देहरादून: धामी सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से उत्तराखंड में किसी भी तरह की हड़ताल पर रोक लगा दी है. ऐसे में अब कर्मचारी या संगठन अपनी मांगों को लेकर अगले 6 महीने तक किसी भी तरह का हड़ताल नहीं कर पाएंगे. अब उत्तराखंड में एस्मा लागू हो गई है. ऐसे में कोई भी आदेश का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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The Uttarakhand government has issued a notification prohibiting the strike in state services for 6 months from the date of issue of the Governor's order. pic.twitter.com/6idKDjEguf
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 22, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 22, 2023
उत्तराखंड में सचिव कार्मिक शैलेश बगौली की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना चर्चाओं में है. दरअसल, इस अधिसूचना के जरिए राज्य कर्मियों पर एस्मा लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं.. इस आदेश के जारी होने के बाद अब प्रदेश के सरकारी सेवा में काम करने वाला कोई भी कर्मचारी संगठन हड़ताल नहीं कर पाएगा. हालांकि, राज्य में समय-समय पर इस तरह शासन की ओर से एस्मा लगाए जाने के आदेश जारी किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार अचानक प्रदेश भर के राज्य कर्मचारियों के लिए जारी हुए इस आदेश ने सभी को चौंका कर रख दिया है.
ऐसा इसलिए भी क्योंकि अभी फिलहाल किसी भी कर्मचारी संगठन ने बड़ी हड़ताल की कोई भी सूचना नहीं दी थी. ऐसे में सचिव कार्मिक का अचानक आया यह आदेश सभी को हैरान कर रहा है. राज्य में कर्मचारियों के लिए जारी हुए इस आदेश के बाद हालांकि, किसी भी कर्मचारी संगठन की तरफ से कोई विरोध भी अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन शासन के इस तरह कर्मचारियों पर एस्मा लगाने से हर कोई हैरान है.
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शासन के इस आदेश के हर कोई अपने मायने निकाल रहा है. चर्चाओं में कुछ लोग लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की ओर से कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगाने के इरादे से इस आदेश को जारी करने की बात कह रहा है तो कुछ लोग कुछ संगठनों के विरोध प्रदर्शन को इसकी वजह मान रहे हैं, लेकिन इस सबके बीच इस वक्त सबसे बड़ी चर्चा मूल निवास को लेकर होने वाले आगामी आंदोलन की भी हो रही है.
क्या मूल निवास स्वाभिमान महारैली तो वजह नहीं: वैसे तो यह आंदोलन आम लोगों की ओर से किया जा रहा है. 24 दिसंबर को एक मूल निवास स्वाभिमान महारैली करने का भी दावा किया गया है, लेकिन चर्चाएं ये भी है कि मूल निवास के इस आंदोलन में राजकीय कर्मचारी शामिल न हों, इसके लिए सरकार ने पहले ही आदेश कर इसके इंतजाम कर दिए हैं.
एस्मा लागू करने की क्या है सरकार की मंशा: बहरहाल, सरकार की इस आदेश के पीछे की मंशा क्या है? यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि अब आदेश होने के बाद कर्मचारी संगठन आगामी 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर पाएंगे. हालांकि, इसी तरह का आदेश अलग-अलग विभागों में पहले भी किया गया है और फिलहाल बिजली विभाग में पहले से ही 6 महीने के लिए एस्मा लगाया हुआ है.
क्या होता है एस्मा? एस्मा यानी आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों और सूचना के अन्य माध्यमों से जानकारी दे दी जाती है. एस्मा अधिकतम 6 महीने तक के लिए लगाया जा सकता है.
एस्मा लागू होने के दौरान अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उनकी हड़ताल अवैध और दंडनीय मानी जाती है. इतना ही नहीं क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 (5 ऑफ 1898) के तहत एस्मा लागू होने के बाद इस आदेश से संबंधित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.