देहरादून: कोरोना काल के बाद उत्तराखंड में तेजी से पर्यटन (tourism in uttarakhand) बढ़ रहा है. आलम यह है कि चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) के लिए अभी से लोगों ने टैक्सी, होटल, धर्मशालाओं की बुकिंग करा ली है. पर्यटन विभाग भी पर्यटकों के इस रुख को देखकर बेहद उत्साहित है. इस बीच जुलाई-अगस्त में बारिश और यात्रा शुरू होने से पहले उत्तराखंड के पहाड़ों में होने वाली वानाग्नि की घटनाएं (forest fire in uttarakhand) जरूर विभाग के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं. आग की घटनाओं से एक तो पहाड़ों के मौसम पर असर पड़ता है. इसके साथ ही हरे-भरे जंगल देखने के शौकीनों पर भी ये घटनाएं पानी फेरती नजर आती हैं.
इसके अलावा उत्तराखंड में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो वनाग्नि के कारण प्रभावित रहते हैं. इसमें रुद्रप्रयाग से केदारनाथ के बीच के जंगल वाले हिस्से, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, नैनीताल के जंगल वाले भाग शामिल हैं. जिनमें वनाग्नि की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं. यात्रा सीजन में इस रूट पर सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं. गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटक पहाड़ पहुंचते हैं, लेकिन धधकते जंगल पहाड़ का ही तापमान और जोखिम बढ़ा देते हैं. राज्य में पर्यटन का पिछला पूरा सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया. आग के कारण पर्यटन कारोबार बहुत बेहतर नहीं रहा. इस बार उम्मीद थी कि कारोबार उठेगा, लेकिन यहां नैनीताल, अल्मोड़ा समेत अन्य जगह भी जंगल आग से धधक रहे हैं, इसलिए सरकार और पर्यटन विभाग को इस ओर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है.
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इस वक्त बेहद खुश हैं उत्तराखंड के लोग: उत्तराखंड में 2 साल बाद हरिद्वार से लेकर माणा तक और कोटद्वार से लेकर नैनीताल अल्मोड़ा तक पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा रही है. 2 साल से प्रदेश के पर्यटन को जितना नुकसान झेलना पड़ा है उसकी भरपाई कैसे होगी. कब होगी, इसको लेकर राज्य चिंतित था. लेकिन अब जो सकारात्मक रुख पर्यटकों का दिख रहा है वो सभी सवालों का जबाव है. एक बार फिर से उत्तराखंड में चारधाम यात्रा और अन्य साहसिक खेल शुरू हो गये हैं. जिसका लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में बुकिंग्स हो रही हैं. जिससे व्यापारियों, दुकानदारों के चेहरों पर मुस्कुराहट है.
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मगर इन सबके बीच आग लगने की घटनाएं वो कारण है जिससे प्रदेश का पर्यटन पटरी से उतर सकता है. इसलिए राज्य सरकार को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि आने वाले दिनों में आग की घटनाओं और आग से उठते धुंए के कारण यहां आने वाले लोगों को दिक्कत है ना हो.
आग की खबरों से होता है नुकसान: उत्तराखंड में आग की घटनाओं को सोशल मीडिया, अखबारों और न्यूज चैनल पर देखकर दूसरे राज्यों से वाले पर्यटक बेहद भयभीत हो जाते हैं. यही कारण है कि हर साल बुकिंग करवाने के बाद भी यहां आने वाले लोग यहां नहीं आते. जिससे राज्य और व्यापारियों को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है. इस बार राज्य सरकार के पास यह अच्छा मौका है कि अप्रैल महीने में आग की घटनाओं को रोके. मई महीने में जैसे ही चारधाम यात्रा शुरू हो तो एक अच्छा संदेश पर्यटकों तक जाये. उत्तराखंड में लगातार गढ़वाल और कुमाऊं में हो रही आग की घटनाओं में भले ही अभी तक कोई जान माल का नुकसान न हुआ हो लेकिन राज्य वन संपत्ति को बेहद नुकसान पहुंचा है. उत्तराखंड में हर रोज दर्जनों जंगल धधक रहे हैं, हालांकि राज्य सरकार दावा जरूर कर रही है कि आग बुझाने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.
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लाखों में आएंगे पर्यटक और भक्त: इस बार चारधाम यात्रा और ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल आने वाले लोगों की संख्या एक दिन में लाखों पहुंच रही है. आलम यह है कि इन 4 दिनों में ही ऋषिकेश और हरिद्वार में आने वालों की संख्या लगभग 70 लाख से अधिक पहुंच जाएगी. इतना ही नहीं चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश, हरिद्वार में टूर एंड ट्रैवल टैक्सी पूरी तरह से बुक हो गए हैं. चारधाम यात्रा पर पड़ने वाले शहरों में होटल जून-जुलाई तक पूरे फुल हो गए हैं. जिससे व्यापारी बेहद खुश हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आने वाले पर्यटकों को खूबसूरत वादियों के साथ-साथ मौसम भी आकर्षित करता है. पहाड़ों में चलने वाली ठंडी हवाओं का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग अभी से उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से गढ़वाल और कुमाऊं में जंगलों में आग की घटनाएं हो रही है वो पर्यटकों को डरा रही हैं. इससे उत्तराखंड के ऊपरी हिस्से में हवाएं बेहद गर्म हो रही हैं.
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सरकार को रखना होगा यात्रा रूट पर विशेष ध्यान: उत्तराखंड में हर साल आग लगने की घटनाओं से वन संपदा को अच्छा खासा नुकसान पहुंचता है. साथ ही पर्यटन को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. लिहाजा इस नुकसान को देखते हुए पर्यटन से जुड़े व्यापारियों ने सरकार से आग्रह किया है कि राज्य सरकार इस ओर विशेष ध्यान दे. लंबे समय के बाद उन्हें रोजगार करने का मौका मिला है. हरिद्वार में चारधाम यात्रा के लिए चलने वाली सबसे बड़ी बस सेवा पीजीएमओ में कार्यरत रिंकेश शर्मा बताते हैं कि इस बार सीजन में अच्छी खासी बुकिंग उन्हें मिली है. अभी से लोग गाड़ियां बुक करवा कर पहाड़ों का रुख कर रहे हैं, लेकिन जैसे ही बारिश और आग की घटनाएं उत्तराखंड में होती हैं तो पर्यटक बुकिंग कैंसिल करवाते हैं. ऐसे में राज्य सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यात्रा रूटों पर पड़ने वाले जंगलों में इस तरह की घटनाएं न हों.
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सरकार करेगी अधिकारियों पर कार्रवाई: उधर राज्य सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि उत्तराखंड में बहुत बेहतर माहौल है. इस वक्त लोग उत्तराखंड आना चाह रहे हैं. इसलिए वन विभाग ने यह साफ कह दिया है कि जिस भी डीएफओ के क्षेत्र में वनाग्नि की घटनाओं में आग बुझाने में देरी होगी वहां के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
साल 2022 की बात करें तो 15 फरवरी से लेकर के 14 अप्रैल तक आरक्षित वन क्षेत्र में 384 जगह आग लगी है. जबकि सिविल पंचायत क्षेत्र में 117 जगह आग की घटनाएं हुई हैं. यानी कुल मिलाकर इस साल आग लगने की अब तक 501 घटनाएं हो चुकी हैं. इस साल अब तक 663.94 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ है. जिसमें राज्य को 19,67,578 रुपए की आर्थिक क्षति हुई है.