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Union Budget 2023: उत्तराखंड को नहीं मिला ग्रीन बोनस का तोहफा, फ्लोटिंग पॉपुलेशन से बढ़ी परेशानी - अन्न श्री योजना से मोटे अनाज को बढ़ावा

उत्तराखंड को ग्रीन बोनस मामले में इस बार भी आज बजट में निराशा ही मिली है. पर्यावरण संरक्षण और फ्लोटिंग पॉपुलेशन के एवज में उत्तराखंड लगातार ग्रीन बोनस की मांग उठा रहा है, लेकिन इस बार भी आम बजट में ग्रीन बोनस को लेकर कोई जिक्र नहीं हुआ. उधर, उत्तराखंड के मोटे अनाज उत्पादों के लिए अच्छी खबर है. केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 मना रही है. जिससे मोटे अनाज मंडुआ, झंगोरा, राम दाना, चौलाई आदि को बढ़ावा मिलेगा.

CM Dhami statement on Green Bonus to Uttarakhand
उत्तराखंड को ग्रीन बोनस पर सीएम धामी का बयान
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Published : Feb 2, 2023, 5:46 PM IST

Updated : Feb 2, 2023, 6:17 PM IST

उत्तराखंड को ग्रीन बोनस पर सीएम धामी का बयान.

देहरादूनः उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्य पर्वतीय राज्य हैं. सालों से दोनों ही पर्वतीय राज्य ग्रीन बोनस की मांग समय-समय पर भारत सरकार से उठाते रहे हैं. क्योंकि, दोनों ही राज्य पर्यावरण के क्षेत्र में बड़ा योगदान देते हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार हर साल आम बजट में ग्रीन बोनस को लेकर आस लगाए बैठी रहती है, लेकिन इस बार आम बजट में एक बार फिर पर्वतीय राज्यों को निराशा हाथ लगी है. क्योंकि, बजट में ग्रीन बोनस को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं है.

वहीं, ग्रीन बोनस के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि ग्रीन बोनस के मामले को नीति आयोग की बैठकों में उठाते रहे हैं. अन्य पर्वतीय राज्यों ने भी ग्रीन बोनस की मांग का प्रस्ताव नीति आयोग की बैठक में रख चुके हैं, लेकिन अभी तक ग्रीन बोनस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. साथ ही कहा कि वो भारत सरकार से इस बाबत कई बार बात कर चुके हैं कि जो केंद्र सरकार की ओर से तमाम योजनाएं या स्कीमें चलाई जाती है, उसे राज्य की परिस्थितियों के अनुसार राज्यों को दिए जाए.

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखंड की पॉपुलेशन सवा करोड़ है. इसके अलावा हर साल राज्य में 6 करोड़ से ज्यादा फ्लोटिंग पॉपुलेशन रहती है. यानी करीब हर साल 6 करोड़ लोग उत्तराखंड आते जाते हैं. लिहाजा राज्य सरकार को उनके लिए भी तमाम व्यवस्थाएं करनी पड़ती है. यही वजह है कि वो केंद्र सरकार से यह मुद्दा लगातार उठाते रहे कि इस ओर भी ध्यान रखा जाए.

उनका कहना है कि सरकार की ओर से जो स्कीमें चलाई जाती है, वो सभी राज्यों के लिए समान होती है, लेकिन उत्तराखंड राज्य के लिए अलग स्कीम का लाभ दिया जाना चाहिए. क्योंकि समान रूप से राज्यों को योजनाएं देने पर पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. लिहाजा, राज्य की परिस्थितियों के अनुसार केंद्रीय योजनाओं को उस राज्य में उतारना चाहिए.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती, जर्मन एक्सपर्ट्स की राय जानिए

उत्तराखंड के मोटे अनाज उत्पादित करने वाले किसानों को मिलेगा लाभः देश में मोटे अनाज को बढ़ावा दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मना रही है. ताकि, भारत के मोटे अनाजों और उसके मूल्य वर्धित उत्पादों को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया जा सके. उत्तराखंड समेत कई राज्यों में मोटे अनाज का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. उत्तराखंड में मंडुआ, झंगोरा, राम दाना, चौलाई समेत अन्य तमाम ऐसे उत्पाद हैं, जो मोटे अनाज में शामिल है. माना जा रहा है कि इससे किसानों को अच्छा मूल्य और प्रोत्साहन मिलेगा.

गौर हो कि केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा दिए जाने को लेकर अन्न श्री योजना की शुरुआत की है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट भाषण के दौरान मंडुआ का जिक्र किया, जो कि उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है. उम्मीद है कि अन्न श्री योजना से प्रदेश का मोटे अनाज को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही किसानों को अच्छा मूल्य और प्रोत्साहन भी मिल सकेगा. राज्य में मंडुआ और रामदाना समेत अन्य मोटे अनाज का उत्पादन होता है. राज्य सरकार भी मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर रही है. अब केंद्र सरकार की अन्न श्री योजना से प्रदेश के किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड से 9600 मीट्रिक टन मंडुआ खरीदेगी केंद्र सरकार, ₹3574 समर्थन मूल्य निर्धारित

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ रहा है, जो चिंता की बात है. पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने मुआवजे का प्रावधान भी किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर विशेष रूप से फोकस करते हुए समाधान की ओर चर्चा किया गया है. ताकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जो परंपरागत मोटे अनाज की कृषि होती है, वहां इस समस्या से निजात मिल सके.

उत्तराखंड को ग्रीन बोनस पर सीएम धामी का बयान.

देहरादूनः उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्य पर्वतीय राज्य हैं. सालों से दोनों ही पर्वतीय राज्य ग्रीन बोनस की मांग समय-समय पर भारत सरकार से उठाते रहे हैं. क्योंकि, दोनों ही राज्य पर्यावरण के क्षेत्र में बड़ा योगदान देते हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार हर साल आम बजट में ग्रीन बोनस को लेकर आस लगाए बैठी रहती है, लेकिन इस बार आम बजट में एक बार फिर पर्वतीय राज्यों को निराशा हाथ लगी है. क्योंकि, बजट में ग्रीन बोनस को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं है.

वहीं, ग्रीन बोनस के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि ग्रीन बोनस के मामले को नीति आयोग की बैठकों में उठाते रहे हैं. अन्य पर्वतीय राज्यों ने भी ग्रीन बोनस की मांग का प्रस्ताव नीति आयोग की बैठक में रख चुके हैं, लेकिन अभी तक ग्रीन बोनस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. साथ ही कहा कि वो भारत सरकार से इस बाबत कई बार बात कर चुके हैं कि जो केंद्र सरकार की ओर से तमाम योजनाएं या स्कीमें चलाई जाती है, उसे राज्य की परिस्थितियों के अनुसार राज्यों को दिए जाए.

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखंड की पॉपुलेशन सवा करोड़ है. इसके अलावा हर साल राज्य में 6 करोड़ से ज्यादा फ्लोटिंग पॉपुलेशन रहती है. यानी करीब हर साल 6 करोड़ लोग उत्तराखंड आते जाते हैं. लिहाजा राज्य सरकार को उनके लिए भी तमाम व्यवस्थाएं करनी पड़ती है. यही वजह है कि वो केंद्र सरकार से यह मुद्दा लगातार उठाते रहे कि इस ओर भी ध्यान रखा जाए.

उनका कहना है कि सरकार की ओर से जो स्कीमें चलाई जाती है, वो सभी राज्यों के लिए समान होती है, लेकिन उत्तराखंड राज्य के लिए अलग स्कीम का लाभ दिया जाना चाहिए. क्योंकि समान रूप से राज्यों को योजनाएं देने पर पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. लिहाजा, राज्य की परिस्थितियों के अनुसार केंद्रीय योजनाओं को उस राज्य में उतारना चाहिए.
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उत्तराखंड के मोटे अनाज उत्पादित करने वाले किसानों को मिलेगा लाभः देश में मोटे अनाज को बढ़ावा दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मना रही है. ताकि, भारत के मोटे अनाजों और उसके मूल्य वर्धित उत्पादों को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया जा सके. उत्तराखंड समेत कई राज्यों में मोटे अनाज का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. उत्तराखंड में मंडुआ, झंगोरा, राम दाना, चौलाई समेत अन्य तमाम ऐसे उत्पाद हैं, जो मोटे अनाज में शामिल है. माना जा रहा है कि इससे किसानों को अच्छा मूल्य और प्रोत्साहन मिलेगा.

गौर हो कि केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा दिए जाने को लेकर अन्न श्री योजना की शुरुआत की है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट भाषण के दौरान मंडुआ का जिक्र किया, जो कि उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है. उम्मीद है कि अन्न श्री योजना से प्रदेश का मोटे अनाज को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही किसानों को अच्छा मूल्य और प्रोत्साहन भी मिल सकेगा. राज्य में मंडुआ और रामदाना समेत अन्य मोटे अनाज का उत्पादन होता है. राज्य सरकार भी मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर रही है. अब केंद्र सरकार की अन्न श्री योजना से प्रदेश के किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है.
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वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ रहा है, जो चिंता की बात है. पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने मुआवजे का प्रावधान भी किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर विशेष रूप से फोकस करते हुए समाधान की ओर चर्चा किया गया है. ताकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जो परंपरागत मोटे अनाज की कृषि होती है, वहां इस समस्या से निजात मिल सके.

Last Updated : Feb 2, 2023, 6:17 PM IST
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