देहरादून: तेजी से बदलते इस दौर में हर पेशे में ये कहा जाता है कि अपने काम में हमेशा अपडेट रहो नहीं तो पीछे रह जाओगे. इस फलसफे को अपराध कीदुनिया के लोग भी बखूबी अपना रहे हैं. यही वजह है कि आज के दौर में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. वहीं, उत्तराखंड पुलिस भी केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत हाई टेक तरीके अपनाकर लगातार कार्य कर रही है, ताकि साइबर क्राइम जैसे आधुनिक अपराध पर अंकुश लगसके.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत उत्तराखंड में स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए सीपीयू इकाई का गठन किया गया है. तो वहीं स्पेशल टास्क फोर्स और साइबर पुलिस स्टेशनों को भी हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से लैस किया गया है. पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत साल 2018 में उत्तराखंड में पुलिस विभाग के लिए डीएनए फॉरेंसिक बनाया गया था. लेकिन अभी भी राज्य पुलिस के पास लाई डिटेक्टर टेस्ट और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट सुविधा उपलब्ध नहीं है.
वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के मामले में देश के कई राज्यों की तुलना में उत्तराखंड पुलिस काफी सफल है. उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने आधुनिक तकनीक की मदद से साइबर क्राइम से जुड़े नाइजीरियन गैंग से लेकर पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, दिल्ली और झारखंड के हाईटेक अपराधियों का खुलासा कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया है.
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक में केंद्र सरकार की पुलिस मॉडर्नाइजेशन के योजना में केंद्र और राज्य सरकार का 90-10 का अनुपात रहता है. 90 फीसदी बजट केंद्र सरकार देती है और 10 प्रतिशत बजट राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है.
उत्तराखंड पुलिस मॉडर्नाइजेशन का जिम्मा संभालने वाले आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि हाईटेक क्राइम से निपटने के लिए सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक टूल्स जरूरत के मुताबिक मुहैया कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक अपराध के जांच विवेचना के लिए सभी जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एसटीएफ और साइबर पुलिस स्टेशनों में इंस्टॉल कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बेसिक पुलिसिंग को आधुनिक बनाने के लिए पुराने हथियारों से लेकर मोबिलिटी में भी लगातार सुधार किया जा रहे है.
संजय गुंज्याल ने बताया कि साल 2019 के लिए पुलिस मॉडर्नाइजेशन का फंड केंद्र सरकार को नए डिमांड अनुसार भेजा जा चुका है. जिसको हाई पावर कमेटी द्वारा मंजूरी मिल गई है. ऐसे में फंड मिलने के बाद आधुनिक उपकरण विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा.