देहरादून: देश-दुनिया में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. उत्तराखंड में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग एक्शन में आ गया है. डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती ने 13 जिलों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और कोरोना से लड़ने की तैयारियों का जायजा लिया. वहीं, स्वास्थ्य कर्मचारियों की सेवाओं के देखते हुए अपर सचिव युगल किशोर पंत ने अगले 6 महीने के लिए हड़ताल पर जाने की पाबंदी लगाते हुए एस्मा (एसेंशियल सर्विसेज मैनटिनेंस एक्ट) लागू कर दिया है. ऐसे में अब इस आदेश को ना मानने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.
क्या है एस्मा?
एस्मा संसद द्वारा पारित किया गया अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. इसके जरिए हड़ताल के दौरान लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली आवश्यक सेवा की बहाली सुनिश्चित कराने की कोशिश की जाती है. राज्य सरकारें स्वयं भी किसी सेवा को आवश्यक सेवा के रूप में घोषित कर सकती हैं. एस्मा के तहत डाक सेवाओं, रेलवे, हवाई अड्डों समेत विभिन्न आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी की शामिल किए जाते हैं.
एस्मा के दौरान होने वाली हड़ताल को अवैध माना जाता है. अगर कोई कर्मचारी इसका उल्लंघन करता है और दोषी पाया जाता है तो उसे एक साल की सजा का प्रावधान है. एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वॉरंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.
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डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी जिलों के सीएमओ से वार्ता की गई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिलों से उनकी आवश्यकता की चीजें पूछी गईं और हर संभव मदद उपलब्ध कराने की बात कही गई.