देहरादून: उत्तराखंड शासन ने गुरुवार को 14 अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपी गई. शासन द्वारा जारी तबादले की सूची में पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल का नाम भी शामिल है. चौंकाने वाली बात ये है कि पीसीएस अधिकारी गौरव को पहले रुद्रप्रयाग जिले से हटाकर नैनीताल का डिप्टी कलेक्टर बना दिया और बाद में शासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद उपजिलाधिकारी के तौर पर यहां ड्यूटी करने वाले पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल खासा चर्चाओं में बने रहे. दरअसल, चटवाल अपने उस पत्र के बाद चर्चा में आए जिसमें उन्होंने केदारनाथ में दुर्गम ड्यूटी करने में असमर्थता जताते हुए त्यागपत्र देने की बात लिख दी थी. हालांकि बाद में अधिकारी ने कहा कि वो छुट्टी के लिए पत्र लिख रहा था, लेकिन इसे भूल से त्याग पत्र लिख दिया.
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खास बात यह है कि पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल ने नैनीताल से रुद्रप्रयाग तैनाती लेते हुए न तो अपने सीनियर अधिकारियों को सूचित किया और न ही प्रधानमंत्री के दौरे के बाद अचानक कार्यक्षेत्र छोड़ने की किसी को जानकारी दी थी. बाद में उनके त्यागपत्र से विभाग में खलबली मच गई थी.
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कड़ी कार्रवाई के बजाय को अधिकारी मनमाफिक तबादला
गौरव चटवाल के दुर्गम क्षेत्र में ड्यूटी न करने की बात कहने के बाद से माना जा रहा था कि शासन की तरफ से इसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लेकिन, शासन ने तबादला सूची जारी कर गौरव चटवाल को नैनीताल का डिप्टी कलेक्टर बनाकर राहत दी. हालांकि, अगले ही पल एक कारण बताओ नोटिस शासन की तरफ से जारी किया गया, जिसमें गौरव चटवाल से 7 दिन के भीतर उनके द्वारा की गई अनुशासनहीनता और लापरवाह रवैये को लेकर जवाब मांगा गया है.
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शासन के रवैया पर सवाल
गौरव चटवाल को राहत देकर दुर्गम में काम न करने वाले अधिकारियों को गलत संदेश दे दिया है. और, कारण बताओ नोटिस देकर अपना कड़ा रवैया भी जाहिर किया. हालांकि, पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल को राहत स्वरूप नैनीताल भेजे जाने के आदेश के बाद कारण बताओ नोटिस को महज औपचारिकता माना जा रहा है. सवाल यह है कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में विधि अधिकारी पहाड़ों पर ड्यूटी करने को लेकर खुद असमर्थता जताएगा तो कैसे राज्य में व्यवस्थाएं लागू होंगी.