के जरिए बॉलीवुड हस्तियों, नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स तक के बैंक खातों में सेंध लगा चुके हैं.