देहरादूनः उत्तराखंड में गैरसैंण एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. इसको लेकर राजनीतिक दल अपनी प्राथमिकता भी जाहिर करते रहे हैं. उधर, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की प्रतिबद्धता राजनीतिक दलों की तरफ से दिखाई देती है, लेकिन साफ तौर पर कोई भी राष्ट्रीय दल इस पर बोलता हुआ नजर नहीं आता है. आलम ये है कि अब गुपचुप रूप से फाइलों में देहरादून के रायपुर में एक नई विधानसभा इमारत बनाने की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल, लैंड ट्रांसफर की दिशा में काम किया जा रहा है.
केंद्र सरकार से देहरादून के रायपुर में विधानसभा बनाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है. जिसके बाद एनपीवी यानी नेट प्रेजेंट वैल्यू (Net Present Value) सरकार की तरफ से दी जा चुकी है. लेकिन बड़ी परेशानी भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की उस रिपोर्ट को लेकर है, जिसमें भूमि को लेकर वाइल्ड लाइफ मीटिंग एक्शन प्लान के तहत 15 करोड़ 37 लाख रुपए का भुगतान सरकार को करना है. बस इसी रकम के चलते साल 2019 से शुरू हुई प्रक्रिया फिलहाल ठंडे बस्ते में है.
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बता दें कि यह 59.9 हेक्टेयर की भूमि रायपुर में चिन्हित की गई है. फिलहाल, लैंड ट्रांसफर का पहला स्टेज चल रहा है. इस पर बात वाइल्ड लाइफ मिटिगेशन के तहत जमा होने वाले पैसे के भुगतान पर रुकी हुई है. राजधानी देहरादून के रायपुर में बनने वाली नई विधानसभा इमारत के लिए पहले चरण में भूमि वन विभाग से राज्य संपत्ति विभाग को ट्रांसफर होनी है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने सचिव राज्य संपत्ति विनोद कुमार सुमन से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में प्रगति गतिमान है. इस पर अभी पूरी तरह से मंजूरी नहीं हुई है. प्रस्तावित नई विधानसभा के लिए चिन्हित इस भूमि में विधानसभा भवन के साथ ही सचिवालय भवन और आधारभूत सुविधाएं विकसित किए जाने का प्लान है.
फिलहाल, देहरादून में चलने वाला विधानसभा भवन पूर्व में विकास भवन रहा है. नया प्रदेश बनने के बाद इसी विकास भवन को विधानसभा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी (Uttarakhand Assembly Speaker Ritu Khanduri) बताती हैं कि यह विधानसभा भवन अस्थायी तौर पर फिलहाल प्रयोग में लाया जा रहा है. इसमें काफी कम जगह होने के कारण कई तरह की दिक्कतें सामने आती हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व में रायपुर क्षेत्र में विधानसभा बनाए जाने का प्लान प्रस्तावित था, लेकिन अभी इस पर किसी भी तरह की वार्ता उनके स्तर पर नहीं हुई है.
दीक्षित आयोग दे चुका है स्थायी राजधानी को लेकर रिपोर्टः उत्तराखंड में स्थायी राजधानी बनाए जाने को लेकर गठित दीक्षित आयोग की तरफ से रिपोर्ट सरकार को काफी पहले ही जमा कर दी गई थी. एक सदस्यीय इस आयोग में वीरेंद्र दीक्षित आयोग ने स्थायी राजधानी को लेकर अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बातों को रखा था. हालांकि, बताया गया कि इस रिपोर्ट में गैरसैंण को स्थायी राजधानी के लिए सबसे उपयुक्त जगह नहीं माना गया.
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दीक्षित आयोग ने देहरादून को ही इसके लिए सबसे उपयुक्त माना था. हालांकि, इसके बावजूद विजय बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास कर दिया था. आयोग की 80 पेज की इस रिपोर्ट में गैरसैंण को लेकर कई विपरीत वजह बताई गई थी. देहरादून के रायपुर क्षेत्र में भी विधानसभा बनाए जाने को लेकर पूर्व में रिपोर्ट दी गई थी.
सवालों में बीजेपी की राजनीतिक इच्छाशक्तिः उत्तराखंड की स्थायी राजधानी के रूप में बीजेपी क्या करने जा रही है? इसको लेकर खुलकर पार्टी के नेता कुछ नहीं बोलते, लेकिन गैरसैंण को लेकर अपनी संवेदनशीलता और गंभीरता जरूर जाहिर की जाती रही है. उधर, रायपुर में भव्य विधानसभा, सचिवालय बनाए जाने की कागजी कार्रवाई होने से बीजेपी की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में यह भी साफ हो रहा है कि बीजेपी गैरसैंण में स्थायी राजधानी (Permanent Capital Gairsain) नहीं बनाने जा रही है.