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दोबारा नहीं होगी फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा, आयोग ने सर्वसम्मति से लिया फैसला

उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा के मामले में चयन आयोग ने दोबारा परीक्षा ना करवाने का निर्णय लिया है. आयोग की ओर से बताया गया है कि SIT की आगामी एक माह के भीतर जो रिपोर्ट सामने आएगी, उसी के आधार पर दूसरे निर्णय लिए जाएंगे.

Dehradun
चयन आयोग ने लिया फैसला
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Published : Oct 24, 2020, 7:34 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को लेकर आयोग ने बड़ा फैसला लिया है. आयोग की तरफ से अभ्यर्थियों की राय और कानूनी पक्ष देखने के बाद इस भर्ती परीक्षा को दोबारा ना करवाने का फैसला लिया गया है. यानी पूर्व में हुई परीक्षाओं के आधार पर ही आयोग भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर विचार कर रहा है.

दरअसल, प्रदेश में 1,218 फॉरेस्ट गार्ड के पद खाली थे, जिस पर भर्ती के लिए करीब डेढ़ लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से इसके लिए परीक्षा कराई गई, लेकिन तभी से ही इस भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगता रहा और ये भर्ती परीक्षा विवादों से घिरी रही. उधर पौड़ी और हरिद्वार में परीक्षा में ब्लूटूथ से बड़े स्तर पर नकल होने की बात सामने आई. अभ्यर्थियों की शिकायत पर पौड़ी और हरिद्वार में मामले को लेकर अलग-अलग शिकायतें थाने में दर्ज करवाई गईं, जिसके बाद SIT की जांच के आदेश दिए गए.

ये भी पढ़ें: IMPACT: मृत बच्चे की जिम्मेदारी CMO को सौंपने का मामला, सुपरवाइजर की सैलरी रोकने का आदेश

SIT ने मामले की जांच रिपोर्ट उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सौंप दी है. जिसके बाद आयोग ने भी इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है. वहीं, आयोग ने मामले में रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों से 3 दिनों के भीतर भर्ती को निरस्त करने से जुड़ी उनकी राय मांगी थी. 18 अक्टूबर तक करीब कुल 2,256 अभ्यर्थियों ने ई-मेल के जरिए अपना फीडबैक दिया. अभ्यर्थियों से ली गई राय के बाद आयोग ने इस पर गहन मंथन किया. वहीं, आयोग ने फीडबैक और कोर्ट के पुराने आदेशों का भी अध्ययन किया.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय सड़क निधि कार्यों की समीक्षा बैठक, समयसीमा में कार्य पूरा करने के निर्देश

सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया, कि इस मामले में पूरी परीक्षा को निरस्त करने का कोई औचित्य नहीं है. इसके पीछे आयोग का तर्क है कि गड़बड़ी का प्रमाण सीमित है, जबकि ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है, जिन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है. मात्र 57 अभ्यर्थी ही गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं, जिसमें से 31 अभ्यर्थियों की पहचान भी कर ली गई है, जबकि 26 अभ्यर्थियों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. वहीं, अब आयोग ने ये निर्णय लिया है कि SIT की आगामी 1 माह के भीतर जो रिपोर्ट सामने आएगी, उसी के आधार पर दूसरे निर्णय लिए जाएंगे.

देहरादून: उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को लेकर आयोग ने बड़ा फैसला लिया है. आयोग की तरफ से अभ्यर्थियों की राय और कानूनी पक्ष देखने के बाद इस भर्ती परीक्षा को दोबारा ना करवाने का फैसला लिया गया है. यानी पूर्व में हुई परीक्षाओं के आधार पर ही आयोग भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर विचार कर रहा है.

दरअसल, प्रदेश में 1,218 फॉरेस्ट गार्ड के पद खाली थे, जिस पर भर्ती के लिए करीब डेढ़ लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से इसके लिए परीक्षा कराई गई, लेकिन तभी से ही इस भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगता रहा और ये भर्ती परीक्षा विवादों से घिरी रही. उधर पौड़ी और हरिद्वार में परीक्षा में ब्लूटूथ से बड़े स्तर पर नकल होने की बात सामने आई. अभ्यर्थियों की शिकायत पर पौड़ी और हरिद्वार में मामले को लेकर अलग-अलग शिकायतें थाने में दर्ज करवाई गईं, जिसके बाद SIT की जांच के आदेश दिए गए.

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SIT ने मामले की जांच रिपोर्ट उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सौंप दी है. जिसके बाद आयोग ने भी इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है. वहीं, आयोग ने मामले में रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों से 3 दिनों के भीतर भर्ती को निरस्त करने से जुड़ी उनकी राय मांगी थी. 18 अक्टूबर तक करीब कुल 2,256 अभ्यर्थियों ने ई-मेल के जरिए अपना फीडबैक दिया. अभ्यर्थियों से ली गई राय के बाद आयोग ने इस पर गहन मंथन किया. वहीं, आयोग ने फीडबैक और कोर्ट के पुराने आदेशों का भी अध्ययन किया.

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सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया, कि इस मामले में पूरी परीक्षा को निरस्त करने का कोई औचित्य नहीं है. इसके पीछे आयोग का तर्क है कि गड़बड़ी का प्रमाण सीमित है, जबकि ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है, जिन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है. मात्र 57 अभ्यर्थी ही गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं, जिसमें से 31 अभ्यर्थियों की पहचान भी कर ली गई है, जबकि 26 अभ्यर्थियों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. वहीं, अब आयोग ने ये निर्णय लिया है कि SIT की आगामी 1 माह के भीतर जो रिपोर्ट सामने आएगी, उसी के आधार पर दूसरे निर्णय लिए जाएंगे.

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