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पुलिस को हाईटेक टेक्नोलॉजी की दरकार, साइबर क्राइम के खिलाफ हुई सख्त

उत्तराखंड पुलिस को चाहिए हाईटेक उपकरण व सॉफ्टवेयर. बजट मंजूरी के बाद जल्द शुरू होगी पुलिस आधुनिक उपकरणों से लैस.

दून सिटी को हाईटेक टेक्नोलॉजी की दरकार
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Published : Mar 9, 2019, 8:54 AM IST

Updated : Mar 9, 2019, 12:02 PM IST

देहरादून: तेजी से बदलते इस दौर में हर पेशे में ये कहा जाता है कि अपने काम में हमेशा अपडेट रहो नहीं तो पीछे रह जाओगे. इस फलसफे को अपराध कीदुनिया के लोग भी बखूबी अपना रहे हैं. यही वजह है कि आज के दौर में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. वहीं, उत्तराखंड पुलिस भी केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत हाई टेक तरीके अपनाकर लगातार कार्य कर रही है, ताकि साइबर क्राइम जैसे आधुनिक अपराध पर अंकुश लगसके.

जानकारी देते पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत उत्तराखंड में स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए सीपीयू इकाई का गठन किया गया है. तो वहीं स्पेशल टास्क फोर्स और साइबर पुलिस स्टेशनों को भी हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से लैस किया गया है. पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत साल 2018 में उत्तराखंड में पुलिस विभाग के लिए डीएनए फॉरेंसिक बनाया गया था. लेकिन अभी भी राज्य पुलिस के पास लाई डिटेक्टर टेस्ट और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट सुविधा उपलब्ध नहीं है.

वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के मामले में देश के कई राज्यों की तुलना में उत्तराखंड पुलिस काफी सफल है. उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने आधुनिक तकनीक की मदद से साइबर क्राइम से जुड़े नाइजीरियन गैंग से लेकर पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, दिल्ली और झारखंड के हाईटेक अपराधियों का खुलासा कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया है.

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक में केंद्र सरकार की पुलिस मॉडर्नाइजेशन के योजना में केंद्र और राज्य सरकार का 90-10 का अनुपात रहता है. 90 फीसदी बजट केंद्र सरकार देती है और 10 प्रतिशत बजट राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है.

उत्तराखंड पुलिस मॉडर्नाइजेशन का जिम्मा संभालने वाले आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि हाईटेक क्राइम से निपटने के लिए सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक टूल्स जरूरत के मुताबिक मुहैया कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक अपराध के जांच विवेचना के लिए सभी जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एसटीएफ और साइबर पुलिस स्टेशनों में इंस्टॉल कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बेसिक पुलिसिंग को आधुनिक बनाने के लिए पुराने हथियारों से लेकर मोबिलिटी में भी लगातार सुधार किया जा रहे है.

संजय गुंज्याल ने बताया कि साल 2019 के लिए पुलिस मॉडर्नाइजेशन का फंड केंद्र सरकार को नए डिमांड अनुसार भेजा जा चुका है. जिसको हाई पावर कमेटी द्वारा मंजूरी मिल गई है. ऐसे में फंड मिलने के बाद आधुनिक उपकरण विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा.

देहरादून: तेजी से बदलते इस दौर में हर पेशे में ये कहा जाता है कि अपने काम में हमेशा अपडेट रहो नहीं तो पीछे रह जाओगे. इस फलसफे को अपराध कीदुनिया के लोग भी बखूबी अपना रहे हैं. यही वजह है कि आज के दौर में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. वहीं, उत्तराखंड पुलिस भी केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत हाई टेक तरीके अपनाकर लगातार कार्य कर रही है, ताकि साइबर क्राइम जैसे आधुनिक अपराध पर अंकुश लगसके.

जानकारी देते पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत उत्तराखंड में स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए सीपीयू इकाई का गठन किया गया है. तो वहीं स्पेशल टास्क फोर्स और साइबर पुलिस स्टेशनों को भी हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से लैस किया गया है. पुलिस मॉडर्नाइजेशन योजना के तहत साल 2018 में उत्तराखंड में पुलिस विभाग के लिए डीएनए फॉरेंसिक बनाया गया था. लेकिन अभी भी राज्य पुलिस के पास लाई डिटेक्टर टेस्ट और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट सुविधा उपलब्ध नहीं है.

वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के मामले में देश के कई राज्यों की तुलना में उत्तराखंड पुलिस काफी सफल है. उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने आधुनिक तकनीक की मदद से साइबर क्राइम से जुड़े नाइजीरियन गैंग से लेकर पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, दिल्ली और झारखंड के हाईटेक अपराधियों का खुलासा कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया है.

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक में केंद्र सरकार की पुलिस मॉडर्नाइजेशन के योजना में केंद्र और राज्य सरकार का 90-10 का अनुपात रहता है. 90 फीसदी बजट केंद्र सरकार देती है और 10 प्रतिशत बजट राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है.

उत्तराखंड पुलिस मॉडर्नाइजेशन का जिम्मा संभालने वाले आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि हाईटेक क्राइम से निपटने के लिए सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक टूल्स जरूरत के मुताबिक मुहैया कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक अपराध के जांच विवेचना के लिए सभी जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एसटीएफ और साइबर पुलिस स्टेशनों में इंस्टॉल कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बेसिक पुलिसिंग को आधुनिक बनाने के लिए पुराने हथियारों से लेकर मोबिलिटी में भी लगातार सुधार किया जा रहे है.

संजय गुंज्याल ने बताया कि साल 2019 के लिए पुलिस मॉडर्नाइजेशन का फंड केंद्र सरकार को नए डिमांड अनुसार भेजा जा चुका है. जिसको हाई पावर कमेटी द्वारा मंजूरी मिल गई है. ऐसे में फंड मिलने के बाद आधुनिक उपकरण विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा.

Intro:Pls डेस्क नोट-महोदय इस स्पेशल स्टोरी के विसुअल और बाईट पहले ही मोजो द्वारा भेज दी गई हैं। देहरादून- बदलते समयानुसार अपराध करने का तरीका भी अब हाईटेक हो चला है। वर्तमान समय में सबसे अधिक हाईटेक अपराध की श्रेणी में साइबर क्राइम तेजी से उभरता हुआ ऐसा आधुनिक अपराध हैं। इसके जरिए एक देश से दूसरे देश तक में बैठा शख्स किसी को भी अपना शिकार बना रहा हैं,हालांकि केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी पुलिस मॉर्डनाइजेशन योजना के तहत उत्तराखंड पुलिस भी आधुनिक पुलिस बनकर साइबर क्राइम से पार पाने के हाईटेक तरीके अपनाकर लगातार काम कर रही हैं।ताकि बदलते समय अनुसार इस तरह के आधुनिक क्राइम पर अंकुश लगा सके। अन्य अपराधों की तुलना साइबर क्राइम के जरिए लगातार पेशेवर अपराधी जिस तरह से उत्तराखंड में भी लॉटरी, विदेश यात्रा, व्यापार,दोस्ती सहित अन्य विषयों कोरा लालच देकर हर वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, हालांकि इस दिशा में भी देश के कई राज्यों की तुलना उत्तराखंड पुलिस STF आधुनिक तकनीक के ज़रिए साइबर क्राइम से जुड़े नाइजीरियन गैंग से लेकर पश्चिम बंगाल असम ,महाराष्ट्र ,दिल्ली झारखंड जैसे तमाम हाईटेक अपराधियों का खुलासा कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंच आ चुकी है।


Body:केंद्र सरकार द्वारा पुलिस मॉर्डनाइजेशन योजना के तहत उत्तराखंड में जहां बेसिक पुलिसिंग के साथ साथ स्ट्रीट टाइम को रोकने की दिशा में स्कॉटलैंड पुलिस की तर्ज पर उत्तराखंड पुलिस में CPU इकाई का गठन कर हाईटेक गया, तो वहीं स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और साइबर पुलिस स्टेशनों में तमाम हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से लैस कर लगातार आधुनिक अपराध से निपटने के लिए सक्षम बनाया जा रहा है। संगीन अपराध हत्या,बलात्कार जैसे अन्य अपराधों में डीएनए जैसी महत्वपूर्ण जांच के लिए उत्तराखंड पुलिस को लंबे समय तक अन्य राज्यों के प्रयोगशाला का मुंह ताकना पड़ता था, अब इस दिशा में भी वर्ष 2018 केन्द्रीय पुलिस मॉर्डनाइजेशन स्कीम के तहत उत्तराखंड पुलिस को अपनी डीएनए फॉरेंसिक लैब मिल चुकी हैं। लाई डिटेक्टर टेस्ट व इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट सुविधा अब भी उत्तराखंड पुलिस के पास मौजूद नहीं- पुलिस मॉर्डनाइजेशन के तहत उत्तराखंड पुलिस के पास अन्य तरह के हाईटेक क्राइम से निपटने के लिए वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट की सुविधा ना होने के साथ-साथ लाई डिटेक्टर टेस्ट जैसे महत्वपूर्ण मशीनी जांच ना होने के चलते उत्तराखंड में कई संगीन रहस्यमय अपराध अब भी पुलिस खुलासे से कोसों दूर है। वही आधुनिक पुलिसिंग के संबंध में उत्तराखंड में राज्य कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि पुलिस मॉर्डनाइजेशन के तहत देश की अन्य राज्यों की तुलना उत्तराखंड पुलिस आधुनिक अपनाकर साइबर क्राइम मामलों में देश -विदेश के अपराधियों को पकड़ हाईटेक अपराध में बेहतरीन खुलासे किए हैं, हालांकि आए दिन जहां अपराधी नए-नए टेक्नोलॉजी के जरिए से क्राइम को अंजाम रहे हैं उसी दिशा में राज्य के पुलिस भी लगातार हर दिन आधुनिक तकनीक को अपनाकर खुद को जरूरत मुताबिक अपग्रेड कर रही है। डीजी अशोक कुमार ने माना कि मॉर्डनाइजेशन स्कीम के तहत उत्तराखंड पुलिस में लगातार सुधार हो रहा है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सर्टिफिकेट के साथ साथ लाई डिटेक्टर पॉलिटेस्ट जैसे महत्वपूर्ण जांच मशीनें की कमी फ़िलहाल उत्तराखंड पुलिस विभाग में बड़ी जरूरत बनती जा रही है हालांकि इस सुविधा को भी बढ़ाने की दिशा में भी लगातार प्रयास जारी हैं। बाइट- अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध व कानून व्यवस्था


Conclusion:उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय आला अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक में पुलिस मॉडर्नाइजेशन के तहत केंद्र सरकार की योजना में 90 - 10 का रेशू आता है यानी 90 फ़ीसदी केंद्र सरकार की तरफ से और 10 प्रतिशत बज़ट का फंड राज्य सरकार की तरफ से आधुनिक पुलिस को बढ़ावा देने की कवायद लगातार जारी है। हाईटेक क्राइम सबसे ज्यादा व तेज़ी से बढ़ने वाला अपराध आज की तारीख में अन्य अपराधों की तुलना साइबर क्राइम उत्तराखंड पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।हालांकि इससे निपटने के लिए उत्तराखंड पुलिस मॉर्डनाइजेशन के तहत स्पेशल टास्क फोर्स (STF) व साइबर पुलिस स्टेशनों में जितने भी लेटेस्ट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जो किसी भी साइबर क्राइम डिटेक्शन इन्वेस्टिगेशन में काम आ सकते हैं उन से पार पाने के लिए ख़रीदे जा चुके हैं। समय अनुसार हाईटेक क्राइम से निपटने के लिए पुलिस में आधुनिक संसाधन बढ़ते जा रहे हैं:आईजी मॉर्डनाइजेशन उधर इस मामलें में उत्तराखंड पुलिस मॉडर्नाइजेशन का जिम्मा संभालने वाले आईजी संजय गुंज्याल के मुताबिक आज की तारीख में हाईटेक क्राइम से पार पाने के लिए उत्तराखंड पुलिस सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक टूल्स जरूरत के मुताबिक अपने पास मुहैया कर रही है, आधुनिक अपराध के जांच विवेचना के लिए सभी जरूरी हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर एसटीएफ और साइबर पुलिस स्टेशन में इंस्टॉल किए जा चुके है। इसके साथ बेसिक पुलिसिंग को आधुनिक बनाने के लिए पुराने हथियारों से लेकर मोबिलिटी में भी लगातार एडवांस सुधार किए जा रहे हैं ,इसके अलावा इस साल 2019 में पुलिस मॉर्डनाइजेशन का फंड केंद्र सरकार को नए डिमांड अनुसार भेजा जा चुका है, जिसको हाई पावर कमेटी द्वारा सैंक्शन किया जा चुका है, ऐसे में फंड अप्रूवल होने के बाद मॉर्डनाइजेशन लिस्ट अनुसार नए अपग्रेड व अन्य आधुनिक चीजों को उत्तराखंड पुलिस विभाग मुख्य धारा में उपलब्ध कराया जा सकेगा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आज लगातार बढ़ते हाईटेक क्राइम से निजात पाने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार केंद्र सरकार सहयोग से आगे बढ़ती जा रही है। बाइट -संजय गुंज्याल, आईजी, पुलिस मॉर्डनाइजेशन ,उत्तराखंड
Last Updated : Mar 9, 2019, 12:02 PM IST
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