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ऋषिकेश: रंभा नदी के उद्गम स्थल के सौंदर्यीकरण से सरकार ने खींचे हाथ - government not working on rambha river's

ऋषिकेश के रंभा नदी के उद्गम स्थल को संजय झील के रूप में विकसित करने की योजना प्रस्तावित है. लेकिन अब राज्य सरकार झील को अनदेखा कर रही है.

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ऋषिकेश
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Published : Jul 6, 2020, 2:24 PM IST

ऋषिकेश: तीर्थनगरी में पौराणिक रंभा नदी के उद्गम स्थल को संजय झील के रूप में विकसित करने की योजना प्रस्तावित है. लेकिन अब राज्य सरकार झील को अनदेखा कर रही है. वहीं, क्षेत्रीय विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और मेयर अनीता ममगाई भी इस उद्गम स्थल को झील के रूप में विकसित करने के लगातार वायदे करते रहे हैं. लेकिन अभी तक योजना का अस्तित्व में नहीं आ पाया है.

रंभा नदी के उद्गम स्थल के सौंदर्यीकरण से सरकार ने खींचे हाथ.

इस नदी की पौराणिक मान्यता है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्या भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हो, आज के बाद तुम उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है. यह सोमेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहकर गंगा में समाहित हो जाती है. वहीं, रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है.

पढ़ें: नैनीताल: देवस्थानम बोर्ड को लेकर आज फिर होगी HC में सुनवाई

वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया की फिलहाल संजय झील को विकसित करने की योजना लटक गई है. सरकार के पास संसाधनों की कमी है. इसके साथ ही वन विभाग भी नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटीज में दिलचस्पी नहीं दिखाता है.

ऋषिकेश: तीर्थनगरी में पौराणिक रंभा नदी के उद्गम स्थल को संजय झील के रूप में विकसित करने की योजना प्रस्तावित है. लेकिन अब राज्य सरकार झील को अनदेखा कर रही है. वहीं, क्षेत्रीय विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और मेयर अनीता ममगाई भी इस उद्गम स्थल को झील के रूप में विकसित करने के लगातार वायदे करते रहे हैं. लेकिन अभी तक योजना का अस्तित्व में नहीं आ पाया है.

रंभा नदी के उद्गम स्थल के सौंदर्यीकरण से सरकार ने खींचे हाथ.

इस नदी की पौराणिक मान्यता है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्या भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हो, आज के बाद तुम उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है. यह सोमेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहकर गंगा में समाहित हो जाती है. वहीं, रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है.

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वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया की फिलहाल संजय झील को विकसित करने की योजना लटक गई है. सरकार के पास संसाधनों की कमी है. इसके साथ ही वन विभाग भी नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटीज में दिलचस्पी नहीं दिखाता है.

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