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किलमोड़ा जड़ी बूटी की अवैध तस्करी मामले पर जांच के आदेश, ईटीवी भारत की खबर के बाद बैकफुट पर मंत्री!

Kilmora Smuggling in Uttarakhand ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर से बड़ा असर देखने को मिला है. बीती 9 सितंबर को ईटीवी भारत ने 'किलमोड़ा जड़ी पर उत्तराखंड के दो मंत्रियों में 'नूरा कुश्ती', तस्करी की शिकायत पर एक ने लगाई रोक, दूसरे ने खोली' हेडलाइन से खबर को प्रमुखता से दिखाया था. जिसका अब बड़ा असर हुआ है. ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं. खास बात ये है कि अब कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी जांच का स्वागत किया है. जानिए क्या था पूरा मामला...

Kilmora Jadi Booti
किलमोड़ा जड़ी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 16, 2023, 8:34 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 9:10 PM IST

किलमोड़ा जड़ी बूटी की अवैध तस्करी मामले पर जांच के आदेश

देहरादून: बहुमूल्य किलमोड़ा जड़ी पर शुरू हुआ विवाद आखिरकार जांच तक जा पहुंचा है. जहां ईटीवी भारत की खबर के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किलमोड़ा की अवैध तस्करी पर जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं बड़ी बात ये है कि अबतक जड़ी-बूटी से रोक हटाने की पैरवी करने वाले कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी इस पर जांच का स्वागत किया है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की बात भी कही है.

Kilmora Smuggling in Uttarakhand
किलमोड़ा की जड़

किलमोड़ा तस्करी को लेकर जांच के आदेश: गौर हो कि उत्तराखंड के दो कैबिनेट मंत्रियों का प्रदेश की एक बहुमूल्य वनस्पति किलमोड़ा को लेकर आमने-सामने आने की खबर ईटीवी भारत ने प्रसारित की तो मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए. दरअसल, उत्तराखंड के वनों में भारी मात्रा में किलमोड़ा मौजूद है और यहां से इसकी तस्करी की खबरें आती रही हैं. शायद यही कारण है कि वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस वनस्पति के ट्रांसपोर्टेशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.

आमने-सामने आए दो मंत्री: मामला तब विवादों में आया जब वन मंत्री सुबोध उनियाल के रोक लगाने के करीब एक हफ्ते बाद ही कृषि मंत्री गणेश जोशी ने रोक हटाने के निर्देश जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान को दे दिए. इस पूरे प्रकरण पर ईटीवी भारत ने खबर प्रसारित की और यह बताने की कोशिश की किस तरह प्रदेश में वनस्पति की तस्करी के मामले में दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं.

वन मंत्री ने उठाई अवैध तस्करी को रोकने की मांग: खास बात यह है कि ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रसारित करने के फौरन बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले की जांच के आदेश दे दिए. इतना ही नहीं, सुबोध उनियाल ने राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के सामने भी अवैध तस्करी की इस बात को रखा और सार्वजनिक मंच से कृषि मंत्री गणेश जोशी से भी इस वनस्पति की अवैध तस्करी को रोकने के लिए सहयोग करने की बात रखी. सुबोध उनियाल ने साफ किया कि जिस तरह से इस वनस्पति को लेकर कुछ लोग उत्सुकता दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि इसमें बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार हो रहा है और इसलिए उन्होंने वन विभाग में इसकी जांच के आदेश दिए हैं.

Kilmora herb
किलमोड़ा को जानिए

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की होती है अवैध तस्करी: उत्तराखंड में कई तरह की वनस्पतियां उत्पन्न होती हैं और इनका उपयोग आयुर्वेदिक दावों में भी होता रहा है. दुनिया भर में बढ़ती डिमांड के कारण इनकी तस्करी भी तेजी से होती रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी भारी कीमतों और हाथों-हाथ बिक्री के कारण तस्कर इन पर पहनी निगाह भी रखते हैं. किलमोड़ा भी ऐसी ही वनस्पति है.
संबंधित खबर पढ़ेंः किलमोड़ा जड़ी पर उत्तराखंड के दो मंत्रियों में 'नूरा कुश्ती', तस्करी की शिकायत पर एक ने लगाई रोक, दूसरे ने खोली

कई औषधीय गुणों से युक्त है किलमोड़ा: किलमोड़ा के पौधे की जड़ को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है. इसकी पत्तियां कांटेदार होती हैं और इसकी जड़ को सबसे उपयोगी माना जाता है. इस वनस्पति से छोटे-छोटे फल भी निकलते हैं जो औषधीय गुण वाले होते हैं. लेकिन इसका अधिक उपयोग नुकसान भी कर सकता है. दुनिया भर में किलमोड़ा की 450 प्रजातियां हैं. इस वनस्पति की अधिकतर मौजूदगी एशिया में है. इस जड़ी बूटी के जरिए शुगर की दवाई, आई ड्रॉप, पीलिया और हाई बीपी के दवाई के लिए भी किया जाता है.

किलमोड़ा की जड़ से तेल भी निकाला जाता है जो बेहद उपयोगी होता है. जानकारी के अनुसार, करीब 7 किलमोड़ा की लकड़ी से करीब डेढ़ सौ से 200 ग्राम तेल निकलता है. बाजार में दवा कंपनियां करीब ₹600 प्रति किलो तक इस तेल को आसानी से खरीद भी लेती हैं. दूसरी तरफ किसानों का मानना है कि इस लकड़ी की कीमत बाजार में ₹6000 प्रति कुंतल तक होती है.

Kilmora herb
किलमोड़ा के उपयोग

उत्तरकाशी से आया अवैध तस्करी का मामला: वहीं, इस किलमोड़ा वनस्पति की अवैध तस्करी को लेकर मामला उत्तरकाशी से सामने आया था. उत्तरकाशी के ही निवासियों की तरफ से इस पर शिकायत की जाती रही है. बड़ी बात यह है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों पर भी इसके आरोप लगते रहे हैं. यह वनस्पति संकटग्रस्त वनस्पतियों में शामिल है. उत्तराखंड के रामनगर में इसकी खरीद फरोख्त का सबसे बड़ा बाजार मौजूद है.

कृषि मंत्री भी जांच को राजी: इतनी बहुमूल्य वनस्पति को लेकर उत्तराखंड के दो मंत्रियों की यह तकरार वाकई दिलचस्प रही. वन मंत्री सुबोध उनियाल का आक्रामक रुख अब कृषि मंत्री गणेश जोशी को बैकफुट पर ले आया है. कृषि मंत्री गणेश जोशी अब कहते हैं कि उन्हें वन मंत्री सुबोध उनियाल की तरफ से एक अधिकारी की जानकारी दी गई है और वह चाहते हैं कि किसी एक व्यक्ति के कारण किसानों का नुकसान ना हो, इसलिए जांच करवाई जा रही है जिसमें सभी स्थितियां स्पष्ट हो जाएंगी.

किलमोड़ा जड़ी बूटी की अवैध तस्करी मामले पर जांच के आदेश

देहरादून: बहुमूल्य किलमोड़ा जड़ी पर शुरू हुआ विवाद आखिरकार जांच तक जा पहुंचा है. जहां ईटीवी भारत की खबर के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किलमोड़ा की अवैध तस्करी पर जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं बड़ी बात ये है कि अबतक जड़ी-बूटी से रोक हटाने की पैरवी करने वाले कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी इस पर जांच का स्वागत किया है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की बात भी कही है.

Kilmora Smuggling in Uttarakhand
किलमोड़ा की जड़

किलमोड़ा तस्करी को लेकर जांच के आदेश: गौर हो कि उत्तराखंड के दो कैबिनेट मंत्रियों का प्रदेश की एक बहुमूल्य वनस्पति किलमोड़ा को लेकर आमने-सामने आने की खबर ईटीवी भारत ने प्रसारित की तो मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए. दरअसल, उत्तराखंड के वनों में भारी मात्रा में किलमोड़ा मौजूद है और यहां से इसकी तस्करी की खबरें आती रही हैं. शायद यही कारण है कि वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस वनस्पति के ट्रांसपोर्टेशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.

आमने-सामने आए दो मंत्री: मामला तब विवादों में आया जब वन मंत्री सुबोध उनियाल के रोक लगाने के करीब एक हफ्ते बाद ही कृषि मंत्री गणेश जोशी ने रोक हटाने के निर्देश जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान को दे दिए. इस पूरे प्रकरण पर ईटीवी भारत ने खबर प्रसारित की और यह बताने की कोशिश की किस तरह प्रदेश में वनस्पति की तस्करी के मामले में दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं.

वन मंत्री ने उठाई अवैध तस्करी को रोकने की मांग: खास बात यह है कि ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रसारित करने के फौरन बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले की जांच के आदेश दे दिए. इतना ही नहीं, सुबोध उनियाल ने राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के सामने भी अवैध तस्करी की इस बात को रखा और सार्वजनिक मंच से कृषि मंत्री गणेश जोशी से भी इस वनस्पति की अवैध तस्करी को रोकने के लिए सहयोग करने की बात रखी. सुबोध उनियाल ने साफ किया कि जिस तरह से इस वनस्पति को लेकर कुछ लोग उत्सुकता दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि इसमें बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार हो रहा है और इसलिए उन्होंने वन विभाग में इसकी जांच के आदेश दिए हैं.

Kilmora herb
किलमोड़ा को जानिए

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की होती है अवैध तस्करी: उत्तराखंड में कई तरह की वनस्पतियां उत्पन्न होती हैं और इनका उपयोग आयुर्वेदिक दावों में भी होता रहा है. दुनिया भर में बढ़ती डिमांड के कारण इनकी तस्करी भी तेजी से होती रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी भारी कीमतों और हाथों-हाथ बिक्री के कारण तस्कर इन पर पहनी निगाह भी रखते हैं. किलमोड़ा भी ऐसी ही वनस्पति है.
संबंधित खबर पढ़ेंः किलमोड़ा जड़ी पर उत्तराखंड के दो मंत्रियों में 'नूरा कुश्ती', तस्करी की शिकायत पर एक ने लगाई रोक, दूसरे ने खोली

कई औषधीय गुणों से युक्त है किलमोड़ा: किलमोड़ा के पौधे की जड़ को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है. इसकी पत्तियां कांटेदार होती हैं और इसकी जड़ को सबसे उपयोगी माना जाता है. इस वनस्पति से छोटे-छोटे फल भी निकलते हैं जो औषधीय गुण वाले होते हैं. लेकिन इसका अधिक उपयोग नुकसान भी कर सकता है. दुनिया भर में किलमोड़ा की 450 प्रजातियां हैं. इस वनस्पति की अधिकतर मौजूदगी एशिया में है. इस जड़ी बूटी के जरिए शुगर की दवाई, आई ड्रॉप, पीलिया और हाई बीपी के दवाई के लिए भी किया जाता है.

किलमोड़ा की जड़ से तेल भी निकाला जाता है जो बेहद उपयोगी होता है. जानकारी के अनुसार, करीब 7 किलमोड़ा की लकड़ी से करीब डेढ़ सौ से 200 ग्राम तेल निकलता है. बाजार में दवा कंपनियां करीब ₹600 प्रति किलो तक इस तेल को आसानी से खरीद भी लेती हैं. दूसरी तरफ किसानों का मानना है कि इस लकड़ी की कीमत बाजार में ₹6000 प्रति कुंतल तक होती है.

Kilmora herb
किलमोड़ा के उपयोग

उत्तरकाशी से आया अवैध तस्करी का मामला: वहीं, इस किलमोड़ा वनस्पति की अवैध तस्करी को लेकर मामला उत्तरकाशी से सामने आया था. उत्तरकाशी के ही निवासियों की तरफ से इस पर शिकायत की जाती रही है. बड़ी बात यह है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों पर भी इसके आरोप लगते रहे हैं. यह वनस्पति संकटग्रस्त वनस्पतियों में शामिल है. उत्तराखंड के रामनगर में इसकी खरीद फरोख्त का सबसे बड़ा बाजार मौजूद है.

कृषि मंत्री भी जांच को राजी: इतनी बहुमूल्य वनस्पति को लेकर उत्तराखंड के दो मंत्रियों की यह तकरार वाकई दिलचस्प रही. वन मंत्री सुबोध उनियाल का आक्रामक रुख अब कृषि मंत्री गणेश जोशी को बैकफुट पर ले आया है. कृषि मंत्री गणेश जोशी अब कहते हैं कि उन्हें वन मंत्री सुबोध उनियाल की तरफ से एक अधिकारी की जानकारी दी गई है और वह चाहते हैं कि किसी एक व्यक्ति के कारण किसानों का नुकसान ना हो, इसलिए जांच करवाई जा रही है जिसमें सभी स्थितियां स्पष्ट हो जाएंगी.

Last Updated : Oct 16, 2023, 9:10 PM IST
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