देहरादून: आबकारी विभाग में तैनात इंस्पेक्टर शुजआत हुसैन की नौकरी को फर्जी बताते हुए विकेश सिंह नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में क्यू वारंटो रिट दाखिल कर चुनौती दी है. वहीं, मामले में संज्ञान लेते हुए सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है. जिसमें सरकार ने शुजआत हुसैन का कानूनी तौर पर नौकरी में न होना स्वीकार कर लिया है. फिलहाल, इस मामले की जांच चल रही है.
समाजसेवी विकेश सिंह नेगी ने बताया कि इस फर्जीवाड़े की शुरूआत साल 1995 में उत्तर प्रदेश से हुई है. शुजआत हुसैन और राहिबा इकबाल को 1995 में फर्जी तरीके से यूपी की मुलायम सरकार ने उर्दू अनुवादक और कनिष्ठ लिपिक पद पर सिर्फ भरण पोषण के लिए रखा था. उस समय इन दोनों के नियुक्ति पत्रों में साफ लिखा था कि यह नियुक्ति 28-2-1996 को स्वतः समाप्त हो जाएगी. बावजूद इसके 24 साल बाद भी दोनों सरकारी सेवा में हैं. साथ ही इंस्पेक्टर भी बन गए हैं.
ये भी पढ़े: बालाकोट से पाक को बताना था कि आतंकवादी हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी : धनोआ
साथ ही बताया कि वो इस मामले की शिकायत विजिलेंस विभाग से भी की थी. लेकिन विजिलेंस जांच में सामने आया कि दोनों की नौकरी कानून सही है साथ ही इनकी संपत्ति का विवरण भी ठीक है. जो विजिलेंस विभाग की जांच के नाम पर खानापूर्ति को साफ दर्शाता है.