देहरादून: केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने देशभर की पुलिस को सेक्सुअल एसॉल्ट एविडेंस कलेक्ट किट (SAECK) उपलब्ध कराई है. इस किट का मकसद दुष्कर्म व सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसी घटनाओं में समय रहते सबूत नष्ट होने से पहले मौके पर वैज्ञानिक साक्ष्य, सबूत इकट्ठा करना है. पहले इस कार्य के लिये स्थानीय पुलिस को फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) टीम का इंतजार करना पड़ता था, इस बीच कई साइंटिफिक एविडेंस नष्ट हो जाते थे.
अभी उत्तराखंड पुलिस को 117 किट उपलब्ध कराई गई हैं. इसके इस्तेमाल से वैज्ञानिक तथ्यों की समय रहते जांच पड़ताल की जा सकेगी. इस सुविधा को आधुनिक पुलिसिंग के बढ़ते कदम और दुष्कर्म जैसे अपराधों को सफलतापूर्वक जांच के रूप में देखा जा रहा है.
इस किट के सही इस्तेमाल के लिए अलग-अलग जनपदों में थाने चौकी स्तर पर चुनिंदा पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये काम देहरादून और हल्द्वानी में स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) टीम कर रही है. अबतक देहरादून में 98 पुलिसकर्मियों को इस किट के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जबकि नैनीताल जनपद में अबतक 20 पुलिसकर्मियों को इस बारे में ट्रेनिंग दी जा चुकी है.
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उत्तराखंड पुलिस को मुहैया कराई गई 'सेक्सुअल एसॉल्ट एविडेंस कलेक्शन किट' में कुल 18 उपकरण हैं. इनके जरिये ब्लड सैंपल से लेकर तमाम वैज्ञानिक सबूत इकट्ठा किए जा सकेंगे, जिससे घटना की वास्तविकता सामने आएगी.
इस किट में प्रमुख तौर से मौजूद उपकरण-
- एफटीए माइक्रो कार्ड (FTA micro card)
- निट्राइल ग्लव्स (Nitrile Gloves)
- एनवलप्स (Envelopes)
- एल्कोहल वाइप्स (Alcohol wipe)
- मल्टी बैरियर पाउच (Multi barrier pouch)
- टैंपर एविडेंट टेप (Tamper evident tape)
- डिस्पोजेबल लेनसेट (Disposable lancet)
- स्टराइल फोम (Sterile foam)
- ट्रिप्ड एप्लिकेटर (Tipped applicator)
सर्किल के आधार पर देहरादून में 18, हरिद्वार में 18, उधमसिंह नगर में 15, नैनीताल में 15, टिहरी-9, पौड़ी-6, उत्तरकाशी-6, चमोली-6, अल्मोड़ा-6, चंपावत-6, पिथौरागढ़ -6, रुद्रप्रयाग- 3 और बागेश्वर में 3 SAECK किट उपलब्ध कराई गई हैं.
इस मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि इस अत्याधुनिक साइटिंफिक किट से पुलिस टीम को केस की जांच में काफी मदद मिलेगी. ऐसे में उम्मीद है कि इस किट के जरिए किसी भी दुष्कर्म व सेक्सुअल हैरेसमेंट की घटना में सबूत नष्ट होने से पहले ही साइंटिफिक एविडेंस एकत्र किये जा सकेंगे, जिसके चलते किसी भी केस की जांच में पहले से अधिक सफलता मिलेगी.