देहरादूनः हाई कोर्ट के आदेश के बाद पिथौरागढ़ में स्थित चाय बागान की जमीनों को राज्य सरकार ने सरकार में निहित करने का निर्णय लिया है. हालांकि मौजूदा समय में इन चाय बागान की जमीनों पर 1857 भवन बने हुए हैं. जिसमें 302 व्यवसायिक और 1555 गैर व्यवसायिक भवन शामिल हैं. उधर, राज्य सरकार चाय बागान को कब्जे में लेने के बाद इन भवनों पर भी निर्णय ले सकती है.
बता दें कि ब्रिटिश शासन काल में पिथौरागढ़ के बेरीनाग और चौकोड़ी क्षेत्र के भूमि को चाय बागान के लिए दिया गया था. देश की आजादी के बाद जब सीलिंग एक्ट लागू हुआ तो उस दौरान भी इन जमीनों को चाय बागान के लिए ही रहने दिया गया, लेकिन जब से ये जमीन चाय की खेती के लिए ली गई है, तब से चाय बागान की भूमि पर चाय की खेती नहीं की गई है. इतना ही नहीं चाय बागान के मालिकों ने गैरकानूनी तरीके से लोगों को जमीनें बेच दी. जिस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से चाय की खेती ना होने पर तीन बार इसे निहित करने के निर्देश दिए.
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सीलिंग एक्ट के मुताबिक नहीं रख सकते 12.5 एकड़ से ज्यादा की जमीन
उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि सीलिंग एक्ट लागू होने के बाद भारत में कोई भी व्यक्ति 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं रख सकता है. बावजूद इसके चाय बागान में चाय की खेती के लिए जमीन दी गई, लेकिन कई सालों से इन क्षेत्रों में चाय की खेती नहीं की गई. जो सीलिंग एक्ट का भी उल्लंघन है. साथ ही कहा कि किसी को भी चाय बागान की जमीन को बेचने का अधिकार नहीं है. ऐसे में चाय बागान के सभी जमीनों को सरकार में निहित करने का निर्णय लिया गया है.
चाय बागान के क्षेत्र में बने 1857 भवन
वहीं, सुबोध उनियाल ने बताया कि बेरीनाग में 196.88 हेक्टेयर जमीन, चौकोड़ी में 850.667 हेक्टेयर जमीन और झलतोला में करीब 496 हेक्टेयर जमीन चाय बागान के लिए दिया गया था. जिससे वहां पर चाय की खेती की जा सके, लेकिन चाय बागान के मालिकों ने धीरे-धीरे इन भूमि को बेचना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेरीनाग क्षेत्र में 292 व्यावसायिक और 1150 गैर व्यवसायिक भवन बनाए गए हैं. साथ ही चौकोड़ी क्षेत्र में 10 व्यवसायिक भवन, 405 गैर व्यवसायिक भवन निर्मित किए गए हैं.